बरोदा का जनादेश आज: ‘मंगल’ का किसपे होगा ‘वार' और किसका होगा बेड़ा पार?

Edited By Shivam, Updated: 10 Nov, 2020 07:54 AM

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बरोदा विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव के फैसले की घड़ी आ ही गई है। मंगलवार दोपहर तक न केवल हार-जीत को लेकर बन-बिगड़ रही तस्वीर साफ हो जाएगी, बल्कि यह भी पता लग जाएगा कि किसपे मंगल का ‘वार’ होगा और किसके लिए मंगलवार मंगलमय होगा?

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा): बरोदा विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव के फैसले की घड़ी आ ही गई है। मंगलवार दोपहर तक न केवल हार-जीत को लेकर बन-बिगड़ रही तस्वीर साफ हो जाएगी, बल्कि यह भी पता लग जाएगा कि किसपे मंगल का ‘वार’ होगा और किसके लिए मंगलवार मंगलमय होगा? 

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि बरोदा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के सामने आने वाले परिणाम से बेशक सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा मगर हार-जीत जितना कांग्रेस, इनैलो व अन्य दल पर प्रभाव डालेगी उतना ही असर भाजपा-जजपा पर भी होगा क्योंकि बरोदा सीट पर कमल खिलाने के लिए सत्तारुढ़ भाजपा-जजपा ने विकास के नाम पर पूरा जोर लगाया, ताकि पहली बार जाट लैंड पर कमल खिलाया जा सके तो वहीं बरोदा कांग्रेस और इनैलो का गढ़ रहा है तो ऐसे में इनैलो और कांग्रेस के लिए भी यह साख का सवाल है। 

मतदान के बाद से सभी राजनीतिक दलों के नेताओं और उम्मीदवारों ने अपनी-अपनी जीत के दावे भी किए हैं, लेकिन अब यह तो मंगलवार को ई.वी.एम. में कैद ‘जनादेश’ से ही साफ होगा कि प्रतिष्ठा, साख और नाक का सवाल बने इस बरोदा उपचुनाव में जीत का सेहरा किसके सर बंधता है? 

ऐसे बना है सबका चुनावी गणित
गौरतलब है कि बीते मंगलवार को बरोदा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के लिए कुल 180529 मतदाताओं वाले बरोदा में 68 प्रतिशत मतदान हुआ। राजनीतिक पर्यवेक्षकों को इस उपचुनाव में पिछले चुनावों की अपेक्षा अधिक मतदान होने का अनुमान था और राजनीतिक हलकों में भी यही कयास था कि वोटिंग प्रतिशत काफी अधिक होगी, लेकिन मतदान अपेक्षाकृत कम हुआ।

मतदान के बाद सभी उम्मीदवारों एवं राजनीतिक पार्टियों ने बूथ वाइज हुए मतदान के आधार पर अपना अपना चुनावी गणित तैयार कर भावी परिणाम तय किया और अभी तक हर उम्मीदवार ने इस मतदान प्रतिशत के तहत अपनी-अपनी जीत के दावे भी किए हैं। लेकिन अब फैसले की घड़ी आ गई है और देखना ये होगा कि किसके दावे की निकलती है हवा निकली और किसके दावे में रहता है दम?

इसलिए अहम है बरोदा
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि बरोदा उपचुनाव के फैसले का हर किसी को बेसब्री से इंतजार है और चाहत यही है कि जल्द ही मंगलवार को ईवीएम खुले और परिणाम सामने हो। चूंकि बरोदा सीट का यह परिणाम सभी राजनीतिक दलों के लिए बड़ा अहम है। पिछले विधानसभा चुनाव में तस्वीर कुछ और थी क्योंकि भाजपा, जजपा, कांग्रेस, इनैलो व लोसुपा सहित कई पाॢटयां एक दूसरे के आमने-सामने चुनावी दंगल में थीं लेकिन इस उपचुनाव में स्थिति ये थी कि जो जजपा विधानसभा चुनाव में भाजपा के  खिलाफ लड़ रही थी वो अबके चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन के तहत चुनावी अखाड़े में उतरी और वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा व जजपा का भी प्रदर्शन अच्छा रहा था। हालांकि जीत कांग्रेस की हुई थी। 

पर्यवेक्षकों का मानना है कि अब भाजपा-जजपा के एक साथ होने से भी सत्तारुढ़ दल को इस चुनाव में काफी उम्मीद बंधी हुई है तो उधर, कांग्रेस व इनेलो का यह क्षेत्र गढ़ माना जाता रहा है और इन दोनों दलों ने भी इस उपचुनाव में अपनी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए न केवल पूरा जोर लगाया अपितु कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इसे चौधर से जोड़ते हुए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया और वहीं इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने अपनी जीत के साथ ही मध्यावधि चुनाव होने के दावे पर चुनावी प्रचार में साख को जोड़े रखा। 

पर्यवेक्षकों के अनुसार चुनौती, प्रतिष्ठा, साख और नाक व अग्निपरीक्षा के रूप में लड़ा गया यह चुनाव भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ के लिए भी बड़ा अहम है क्योंकि उनके नेतृत्व में यह पहला उपचुनाव है और वह भी तब जब उनकी पार्टी की सरकार है। इसलिए बरोदा सीट का परिणाम उनके भविष्य के लिए भी बहुत कुछ तय करेगा।

इनका अपना है आंकलन
भले ही उम्मीदवारों से लेकर राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपना अपना चुनावी गणित बनाते हुए अपने स्तर पर परिणाम को भांप लिया हो अथवा जीत के दावे किए गए हों लेकिन सियासत पर सट्टा लगाने वाले ‘बाजार’ का अपना ही एक आंकलन है। सट्टा बाजार शुरूआती दौर से लेकर मतदान के बाद तक कांग्रेस को फेवरेट बता रहा है। हालांकि मतदान से पहले हार-जीत में काफी अंतर के आधार पर दांव लगाए और लगवाए जा रहे थे, लेकिन मतदान प्रतिशत कम होने के कारण सटोरियों ने भी भाव में फेरबदल कर इस अंतर को कम जरूर कर दिया है मगर फेवरेट कांग्रेस को ही माना जा रहा है। 

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि उम्मीद और दावे व सटोरियों की भविष्यवाणी अपनी जगह पर है, मगर परिणाम कुछ भी हो सकता है और ऐसी संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। फिलहाल मंगलवार का इंतज़ार उम्मीदवार व सभी पार्टियों के नेता बड़ी बेसब्री से करते नजऱ आ रहे हैं।

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