त्यौहारी सीजन में नकली खोया व मिठाइयों की भरमार

Edited By Isha, Updated: 24 Oct, 2019 11:39 AM

glut of fake khoya and sweets in festive season

जिले में नकली खोया, पनीर व पाऊडर से तैयार उत्पाद स्वास्थ्य विभाग की जानकारी में धड़ल्ले से बिक रहे हैं। नकली खोया व उससे बनी मिठाइयों की त्यौहारी सीजन विशेषकर दीवाली के आसपास भरमार हो जाती है, जो आम जनता के स्वास्थ्य के लिए बेहद नुक्सानदायक व

पानीपत (खर्ब): जिले में नकली खोया, पनीर व पाऊडर से तैयार उत्पाद स्वास्थ्य विभाग की जानकारी में धड़ल्ले से बिक रहे हैं। नकली खोया व उससे बनी मिठाइयों की त्यौहारी सीजन विशेषकर दीवाली के आसपास भरमार हो जाती है, जो आम जनता के स्वास्थ्य के लिए बेहद नुक्सानदायक व खतरनाक साबित होती है।

मामले में स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत की संभावनाओं ने इंकार नहीं किया जा सकता। इस मामले में शहर के समाज सेवियों व जागरूक नागरिकों ने सी.एम. विंडो पर अनेक शिकायतें दी हैं, जो जांच के लिए सी.एम.ओ. कार्यालय में भेज दी जाती हैं। नकली खोया व उससे मिठाइयां बनाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई तो बहुत दूर की बात है, उनके नमूने भी नहीं लिए जाते। नकली मिठाइयां व खोया सप्लाई करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं होती।

अच्छी जांच से नहीं रहती बचने की गुंजाइश
खाद्य पदार्थों के नमूने लेने के बाद जांच रिपोर्ट ही मात्र एक साक्ष्य होता है तथा नमूना लैब से फेल होने पर आरोपी को सजा होना निश्चित होता है। यदि ईमानदारी से नमूनों की जांच किसी उच्च मापदंड वाली लैब जो सरकार से मान्यता प्राप्त हो या श्री राम लैब से करवाई जाए, तो आरोपियों के बचने की कोई गुंजाइश नहीं रहती। जब तंत्र ही भ्रष्ट हो जाए, तो सजा कौन दिलवाएगा तथा इस प्रकार जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ होता रहेगा।

सड़क मार्ग से रात के समय उत्तर प्रदेश से पहुंचता है नकली खोया
बताया जाता है कि नकली खोये का कारोबार न केवल पानीपत में ही फैला हुआ है, बल्कि इसके तार पूरे हरियाणा के अतिरिक्त पंजाब के बड़े शहर लुधियाना, जालंधर, अमृतसर, बङ्क्षठडा व दिल्ली तक फैले हुए हैं।  नकली खोया बनाने के बारे में सूत्र बताते हैं कि नकली खोया एक पाऊडर से बनाया जाता है, जो हरियाणा के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से तैयार होकर सड़क मार्ग से रात के समय पुलिस की मिलीभगत से सनौली रोड पानीपत स्थित बड़े-बड़े खोया विक्रेताओं के पास पहुंचता है।

किसी दबाव के कारण वापस लौटी थी नमूने लेने वाली टीम
गत दिनों पानीपत से स्वास्थ्य विभाग की एक टीम सी.एम. विंडो की एक शिकायत पर समालखा स्थित मिष्ठान भंडारों की जांच के लिए पहुंची थी। कुछ मिष्ठान भंडारों के नमूने भी लिए थे परंतु किसी दबाव के कारण बिना नमूने लिए पानीपत वापस लौट आई थी। जानकारी के अनुसार जो इस व्यवसाय से जुड़े हैं, उनके दुधारू पशु के नाम पर एक भी पशु नहीं है, परंतु दूध, खोया, पनीर व दूध से बनने उत्पादों का आर्डर कितनी बड़ी मात्रा में दे दिया जाए, वे कुछ घंटों में बड़ी मात्रा में आर्डर अनुसार वह सामान सप्लाई कर देते हैं। ऐसे उत्पादकों पर रोक तभी लग सकती है, जब सरकार की नीयत साफ हो तथा अधिकारी ईमानदारी से नमूने लें व लैब में भेजें।

ईमानदारी से कार्रवाई हो तो बच नहीं सकते आरोपी
यदि कार्रवाई ईमानदारी से हो, तो आरोपी बच नहीं सकते। सख्त व ईमानदार कार्रवाई से पहले स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत खाद्य निरीक्षकों व सैंपल लेने वाली टीम के विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए। उनसे सरकार व स्वास्थ्य विभाग साफ रिपोर्ट तलब करें कि उन्होंने एक मास में कितने खाद्य पदार्थों के कितने नमूने लिए और कितने लैब में भेजे।  कितने लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की गई। शहर की समाजसेवी संस्थाओं ने सरकार से मांग की है कि इस संबंध में व्यवस्था को पारदर्शी बनाया जाए, ताकि आने वाले त्यौहारों के सीजन में जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न हो।

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