भिवानी: दिव्यांग यूडीआईडी कार्ड बनवाने की अवधि 31 मार्च से बढ़ाकर अब 30 जून कर दी गई है। 1 जुलाई से सरकारी योजनाओं में लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। दिव्यांग आयुक्त राजकुमार मक्कड़ ने कहा कि हरियाणा में रहने वाले अन्य प्रांतों के दिव्यांगजन भी अब यहीं पर अपना दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनवा सकेंगे, जिनकी संख्या करीब 76 हजार 621 है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार दिव्यांगजनों की समस्याओं के समाधान को लेकर काफी गंभीर है। अब एक जुलाई से यूडीआईडी होने पर दिव्यांगजन सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकेंगे। दिव्यांगजन बिना यूडीआईडी के सरकारी सेवाओं या योजनाओं का लाभ नहीं ले पाएंगे।
बता दें कि आयुक्त मक्कड़ रविवार को स्थानीय लोक निर्माण विश्राम गृह में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि एक अप्रैल से भारत व हरियाणा सरकार की 18 सेवाओं को यूडीआईडी कार्ड के साथ जोड़ दिया गया है। जिसका लाभ दिव्यांग केवल यूडीआईडी कार्ड होने पर ही ले सकेंगे। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में प्रदेश सरकार दिव्यांगजन की समस्याओं के समाधान को लेकर प्रतिबद्ध है। इसी के चलते प्रदेश सरकार ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय के अंत्योदय के सपने को साकार करते हुए दयालु नाम से योजना लागू की, जिसके तहत जिस व्यक्ति की आय एक लाख 80 हजार रुपए तक है और वह कोई व्यक्ति हादसे में दिव्यांग हो जाता है या उसकी मौत हो जाती है तो उसके परिजनों को प्रदेश सरकार पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में तीन लाख 39 हजार 190 दिव्यांगजन का रिकॉर्ड है, जिनकी 40 प्रतिशत दिव्यांगता है। इनमें से करीब दो लाख दिव्यांगजन आयुष्मान योजना का लाभ ले रहे हैं। शेष में कुछ या नौकरी कर रहे हैं या फिर स्कूली बच्चे हैं, जिनकी संख्या साढ़े 32 हजार है। उन्होंने बताया कि स्कूली विशेष विद्यार्थियों की शिक्षा को लेकर प्रदेश में 279 विशेष अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया अंतिम चरण में है तथा 1280 पदों की और नियुक्ति की जाएगी। प्रदेश में दिव्यांगों को नौकरियों में चार प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि दिव्यांगजनों को उनकी क्षमता के अनुसार सरकारी के साथ-साथ नीजि क्षेत्रों में रोजगार मुहैया करवाया जा रहा है। दिव्यांगों को रोजगार देने वाली कंपनियों को पौने दो लाख रुपए जीएसटी में छूट की दी जा रही है। इसके साथ-साथ दिव्यांगजन को निर्धारित कोटे के अनुरूप रोजगार नहीं देने वाली कंपनियों को कार्रवाई की जा रही है। अनुदान भी बंद किया जा रहा है और आने वाले समय में पैसे की अनुदान की रिकवरी के साथ-साथ धारा 92 दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत कार्रवाई भी की जाएगी, जिसमें पांच लाख का जुर्माना और पांच साल की सजा अथवा दोनों का प्रावधान है।
उन्होंने बताया कि सरकार की दिव्यांगजन संबंधी योजनाओं में नौकरी में आरक्षण, पदोन्नति में आरक्षण, कृत्रिम अंग को बदलना, दो साल की एक्सटेंशन, बस, ट्रेन पास जैसी सेवाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने दिव्यांगों को बायोमेट्रिक हाजरी लगाने में छूट प्रदान की है। प्रदेश के कुल 40 प्रतिशत दिव्यांगता वाले तीन लाख 39 हजार 190 में से दो लाख 51 हजार 88 के कार्ड जनरेट हो चुके हैं। एक लाख सात हजार 734 के आवेदन आए हुए हैं, इनमें 65 हजार 166 मेडिकल से संबंधित हैं। उन्होंने बताया कि जिन्होंने अपने यूडीआईडी कार्ड नहीं बनवाए हैं, वे कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर अपना पंजीकरण करवाएं, जिसकी सूचना ऑटोमैटिक स्वास्थ्य विभाग के पास चली जाती है। उसके बाद स्वास्थ्य विभाग के संबंधित सीएमओ कार्यालय से दिव्यांगजन के पास कॉल आएगी, यह व्यवस्था इसलिए की है ताकि दिव्यांगजन की समय बर्बाद न होने के साथ-साथ परेशानी न हो। प्रदेश के सभी 22 जिलों में मेडिकल प्रमाण पत्र बनाने की व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग के पास है।
(हरियाणा की खबरें टेलीग्राम पर भी, बस यहां क्लिक करें या फिर टेलीग्राम पर Punjab Kesari Haryana सर्च करें।)