कुमारी सैलजा  खुद ये बयान दे रही हैं की कांग्रेस में लोकसभा चुनाव की टिकटों में धांधली हुई:प्रवीण अत्रे

Edited By Isha, Updated: 19 Jun, 2024 07:18 PM

kumari sailja herself is giving the statement

पूर्व मंत्री किरण चौधरी के अपनी बेटी श्रुति चौधरी के साथ बीजेपी में शामिल होने के बाद से लगातार राजनीतिक बयानबाजी का सिलसिला जारी है। एक ओर जहां कांग्रेस के नेताओं कि ओर से इसे पीठ में छुरा घोंपने

 चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): पूर्व मंत्री किरण चौधरी के अपनी बेटी श्रुति चौधरी के साथ बीजेपी में शामिल होने के बाद से लगातार राजनीतिक बयानबाजी का सिलसिला जारी है। एक ओर जहां कांग्रेस के नेताओं कि ओर से इसे पीठ में छुरा घोंपने की संज्ञा दी जा रही है। वहीं, बीजेपी के नेता उनके इस फैसले का स्वागत कर रहे है। इसी मुद्दे को लेकर हरायणा के मुख्यमंत्री के मीडिया सचिव प्रवीण अत्रे से कई मुद्दों पर सवाल किए। अत्रे ने भी बेबाकी के साथ हर सवाल का जवाब दिया और दावा किया कि 2024 के चुनाव के बाद हरियाणा में कांग्रेस नाम की पार्टी नही बचेगी।

सवालः- किरण चौधरी के रूप में बड़ी विकेट गिरी। श्रुति चौधरी कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष अब भाजपाई हो चुके हैं।
जवाबः-
क्रिकेट की भाषा में बात करें तो बहुत बड़ी विकेट गिरी। अगर राजनीति की भाषा में बात करें तो किरण चौधरी और श्रुति चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का जो संकल्प लिया है, उस विकास यात्रा में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है। भारतीय जनता पार्टी में आकर उन्होंने ये सुनिश्चित किया है कि देश की गोरवगाथा, जो विकास यात्रा प्रधानमंत्री मोदी ने शुरू की है, उसमें उनकी भी भागीदारी हो। हरियाणा में 2024 के बाद कांग्रेस नहीं रहेगी। कांग्रेस अपने ही बोझ के नीचे दबकर हरियाणा में खत्म हो जाएगी। ये उसकी शुरूआत है, क्योंकि चौधरी बंसीलाल परिवार जो कांग्रेस के बड़े नेता रहे हैं, पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं, पूर्व पक्षा मंत्री रहे हैं और हरियाणा के विकास पुरुष जिन्हें कहा जाता है। उसे शख्सियत के परिवार के सदस्य उनकी पुत्रवधू किरण चौधरी के साथ कांग्रेस में ऐसे हालात बना दिए गए कि उन्हें कांग्रेस छोड़कर बीजेपी को ज्वाइन  करना पड़ा।

सवालः- हरियाणा की राजनीति में चार लाल रहे, 3 लाल तो अतीत हो चुके हैं। अब उन लालों के लाल उनके वंशज आज मनोहर लाल के झंडे के नीचे खड़े नजर आ रहे हैं।
जवाबः-
बिल्कुल सही कहा आपने, हरियाणा की राजनीति में चौधरी देवीलाल, बंसीलाल, भजनलाल और मनोहर लाल 4 का ही जिक्र होता है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 2014 में प्रदेश का मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद जो काम किए, जिस तरह से हरियाणा प्रदेश का समान व कास किया। पहले से चली आ रही भाई-भतीजवाद, क्षेत्रवाद और भ्रष्टाचार जैसी वयवस्थाओं को पूरी तरह से खत्म किया। हरियाणा की जनता को एक पारदर्शी सरकार दी। हरियाणा में होने वाली नौकरियां की बंदरबांट को खत्म करके बिना पर्ची-खर्ची बच्चों को योग्यता के अनुसार नौकरी मिलना सुनिश्चित किया। ट्रांसफर उद्योग जैसे काम को पूरी तरह से बंद कर दिया। ऑनलाइन ट्रांसफर शुरु की। इस परिवर्तन का नतीजा हुआ कि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल एक मात्र हरियाणा के ऐसे मुख्यमंत्री है, जिन्होंने 5 साल सरकार चलाने के बाद चुनाव में जाने पर पहले से ज्यादा वोट लेकर दोबारा सरकार बनाई।

सवालः- पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा कह रहे हैं कि सरकार अल्पमत में है। राज्यपाल को ज्ञापन देने के लावा प्रदर्शन  भी करने जा रहे हैं।
जवाबः
-भूपेंद्र हुड्डा इस विषय पर जुबानी जमा खर्च कर रहे हैं। केवल बयानबाजी कर रहे हैं। इससे ज्यादा कुछ नहीं। वह ज्ञापन देने की बात करते हैं। हम बार-बार एक सवाल हुड्डा से पूछते हैं कि पहले वह अपने कांग्रेस के विधायकों को इकट्ठा करके दिखा दें। सभी विधायकों से एक कागज पर हस्ताक्षर लेकर दिखा दें। हम तो सार्वजनिक मंचों से लगातार कह रहे हैं कि ये सरकार पूर्ण बहुमत की सरकार है। हमें कहीं भी साबित करना पड़ा तो हम अपना बहुमत साबित करेंगे, लेकिन इस तरह की बयानबाजी करने वाले नेताओं से हमारा सीधा सवाल है कि आप पहले अपनी पार्टी के विधायकों को तो इकट्ठा कर लीजिए।

सवालः- पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा कहते हैं कि यदि कांग्रेस सत्ता में आई तो जन विरोधी पोर्टल बंद कर दिए जाएंगे।
जवाबहः- देखिए, भूपेंद्र हुड्डा की समस्या क्या है, ये हमें समझना होगा, जिस कांग्रेस को ये आदत थी या यूं कहें कि जिस कांग्रेस की संस्कृति थी, जिस कांग्रेस का ये स्वभाव था कि प्रदेश के संसाधनों की लूट करो। नौकरियों की बंदरबांट करो। तबादला उद्योग जैसा उद्योग चलाए, जिसमें अपनी ट्रांसफर के लिए पैसे देने पड़ते हो। योग्य की बजाए पैसे लेकर नौकरी के काम को बढ़ावा दिया जाए। ऐसी संस्कृति जिस कांग्रेस की रही हो, वोह कांग्रेस कैसे बर्दाश्त करेगी।

सवालः- किरण और श्रुति का बीजेपी में शामिल होना कितना बड़ा झटका मानते हैं ?
जवाबः-
आप ये मानकर चले की कांग्रेस खत्म होने की कगार पर पहुंच चुकी है। 2024 के चुनाव के बाद बिल्कुल खत्म हो जाएगी।

सवालः- SRK ग्रुप में से K निकल गया, अब BSR ग्रुप हो जाएगा, यानि बीरेंद्र सिंह चले गए बीजेपी छोड़कर।
जवाबः
-आपको, एक चीज और ध्यान देनी प़ड़ेगी। कुमारी सैलजा ने परसो खुद ये बयान देकर बताया था कि कांग्रेस में लोकसभा चुनाव की टिकटों में धांधली हुई। लोकसभा चुनाव की टिकटें सही तरह से नहीं बंटी। ये बात कांग्रेस की बड़ी नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कही है। आज किरण चौधरी ने इस्तीफा दिया तो उन्होंने इस्तीफे में क्या लिखा, उसी व्यक्ति को दोषी करार दिया, जिसे कुमारी सैलजा दोषी करार दे रही है। रणदीप सुरजेवाला का आपको ध्यान होगा जींद उपचुनाव के बाद क्या ब्यान दिया था। उन्होंने भी अपनी हार का ठीकरा उसी व्यक्ति के सिर पर फोड़ा था, जिसके बारे में किरण और सैलजा बात कर रही है। वो व्यक्ति कौन है, भूपेंद्र हुड्डा, जिसने कांग्रेस को अपनी जेबी पार्टी बना लिया है। कांग्रेस को अपनी जेब में डाल लिया है। ये मैं नहीं, ये कांग्रेस के नेता बात कर रहे हैं।

सवालः- राज्यसभा की एक सीट रिक्त हुई है। दीपेंद्र हुड्डा, जो अब रोहतक से लोकसभा चुनाव जीत गए है। क्या किरण चौधरी या श्रुति चौधरी का इसमें नंबर लगेगा ?
जवाबः-
देखिए ये निर्णय हमारे संसदीय बोर्ड का होता है। हमारे शीर्ष नेतृत्व का होता है। ये मेरा विषय नहीं है और मुझे लगता है कि जो निर्णय, जो अधिकार हमारे संसदीय बोर्ड का है, हमारे शीर्ष नेतृत्व ने जिस पर फैसला लेना है। उस पर समय से पहले चर्चा करना ठीक नहें है। हमें इंतजार करना चाहिए। जब समय आएगा तो शीर्ष नेतृत्व की ओर से ये जानकारी हमारे बीच आ जाएगी कि बीजेपी की ओर से राज्यसभा कौन जा रहा है।

सवालः- कांग्रेस के दिग्गज नेता उदयभान और केवल ढींगरा कह रहे हैं कि किरण चौधरी ने पीठ में छुरा घोपा है।
जवाबः-
किरण चौधरी ये कह रही है कि भूपेंद्र हुड्डा ने उनके साथ साजिश रचकर जो काम किया, उनकी पीठ में छुरा घोपा है। यह बात अकेले किरण चौधरी करे तो समझ सकते हैं। ये बात तो सैलजा भी कह चुकी है, कि टिकटों में जिस प्रकार की धांधली हुई, गलत टिकटें बंटी।

सवालः- किरण चौधरी बतौर विधायक तोशाम से कांग्रेस की सदस्य है। बीजेपी में विधिवत शामिल हो चुकी हैं। कहीं ना कहीं स्पीकर भी कह चुके हैं कि अभी तक उनका इस्तीफा नहीं मिला है, तो दल बदल कानून की तलवार लटकती नजर आ रही है।
जवाबः-
देखिए, ये तो हमारे संविधान और हमारी संवैधानिक एक प्रक्रिया है। मुझे लगता है कि इसमें फैसला लेने का अधिकार हमारे विधानसभा स्पीकर के पास होता है, लेकिन उसमें जो प्रावधान है, वो इस तरह का है कि अगर कोई व्यक्ति या पार्टी इस प्रकार का एतराज करती है तो ये विधानसभा अध्यक्ष का विवेक होता है कि वह इस पर अपना फैसला लें। मुझे लगता है कि जब ये विषय आएगा तो विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता उस पर फैसला जरूर लेंगे।

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