Haryana Assembly Election: उम्मीदवारों की घोषणा में भाजपा और कांग्रेस फूंक फूंक कर कदम रख रही हैं, जानें ऐसा क्यों...

Edited By Saurabh Pal, Updated: 01 Sep, 2024 10:16 PM

bjp and congress are taking special care in issuing tickets in haryana

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की तारीख नजदीक आती जा रही है। हालांकि चुनाव आयोग द्वारा मतदान की तिथि को एक अक्टूबर से बढ़ाकर पांच अक्टूबर तक कर दिया है। नामांकन दाखिल करने व नाम वापस लेने की तिथि...

चंडीगढ़(सतीश मेहरा): हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की तारीख नजदीक आती जा रही है। हालांकि चुनाव आयोग द्वारा मतदान की तिथि को एक अक्टूबर से बढ़ाकर पांच अक्टूबर तक कर दिया है। नामांकन दाखिल करने व नाम वापस लेने की तिथि में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। मतदान की तिथि के बदलाव के बाद भी पांच सितंबर से ही नामांकन शुरू किया जा सकेगा और 12 सितंबर तक नामांकन भरे जा सकेंगे । इसके बाद 16 सितंबर तक नाम वापस लेने की अंतिम तारीख है। सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम तय करने की प्रक्रिया भी तेज कर दी है।

सूत्रों से पता चला है कि क्षत्रपों के साथ-साथ सभी राष्ट्रीय पार्टियां भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों का पहला पैनल तैयार कर लिया है। यहां तक की भारतीय जनता पार्टी ने तो अपने 60 उम्मीदवारों  के नाम भी तय कर लिए हैं, वहीं कांग्रेस पार्टी भी इसमें पीछे नहीं है। कांग्रेस ने भी अपने 55 उम्मीदवारों के नामों की सूची को अंतिम रूप दे दिया है।‌ इस सबके बावजूद दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियां भाजपा व कांग्रेस अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करने से बच रही हैं। दोनों ही पार्टियों को भारी दल बदल और भगदड़ का खतरा नजर आ रहा है। इसी खतरे से बचने के लिए पार्टियां अपनी  प्रतिद्वंदी पार्टी की सूची जारी होने के इंतजार में हैं, ताकि दूसरी पार्टी के टिकट से वंचित प्रभावी नेताओं व कार्यकर्ताओं को अपने पाले में लाया जा सके। साथ ही साथ उम्मीदवारी को देखकर जातीय समीकरण भी साधा जा सके।

सूची जारी करने के मामले में भारतीय जनता पार्टी बहुत ही फूंक फूंक कर कदम रख रही है,क्योंकि भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में पहले टिकट वितरण की घोषणा करने का खामियाजा भुगत चुकी है। भाजपा नेताओं का भी मानना है कि  लोकसभा चुनाव में उन्हें भीतरघात का सामना करना पड़ा है, जिसकी वजह से लोकसभा चुनाव में पांच सीटों पर हार का दंश झेलना पड़ा। बताया जा रहा है कि टिकट वितरण के कारण ही एक सितंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का जींद दौरा रद्द हुआ है। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल जननायक जनता पार्टी छोड़ चुके पूर्व विधायकों को भाजपा की टिकट देने का समर्थन कर रहे हैं। दूसरी ओर अमित शाह जजपा नेताओं को टिकट दिलाने के पक्षधर नहीं है। इसके इतर एक सितंबर को जींद में आयोजित जन आशीर्वाद रैली में जजपा के पूर्व विधायक रामकुमार गौतम, जोगीराम सिहाग व अनूप धानक भाजपा में शामिल हुए हैं। ये तीनों पूर्व  विधायक भाजपा से टिकट के चाहवान हैं। दल-बदल व जॉइनिंग के कारण ही भाजपा में उम्मीदवारों की घोषणा की देरी हो रही है।

कांग्रेस पार्टी भी लोकसभा चुनाव की तरह ही भाजपा की सूची का इंतजार कर रही है। इसी के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी जातीय समीकरण साध कर ही अपने नेताओं व कार्यकर्ताओं को मैदान में उतारेगी।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट वितरण पर आम जन का मानना है कि पार्टी ने टिकटों का वितरण जातीय समीकरण साध कर किया था और जिताऊ उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। इससे पार्टी को फायदा मिला और पांच उम्मीदवारों को जीत मिली। इसके साथ-साथ वोट प्रतिशत में भी जबरदस्त इजाफा हुआ 2019 में कांग्रेस पार्टी को जहां मात्र 28 प्रतिशत वोट मिले थे वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में 46 प्रतिशत वोट मिले।

राजनीतिक पार्टियों में गुटबाजी की बात की जाए तो कांग्रेस को जहां संगठन के मामले में गुटबाजी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं टिकट वितरण में भी नेताओं की गुटबाजी दिन-ब-दिन और बढ़ती जा रही है। कांग्रेस पार्टी की टिकट के चाहवान नेता दिल्ली में अपने-अपने नेताओं भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा के आवासों पर भारी संख्या में डेरा डाले बैठे हैं। दोनों ही पक्ष अपने समर्थकों के लिए ज्यादा से ज्यादा टिकट पाने की कवायद में हैं, क्योंकि दोनों ने मुख्यमंत्री बनने का नंबर गेम भी साधना है। जिस नेता के विधानसभा में विधायक ज्यादा होंगे वही मुख्यमंत्री का प्रबल दावेदार होगा। उम्मीदवारों की सूची जारी करना दोनों ही पार्टियों के गले की फांस बनता जा रहा है।

भाजपा के जहां 2443 नेताओं ने उम्मीदवारी के लिए आवेदन किया है, वहीं कांग्रेस में उससे भी ज्यादा 2556 नेता व कार्यकर्ताओं ने टिकट पाने का आवेदन किया है। ऐसे में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से 30 से 40 नेताओं ने उम्मीदवारी जताई है अब देखना यह है कि सभी पार्टियां टिकट से वंचित रहे नेता व कार्यकर्ताओं को किस प्रकार संतुष्ट कर पाएंगी। यह पार्टियों के लिए आसान काम नहीं होगा।

लेखक-राजनीतिक विश्लेषक हैं।

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