बच्चों को बर्बाद कर रही है ‘ठेके खोलो, स्कूल बंद करो’ की पॉलिसी: भूपेंद्र हुड्डा

Edited By Shivam, Updated: 05 Feb, 2020 01:14 AM

bhupinder singh hooda statement on pgi report

पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने युवाओं के साथ बच्चों में नशे के बढ़ते चलन पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि पहले एनसीआरबी और अब रोहतक पीजीआई के आंकड़े परेशानी बढ़ाने वाले हैं।

चंडीगढ़ (धरणी): पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने युवाओं के साथ बच्चों में नशे के बढ़ते चलन पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि पहले एनसीआरबी और अब रोहतक पीजीआई के आंकड़े परेशानी बढ़ाने वाले हैं। 

पीजीआई की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 4 साल के दौरान नशे के आदि स्कूली बच्चों की तादाद में 12 गुणा बढ़ोत्तरी हुई है। पीजीआई में हुई एक स्टडी के मुताबिक 2016 में 18 नशे के आदि बच्चे इलाज के लिए आए थे, जिनकी उम्र 14 से 19 साल के बीच थी। लेकिन 2019 के आखिरी तक ये आंकड़ा बढ़कर 209 हो गया। करीब 12 गुणा की ये बढ़ोत्तरी पूरे हरियाणा को परेशान करने वाली है। 20 से 25 साल की उम्र के युवाओं में बढ़ती नशे की लत का भी रिपोर्ट में जि़क्र है। पीजीआई में साल 2016 के दौरान इलाज के लिए 267 युवा आए। 2019 तक ये आंकड़ा बढ़कर 451 हो गया। 

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि ये तो सिर्फ वो मामले हैं जो पीजीआई तक पहुंचे हैं, क्योंकि पीजीआई तक अति गंभीर मामले ही पहुंच पाते हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि अन्य अस्पतालों और नशा मुक्ति केंद्रों में पहुंचने वाले बच्चों और युवाओं की तादाद इससे कहीं ज़्यादा होगी। उससे भी बड़ी तादाद उन लोगों की होगी, जो ऐसी लत का इलाज ही नहीं करवाते। 

नेता प्रतिपक्ष ने हाल ही में आई राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) का भी हवाला दिया। इसके मुताबिक हरियाणा नशे की वजह से मौत के मामले में पंजाब को भी पीछे छोड़ चुका है। साल 2018 के दौरान हरियाणा में एनडीपीएस के 2,587 मामले सामने आए जो उत्तर भारत में सबसे ज्यादा है। हरियाणा में नशे से 86 लोगों की मौत हुई जबकि पंजाब में इससे कम 78 मौतें हुई। इसी तरह नकली शराब पीने से 162 लोगों की मौत हुई थी। 

हालात कितने खतरनाक हो चुके हैं, इसका अंदाजा सिरसा जिले की रिपोर्ट से भी लगाया जा सकता है। वहां के जिला स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक साल 2014 के दौरान 1,405 ड्रग एडिक्ट इलाज के लिए आए थे। लेकिन 2018 में ये संख्या बढ़कर 18,551 हो गई थी। ये सीधे तौर पर 13 गुणा की बढ़ोत्तरी है। इससे भी ख़तरनाक बात ये है कि ड्रग एडिक्ट्स में पहले 25 से 30 साल की उम्र के युवा ज्यादा होते थे लेकिन अब 15-20 साल के किशोरों की तादाद ज्यादा होती है। 

उन्होंने कहा कि सिरसा समेत हरियाणा के कई जि़लों में चिट्टे का कारोबार चरम पर है। खुद सरकार का मानना है कि सिरसा के साथ पंजाब से लगते फतेहाबाद, कैथल और अंबाला जि़ले में ऐसा नशा बिक रह है। कई जगह ख़ुद बीजेपी के नेताओं पर ही नशे के कारोबार में संलिप्तता के आरोप लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रदेश में बढ़ते नशे के चलन और कारोबार के लिए सरकार की नीयत और नीति को जि़म्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि सरकार की नीति ‘ठेके खोलो और स्कूल बंद करो’ वाली है। इन्हीं विनाशकारी नीतियों की बदौलत प्रदेश के युवा बेरोजग़ारी के चलते और स्कूली बच्चे बेहतर शिक्षा नहीं मिलने की वजह से नशे के आगोश में समा रहे हैं। 

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