एक ब्रेन डेड मरीज ने दी 5 को नई जिंदगी

Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 04 May, 2023 09:41 PM

brain dead patient donate organ to save five life

वीरवार को दिल्ली निवासी 62 वर्षीय ब्रेन डेड व्यक्ति विजय मेनन अपने 5 अंगों को दान कर 5 लोगों की नई जिदंगी दी। गुडगांव के नारायणा सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल में बुधवार के दिन मस्तिष्क में रक्तस्राव के कारण विजय मेनन को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था।

गुड़गांव, (ब्यूरो): वीरवार को दिल्ली निवासी 62 वर्षीय ब्रेन डेड व्यक्ति विजय मेनन अपने 5 अंगों को दान कर 5 लोगों की नई जिदंगी दी। गुडगांव के नारायणा सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल में बुधवार के दिन मस्तिष्क में रक्तस्राव के कारण विजय मेनन को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था।

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उनके निस्वार्थ भाव से जीवन जीने की भावना को देखते हुए उनके परिवार ने उनके जाने के बाद भी अन्य लोगों के जीवन को बचाने के लिए उनका अंगदान करने का निर्णय लिया। गहन जांच पडताल के बाद विशेषज्ञों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया। परिवार से अंगदान के बारे में परामर्श व स्वीकृति मिलने के बाद 5 जरूरतमंदों को ट्रांसप्लांट के द्वारा नया जीवनदान मिला।

 

शिवानी की हालत फिलहाल स्थिर है और उन्हें एक सप्ताह के अंदर अस्पताल से छुट्टी मिलने की उम्मीद है। दान किए गए अंगों में से किडनी, हृदय व कार्निया को नाटो के सहयोग से सरकारी व निजी अस्पतालों में प्रत्यारोपित किया गया। नाटो के माध्यम से ग्रीन कॉरिडोर द्वारा ट्रैफिक पुलिस, कानून व्यवस्था पुलिस व अन्य अधिकारियों के सहयोग से इन अंगों को स्थानांतरित किया गया। वही श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में किडनी ट्रांसप्लांट के प्रमुख डॉ. राजेश अग्रवाल ने बतासा कल रात 9.30 बजे के करीब गुरुग्राम के एक सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में एक ब्रेन डेड अंग दाता से किडनी सफलतापूर्वक निकाली गई। इसके लिए ग्रीन कॉरिडोर का उपयोग कर बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में 20 साल की शिवानी युवा लड़की में प्रत्यारोपित किया गया जो बीते 5 साल से डायलिसिस पर थी।

22 साल की लडकी में ट्रांसप्लांट

नारायणा सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल गुरुग्राम के मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने बताया कि भुवनेश्वर की रहने वाली 22 साल लड़की कंजेनिटल-क्रॉनिक लिवर डिजीज के कारण बचपन से पीड़ित थी जिसकी वजह से उसे घर से ही पढ़ाई करनी पड़ती थी।

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“ मेरे पिता एक निःस्वार्थ व्यक्ति थे। उन्होंने अपने अंगदान करने व दूसरों को नया जीवन देने के हमारे फैसले को अपनी मृत्यु के पहले ही संजोया होगा। तभी उनके इस महान कार्य से 5 लोगों को नया जीवनदान मिला है। हमें विश्वास है कि हमारे फैसले पर हमारे पिता को गर्व होगा।” मृतक अंगदाता की बेटी

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“ 1 मई को मेनन को बेहोशी की हालत में अस्पताल लाया गया। जिसके बाद उनका सिटी स्कैन कर आईसीयू में भर्ती किया गया। लेकिन घंटों बाद भी उनके मस्तिष्क के अंदर रक्तस्राव बंद नहीं हुआ। जिस कारण उनके मस्तिष्क ने काम करना बंद कर दिया।” डॉ. स्वदेश कुमार, मेडिकल सुपरिटेंडेंट नारायणा अस्पताल

 

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