Edited By Saurabh Pal, Updated: 28 Aug, 2024 03:49 PM
हरियाणा में धड़ों में बंटी कांग्रेस में जहां विधानसभा चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर कुमारी सैलजा और भूपेंद्र हुड्डा गुट आमने-सामने हैं। वहीं, अब भारतीय जनता पार्टी की हरियाणा इकाई ने भी अपनी ओर से राहुल गांधी से पार्टी के...
चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी): हरियाणा में धड़ों में बंटी कांग्रेस में जहां विधानसभा चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर कुमारी सैलजा और भूपेंद्र हुड्डा गुट आमने-सामने हैं। वहीं, अब भारतीय जनता पार्टी की हरियाणा इकाई ने भी अपनी ओर से राहुल गांधी से पार्टी के मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर नई मांग कर दी है। दअरसल सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक पोस्ट को हरियाणा बीजेपी के अधिकारिक फेसबुक पेज से पोस्ट किए जाने का दावा किया जा रहा है। वायरल हो रही पोस्टर में लिखा गया है "भाजपा ने तो पिछड़े वर्ग से मुख्यमंत्री बना दिया, ‘राहुल गांधी SC वर्ग का खूब पक्ष रख रहे हैं, ‘शैलजा जी को हरियाणा से मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित करे’ ‘ताकि पता चले वे समाज के कितने शुभचिंतक हैं।" इस पोस्ट को लेकर हालांकि बीजेपी के किसी नेता का कोई अधिकारिक बयान तो सामने नहीं आया है, लेकिन बीजेपी के फेसबुक पेज पर की गई इस पोस्ट के कईं मायने निकाले जा रहे हैं।
हाई कमान के लिए भी बनी सिरदर्द !
हरियाणा में गुटों में बंटी कांग्रेस पार्टी हाई कमान के लिए भी सिरदर्द का कारण बनी हुई है। हाई कमान की ओर से कईं बार सभी दिग्गज नेताओं को एक मंच पर इकट्ठा कर आपसी मनमुटाव भुलाकर एक साथ चुनाव लड़ने की सलाह भी दी जा चुकी है। इसके बावजूद कहीं ना कहीं हुड्डा और सैलजा गुट की ओर से कोई ना कोई बयान सामने आ ही जाता है, जिससे पार्टी में चल रही गुटबाजी सबके सामने आ जाती है।
सैलजा भी जता चुकी दावेदारी
हरियाणा में मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस की राज्यसभा सांसद कुमारी सैलजा पहले ही अपनी दावेदारी जता चुकी हैं। इतना ही नहीं वह विधानसभा चुनाव लड़ने की भी इच्छा जाहिर कर चुकी है। हालांकि वह इसका अंतिम फैसला हाई कमान पर छोड़ चुकी है। सैलजा का कहना था कि हर किसी की अपनी महत्वकांक्षा है और वह चाहती हैं कि वह विधानसभा चुनाव लड़े।
निकाल रहे अलग-अलग यात्रा
हरियाणा में विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। ऐसे में कांग्रेस की कुमारी सैलजा और भूपेंद्र हुड्डा के सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा अलग-अलग 2 राजनीतिक यात्राएं प्रदेश में निकाल रहे हैं। इतना ही नहीं दोनों नेताओं में आपस में कहीं कोई कम्युनिकेशन भी नहीं है।
राहुल खेल सकते हैं मास्टरस्ट्रोक
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी हरियाणा में किसी दलित को सीएम कैंडिडेट घोषित कर मास्टरस्ट्रोक खेल सकते हैं। हालांकि वह नाम कुमारी सैलजा का होगा या किसी और नेता का, इसका फैसला तो राहुल गांधी ही लेंगे, लेकिन ऐसा करना कांग्रेस के लिए कई स्तरों पर फायेदमंद साबित हो सकता है।
लग जाएगी राहुल की बात पर मुहर
अगर कांग्रेस हरियाणा में दलित सीएम कैंडिडेट घोषित कर देती है तो समझिए कि राहुल गांधी की उन बातों पर मुहर लग जाएगी जिसमें वो दलितों के लिए बार बार हमदर्दी जताते रहे हैं, जिस तरह राहुल गांधी ने संविधान बचाओ को मुद्दा बनाया, बजट निर्माण के दौरान हलवा सेरेमनी में दलित और पिछड़े अफसरों को शामिल नहीं करने की बात उठाई, जिस तरह वे अपनी हर स्पीच में जातिगत जनगणना की डिमांड कर रहे हैं, जिस तरह उनकी हर स्पीच में दलितों और कमजोर वर्गों के हित की बात होती है, यह फैसला आम लोगों के उन पर भरोसे को पुख्ता करेगा। यह राहुल गांधी के व्यक्तित्व के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। अभी राहुल गांधी जब ऐसी बातें करते हैं तो सवाल उठता है कि वो केवल बातें करते हैं, हकीकत में कुछ नहीं कर रहे हैं। पर पंजाब में सीएम कैंडिडेट के रूप में दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी का नाम आगे बढा़ने के बाद यह दूसरा मौका होगा जब राहुल गांधी एक दलित सीएम कैंडिडेट घोषित करेंगे। इसके पहले कर्नाटक में भी सिद्धारमैया जो दलित समुदाय से आते हैं को कांग्रेस सीएम बना चुकी है। दलित नेता मल्लिकार्जुन खरगे को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने पहले ही अपने इरादे जता दिए थे। अगर हरियाणा में दलित सीएम बनता है तो यह कांग्रेस के लिए भविष्य में पश्चिमी यूपी, दिल्ली, और पंजाब के लिए भी फायदेमंद साबित होगा।
90 में से 17 सीट रिजर्व
हरियाणा में 19 प्रतिशत दलित वोट को साधने के लिए दलित सीएम कैंडिडेट का बड़ा फैसला पार्टी के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है। राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 17 विधानसभा सीटें रिजर्व हैं। बहुमत हासिल करने के लिए कुल 46 सीट जीतनी जरूरी है। जाहिर है कि किसी दलित सीएम कैंडिडेट के नाम पर प्रदेश के दलितों का वोट एकमुश्त मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। कांग्रेस ने इसके पहले चौधरी उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दलितों का लुभाने का पहला कदम चल चुकी है। दलितों का कुछ वोट हरियाणा में बीएसपी को भी मिलता रहा है। बीएसपी ने राज्य में इनेलो के साथ गठबंधन किया है। वहीं, बीजेपी भी दलित वोट मिलने का दावा करती रही है।
यात्राओं में बताया जा रहा सीएम कैंडिडेट
सैलजा की यात्राओं में उन्हें प्रदेश में सीएम का कैंडिडेट बताया जा रहा है, जबकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा की यात्राओं में दीपेंद्र हुड्डा को सीएम कैंडिडेट बताया जा रहा है। हुड्डा गुट को प्रदेश के 4 सांसदों का समर्थन हासिल है, जबकि सैलजा के साथ कोई सांसद नहीं है पर चौधरी बीरेंद्र सिंह और रणदीप सुरजेवाला उनके साथ हैं। ऐसे में कुमारी शैलजा की बेदाग छवि और उनका महिला होना भी उनके पक्ष में जा सकता है। सोनिया गांधी से उनकी नजदीकी भी जगजाहिर है।
अपनाया जा सकता है कर्नाटक का फार्मूला
कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के विजय के पीछे राज्य के वर्तमान डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण थी पर सीएम सिद्धरमैया को बनाया गया। इसके पीछे 2 कारण काम कर रहे थे। पहला सिद्धारमैया का दलित होना और दूसरा डीके शिवकुमार पर ईडी और सीबीआई के मामलों का होना। कांग्रेस इस बात को अच्छी तरह समझती है कि मौजूदा हालात में ईडी किसी भी मुख्यमंत्री को जेल भेज सकती है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के केस में हम देख चुके हैं। चूंकि भूपिंदर सिंह हुड्डा पर भी सीबीआई और ईडी के केस दर्ज हैं इसलिए कभी भी उनको जेल की हवा खानी पड़ सकती है। दूसरे हुड्डा की नजदीकियां राबर्ट वाड्रा से रही हैं। हुड्डा के चलते ही राबर्ट वाड्रा का नाम कई मामलों में घसीटा गया है। कांग्रेस कभी नहीं चाहेगी कि अब फिर से पुराने गड़े मुर्दे उखाड़े जाएं। हालांकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा इन्हीं सब बातों के चलते अपने नाम के बजाय सीएम कैंडिडेट के लिए अपने बेटे का नाम आगे बढ़ा रहे हैं। खैर देखना होगा कि बीजेपी के सोशल मीडिया हैंडल के नाम पर कांग्रेस के मुख्यमंत्री के रूप में कुमारी सैलजा का नाम आगे बढ़ाए जाने पर बीजेपी या फिर कांग्रेस की ओर से क्या प्रतिक्रिया सामने आती है।
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