राष्ट्रभाषा होने के बावजूद नहीं मिला हिन्दी को वह सम्मान, जिसकी थी हकदार

Edited By Isha, Updated: 14 Sep, 2019 01:05 PM

despite being the national language hindi did not get the respect it deserved

आज देश भर में हिन्दी दिवस मनाया जा रहा है।  हर वर्ष 14 सितम्बर को देश में हिन्दी दिवस मनाया जाता है, बावजूद इसके हिन्दी को वह स्थान नहीं मिला, जिसकी वह हकदार है। अब भी देश में कुछ प्रदेश

यमुनानगर (त्यागी): आज देश भर में हिन्दी दिवस मनाया जा रहा है।  हर वर्ष 14 सितम्बर को देश में हिन्दी दिवस मनाया जाता है, बावजूद इसके हिन्दी को वह स्थान नहीं मिला, जिसकी वह हकदार है। अब भी देश में कुछ प्रदेश ऐसे हैं जो हिन्दी का विरोध करते हैं और हिन्दी उन्हें फूटी कौड़ी नहीं भाती। हिन्दी को लेकर कई बार आंदोलन भी हुए। कहने को तो हिन्दी हिन्दुस्तान में पैदा हुए हर नागरिक की मात्र भाषा है, जितना प्यार वह अपनी जन्म देने वाली माता से करता है उतना ही प्यार उसे अपनी मात्र भाषा से भी करना चाहिए।

अल्प श्रम से ही सीखी जा सकती है हिन्दी : प्रोफैसर 
हिन्दी भाषा को लेकर हिन्दी के जानने वाले प्रोफैसर ऋचा का कहना है कि हालांकि भारत में अनेक प्रादेशिक भाषाएं हैं और अत्यंत समृद्ध भी हैं, लेकिन राष्ट्र भाषा के गुण हिन्दी में ही विद्यमान हैं, क्योंकि यह अन्य भाषाओं के अपेक्षा सरल है और इसको कुछ महीने के अल्प श्रम से ही सीखा जा सकता है।  उन्होंने बताया कि भारतेन्दु हरीशचन्द्र ऐसे ही महान पुरुष थे जिनका जन्म ही मानों हिन्दी विकास के लिए हुआ था। उनकी यह पंक्ति अक्सर याद आती है, जिसमें उन्होंने कहा कि निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल बिनु निज भाषा ज्ञान के सिरे न हिय को सूत। 

अर्थात अपनी भाषा की उन्नति देखे बिना हृदय को संतुष्टि नहीं मिलती, चाहे हम कितने ही ऊंचे पद पर क्यों न पहुंच जाएं, लेकिन हम क्या कर रहे हैं। जो हमारी पीढिय़ों का अर्जित ज्ञान था उनकी भाषा की अवहेलना कर रहे हैं और अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों में भेजकर अपने आप को पाश्चात्य संस्कृति में डालना अपनी शान समझ रहे हैं। यही नहीं उच्च पद पर आसीन अपने अधीन कर्मचारियों को हीन समझने के लिए अंग्रेजी के शस्त्र का ही प्रयोग कर रहे हैं। प्रोफैसर रिचा ने कहा कि हमें आज हिन्दी दिवस के मौके पर यह निर्णय लेना होगा कि हमारी सरकार के सभी कार्यालयों में सभी काम हिन्दी भाषा में ही हों। यदि हम ऐसा निर्णय लेते हैं तभी हिन्दी दिवस मनाने के मायने भी साकार होंगे, नहीं हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हिन्दी दिवस के नाम पर औपचारिकताएं होंगी और उसके बाद इतिश्री।  

सबसे ज्यादा बोली जाने वाली चौथी भाषा है हिन्दी 
हिन्दी विश्व में चौथी ऐसी भाषा है जिसे सबसे ज्यादा लोग बोलते हैं। आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में भारत में 43.63 फीसदी लोग हिन्दी भाषा में बात करते है, जबकि 2001 में यह आंकड़ा 41.3 फीसदी था। तब 42 करोड़ लोग हिन्दी बोलते थे।  जनगणना के आंकड़ों के अनुसार 2001 से 2011 के बीच हिन्दी बोलने वाले 10 करोड़ लोग बढ़ गए। साफ है कि हिन्दी देश की सबसे तेजी से बढ़ती भाषा है। इसे हिन्दी की ताकत ही कहेंगे कि अब लगभग सभी विदेशी कंपनियां हिन्दी को बढ़ावा दे रही हैं। यहां तक कि दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल में पहले जहां अंग्रेजी कंटैंट को बढ़ावा दिया जाता था वहीं गूगल अब हिन्दी और अन्य क्षेत्रीय भाषा वाले कन्टैंट को प्रमुखता दे रहा है।  हाल ही में ई-कॉमर्स साइट अमेजन इंडिया ने अपना हिन्दी एप्स लॉन्च किया है।

इंटरनैट के प्रसार से किसी को अगर सबसे ज्यादा फायदा हुआ है तो वह हिन्दी है। 2016 में डिजीटल माध्यम में हिन्दी समाचार पढऩे वालों की संख्या 5.5 करोड़ थी, जो 2021 में बढ़कर 14.4 करोड़ होने का अनुमान है। 2021 में हिन्दी में इंटरनैट उपयोग करने वाले अंग्रेजी में इंटरनैट इस्तेमाल करने वालों से अधिक हो जाएंगे।  20.1 करोड़ लोग हिन्दी का उपयोग करने लगेंगे। गूगल के अनुसार हिन्दी में कॉन्टैंट पढऩे वाले हर साल 94 फीसदी बढ़ रहे हैं, जबकि अंग्रेजी में यह दर सालाना 17 फीसदी है। अभी विश्व के सैंकड़ों विश्व विद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है और पूरी दुनिया में करोड़ों लोग हिन्दी बोलते हैं।  यही नहीं हिन्दी दुनिया भर में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली 5 भाषाओं में से एक है। 

हर कोई करे हिन्दी में हस्ताक्षर : शास्त्री
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल के प्रधानाचार्य रमेश शास्त्री का कहना है कि आज हिन्दी दिवस के मौके पर हमें संकल्प लेना होगा कि हम अपनी मातृ भाषा से उतना ही प्रेम करेंगे जितना कि हम अपनी जन्म देने वाली माता से करते हैं। शास्त्री का कहना है कि इस संबंध में शपथ लेने के साथ साथ मन में भी यह भाव होना चाहिए कि चाहे कुछ भी हो हम हिन्दी भाषा में ही अपना काम करेंगे। उनका कहना था कि कम से कम इतना तो अवश्य होना चाहिए कि हर व्यक्ति चाहे वह किसी भी राज्य का हो उसे कम से कम अपने हस्ताक्षर तो हिन्दी में करने चाहिएं। यदि ऐसा भी संभव होता है तो यह हिन्दी का सम्मान होगा और धीरे धीरे आने वाली पीढिय़ां हिन्दी को अपनाएंगी और यही हमारे लिए हिन्दी दिवस मनाने के मायने होंगे। 

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