Edited By Parminder Kaur, Updated: 05 Oct, 2024 02:03 PM
भारतीय कुश्ती की दुनिया में फोगाट परिवार का नाम हमेशा से प्रमुख रहा है। महावीर सिंह फोगाट और उनकी बेटियां बबीता और गीता ने भारतीय कुश्ती में एक खास पहचान बनाई है। लेकिन अब विनेश फोगाट ने अपने प्रदर्शन से इस परिवार का नाम और भी ऊंचा किया है। यह सच है...
हरियाणा डेस्क. भारतीय कुश्ती की दुनिया में फोगाट परिवार का नाम हमेशा से प्रमुख रहा है। महावीर सिंह फोगाट और उनकी बेटियां बबीता और गीता ने भारतीय कुश्ती में एक खास पहचान बनाई है। लेकिन अब विनेश फोगाट ने अपने प्रदर्शन से इस परिवार का नाम और भी ऊंचा किया है। यह सच है कि विनेश ने अपनी चचेरी बहनों बबीता और गीता की तुलना में अधिक लोकप्रियता हासिल की है। शायद यही कारण है कि 'दंगल गर्ल' के नाम से मशहूर फोगाट सिस्टर्स इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रही हैं और अक्सर विनेश पर निशाना साधती रहती हैं। अब स्थिति और भी दिलचस्प हो गई है क्योंकि विनेश ने कुश्ती छोड़कर राजनीति में कदम रखा है और जुलाना से हरियाणा विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रही हैं। इसी बीच बबीता फोगाट ने एक बार फिर से विनेश पर निजी हमला किया हैं।
बबीता ने कहा कि उनके पिता महावीर सिंह फोगाट ने विनेश को व्यक्तिगत कठिनाइयों से उबरने में मदद की और उन्हें भारत की सबसे सम्मानित पहलवानों में से एक बनाया। बबीता का यह बयान फोगाट परिवार के बीच चल रही प्रतिद्वंद्विता को एक बार फिर से सुर्खियों में ले आया है।
बबीता ने सुशांत सिन्हा के पॉडकास्ट में कहा- मैंने अपने पिता को जिंदगी में केवल तीन बार रोते हुए देखा है। सबसे पहले जब मेरी और मेरी बहनों की शादी हुई। दूसरा जब मेरे चाचा की मृत्यु हो गई और तीसरा जब विनेश ओलंपिक में डिस्क्वालिफाई हो गईं, जब मेरे चाचा की मृत्यु हो गई, तो विनेश और उनके दोनों भाई-बहनों ने अचानक कुश्ती छोड़ दी। मेरे पिता उनके घर गए और उन्हें कुश्ती में वापस लाने के लिए उनकी मां से लड़ाई की कल्पना कीजिए कि उन्होंने विनेश को पहलवान बनाने के लिए कितनी मेहनत की है लेकिन उन्होंने उस गुरु को छोड़कर सभी को धन्यवाद दिया।
बता दें विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक की 50 किलोग्राम कुश्ती स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने के बाद डिस्क्वालिफाई कर दिया गया। 30 वर्षीय पहलवान का स्वर्ण पदक मैच के दिन वजन 100 ग्राम अधिक पाया गया था। इसके बाद विनेश ने संयुक्त रजत पदक के लिए कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (सीएएस) में अपील की, लेकिन उनकी अपील खारिज कर दी गई। इस नतीजे के बाद विनेश ने कुश्ती से संन्यास लेने का निर्णय लिया। यह घटना न केवल विनेश के लिए बल्कि भारतीय कुश्ती के लिए भी एक बड़ा झटका है। उनके इस फैसले ने खेल जगत में हलचल मचा दी है और उनके प्रशंसकों को निराश किया है।
बबीता ने आगे कहा- आपने देखा होगा जब शूटर मनु भाकर अपने ओलंपिक पदक के साथ घर लौटीं, तो उनके कोच उनके साथ थे। इसी तरह पहलवान अमन सहरावत अपने पदक के साथ वापस आए और उनके साथ उनके कोच थे, लेकिन जब विनेश लौटीं, तो दीपेंद्र हुड्डा उनके साथ थे. लोगों के लिए बेहतर यही होगा कि वे उन्हें (दीपेंद्र को) द्रोणाचार्य पुरस्कार दे दें। मेरा मानना है कि अगर मेरे पिता हवाईअड्डे पर उनके साथ खड़े होते तो इस बात को लेकर इतना विवाद नहीं होता।
जानकारी के लिए बता दें विनेश फोगाट के खिलाफ बृजभूषण सिंह के विरोध प्रदर्शन में टोक्यो ओलंपिक के ब्रॉन्ज मेडलिस्ट बजरंग पुनिया भी उनके साथ थे। बजरंग गीता और बबीता फोगाट के बाद फोगाट परिवार के तीसरे नंबर की बेटी संगीता के पति हैं, जब विनेश को पेरिस ओलंपिक में डिस्क्वालिफाई किया गया, तब भी बजरंग उनके साथ खड़े रहे। भारत वापसी पर आईजीआई एयरपोर्ट से बलाली तक हुए रोडशो के दौरान भी वे गाड़ी में विनेश के साथ थे। विनेश के डिस्क्वालिफाई होने के बाद संगीता ने भी एक भावुक संदेश सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। हालांकि, द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता महावीर फोगाट ने विनेश के स्वागत कार्यक्रम में भाग लिया और अपनी भतीजी को गले लगाया। विनेश ने भी अपने चाचा के प्रति सम्मान दिखाते हुए उनके पैर छुए। इस घटना ने फोगाट परिवार की एकजुटता और एक-दूसरे के प्रति समर्थन को दर्शाया है, जो खेल जगत में एक महत्वपूर्ण संदेश है।