रोहतक लोकसभा से दीपेंद्र की उम्मीदवारी पर पेंच, आलाकमान नहीं चाहता खाली हो राज्यसभा सीट; भूपेंद्र हुड्डा पर टिकी निगाहें

Edited By Saurabh Pal, Updated: 01 Apr, 2024 03:39 PM

congress stuck over rohtak lok sabha seat crisis over deependra candidature

हरियाणा की सबसे हॉट सीट मानी जाने वाली रोहतक लोकसभा सीट पर कांग्रेस फंसती नजर आ रही है। अगर इलोक्टोरल पॉलिटिक्स की बात करें तो हरियाणा में कांग्रेस किसी सीट पर सबसे मजबूत दिखती है तो वह रोहतक लोकसभा सीट है...

रोहतक: हरियाणा की सबसे हॉट सीट मानी जाने वाली रोहतक लोकसभा सीट पर कांग्रेस फंसती नजर आ रही है। अगर इलोक्टोरल पॉलिटिक्स की बात करें तो हरियाणा में कांग्रेस किसी सीट पर सबसे मजबूत दिखती है तो वह रोहतक लोकसभा सीट है। रोहतक को वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा का गढ़ माना जाता है। इस सीट से 2014 में मोदी लहर के बावजूद हुड्डा किला अजेय बना रहा, हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में मामूली अंतर दीपेंद्र हुड्डा ने रोहतक लोकसभा सीट गवां दी। इस बार रोहतक लोकसभा सीट से दीपेंद्र हुड्डा की उम्मीदवारी लगभग तय है, लेकिन इसमें एक बड़ा संवैधानिक पेंच फंस गया है।

इस सवैंधानिक पेंच के चलते दीपेंद्र हुड्डा की रोहतक सीट से उम्मीदवारी को लेकर कांग्रेस पार्टी दो राहों में फंस गई है। दरअसल, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA) 1951 की धारा 69(2) में स्पष्ट उल्लेख है कि यदि कोई व्यक्ति पहले से ही राज्यसभा सदस्य है, इसके बाद भी वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित हो जाता है तो राज्यसभा में उस व्यक्ति की सीट उसके लोकसभा सदस्य चुने जाने की तारीख से ही खाली हो जाएगी।

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ऐसे में यदि लोकसभा चुनाव दीपेंद्र हुड्डा जीतते हैं तो जैसे ही उन्हें लोकसभा सांसद का प्रमाण पत्र रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा दिया जाएगा, उसी पल से राज्यसभा की उनकी सदस्यता खत्म हो जाएगी। इसके बाद अगर रोहतक सीट पर राज्यसभा के लिए चुनाव होगा तो विधानसभा में वोटों के गणित से यह राज्यसभा सीट भाजपा के खाते में चली जाएगी। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान ये नहीं चाहता कि उनकी सीट हाथ से निकले। इसको लेकर कांग्रेस हाईकमान और हुड्‌डा पिता-पुत्र के बीच मंथन चल रहा है।

बता दें कि दीपेंद्र का राज्यसभा में कार्यकाल 2026 तक है। उनके रोहतक लोकसभा सीट से चुनाव जीतने की परिस्थिति में उनकी राज्यसभा सदस्यता 4 जून 2024 से समाप्त हो जाएगी। तब उनकी राज्यसभा सदस्यता का शेष कार्यकाल एक वर्ष से अधिक होगा।

हंलाकि अब अंतिम फैसला हुड्डा पिता-पुत्र और कांग्रेस हाईकमान पर निर्भर करेगा कि वह क्या चाहते हैं। रोहतक लोकसभा सीट को लेकर दो राहों में फंसी कांग्रेस पार्टी को इस पर जल्द फैसला लेना होगा।  वहीं बता दें कि काफी हद तक संभव है कि लोकसभा चुनाव में दीपेंद्र की जगह भूपेंद्र हुड्डा रोहतक सीट से उतर सकते हैं या फिर हुड्डा परिवार के किसी अन्य सदस्य को कांग्रेस प्रत्याशी बना सकती है। इस संवैधानिक पेंच के कारण न चाहते हुए भी हुड्डा को चुनावी समर में उतरना पड़ेगा। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस आलाकमान चाहता था कि राज्यों के सभी बड़े नेता इस लोकसभा चुनाव में भाग लें, लेकिन ऐसी जानकारी मिली थी कि भूपेंद्र हुड्डा लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर चुके हैं।    

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