Edited By vinod kumar, Updated: 03 Apr, 2020 03:39 PM
बंद है खिड़कियां कोई खोलता नहीं, सब हुए है मौन कोई बोलता नहीं। यह स्थिति है झज्जर जिले के उस गांव बाढ़सा की जहां की पचास मीटर की दूरी पर निजामुद्दीन के तबलीगी जमात के 120 लोगों को एम्स टू की आवासीय काॅलोनी में लाकर क्वारंटाइन किया गया है।
झज्जर(प्रवीण कुमार): बंद है खिड़कियां कोई खोलता नहीं, सब हुए है मौन कोई बोलता नहीं। यह स्थिति है झज्जर जिले के उस गांव बाढ़सा की जहां की पचास मीटर की दूरी पर निजामुद्दीन के तबलीगी जमात के 120 लोगों को एम्स टू की आवासीय काॅलोनी में लाकर क्वारंटाइन किया गया है।
इसी सप्ताह लाए गए इन लोगों के यहां आने के बाद से गांव बाढ़सा में उन लोगों की मनो स्थिति थोड़ी खराब हो गई है जोकि इनके आने से पहले काफी खुशहाल जिंदगी को गुजर-बसर किया करते थे। मौजूदा समय में गांव का हर व्यक्ति सहमा हुआ है और इस बात को लेकर ज्यादा चिंतित है कि यदि यह वायरस गांव में फैल गया तो पूरा गांव बर्बाद हो जाएगा।
गांव की महिला सरपंच के परिवार के अलावा अन्य लोगों ने गांव के सैकड़ों युवाओं की सेफ्टी को लेकर भी सवाल उठाए है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव के करीब तीन सौ से ज्यादा युवा एम्स टू में सिक्योरिटी गार्ड, साफ-सफाई सहित अन्य कार्यों के लिए लंबे समय से काम कर रहे हैं। इसकी सूचना के बाद से ही बाढ़सा गांव के लोग अपने घरों में दुबके है और इस महामारी से बचाव के लिए भगवान से प्रार्थना भी कर रहे है।
गांव की महिला सरपंच के परिवार के ही जोगिंद्र ने नम आंखों से बताया कि उनका पूरा का पूरा गांव मौजूदा समय में बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है। सरकार जल्द से जल्द उनके गांव के युवाओं के अलावा पूरे गांव की सेफ्टी करने के लिए कदम उठाए।
उधर, गांव के अन्य ग्रामीणों ने यह भी कहा कि यहां पर काम करने वाले युवाओं को रिश्वत देने की भी निरन्तर कोशिश की जा रही है। ग्रामीणों ने गांव बाढ़सा को अतिरिक्त सिक्योरिटी दिए जाने की भी मांग की है।