'बीवी खाना नहीं बनाती फोन पर चिपकी रहती है', हाईकोर्ट ने खारिज कर दी पति की याचिका

Edited By Shivam, Updated: 04 Sep, 2019 04:17 PM

haryana high court dropped out a man petition for divorce

अपनी पत्नी की मनमानी से परेशान होकर एक पति ने तलाक लेने के एि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली, लेकिन यहां उसकी याचिका खारिज कर दी। पति का कहना था कि उसकी पत्नी अक्सर फोन पर अपने मायके वालों से बात करती रहती है और खाना भी नहीं बनाती। जिसको लेकर उसने...

चंडीगढ़: अपनी पत्नी की मनमानी से परेशान होकर एक पति ने तलाक लेने के एि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली, लेकिन यहां उसकी याचिका खारिज कर दी। पति का कहना था कि उसकी पत्नी अक्सर फोन पर अपने मायके वालों से बात करती रहती है और खाना भी नहीं बनाती। जिसको लेकर उसने हाईकोर्ट में तलाक लेने की अर्जी लगाई। लेकिन हाईकोर्ट ने यह कहते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी कि पत्‍नी का अच्छा खाना नहीं बनाना या फिर मायके के प्रति अधिक लगाव रखना क्रूरता की श्रेणी में नहीं आता।

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हाई कोर्ट कहा कि यह सब मामूली बातें हैं और लगभग हर पति-पत्‍नी में होती रहती हैं। ऐसे में इस आधार पर तलाक नहीं दिया जा सकता। अदालत ने पति की तलाक की अर्जी को खारिज कर विवाद का आपसी सामंजस्‍य से समाधान निकालने को कहा।

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दरअसल, चंडीगढ़ निवासी एक व्‍यक्ति ने तलाक के लिए पहले जिला अदालत में याचिका दी थी। वहां याचिका खारिज होने के बाद उसने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में अर्जी दी। उसने याचिका में कहा कि पत्‍नी का उसके प्रति व्‍यवहार क्रूरतापूर्ण होता है। उसको अच्‍छा खाना नहीं बनाने आता है और वह अक्‍सर खाना नहीं बनाती है। वह हमेशा फोन पर चिपकी रहती है और मायके वालों से बातें करती रहती है। पति के आरोप पर पत्‍नी ने कहा कि पति उसे दहेज कम मिलने के कारण तंग करता है। इसी के चलते वह इस तरह के आरोप लगा रहा है।

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पति का कहना था कि पत्‍नी के किसी अन्‍य व्‍यक्ति से संबंध हैं और इस कारण वह उस पर (पति पर) ध्‍यान नहीं देती है। वह सामान्य खाना भी नहीं बना सकती, जिस कारण वह कई बार तो उसे काम पर बगैर भोजन के जाना पड़ता है। पति ने कहा कि घर में वह मायके वालों को छोड़ कर किसी का आना-जाना पसंद नहीं करती। पत्‍नी का उसके प्रति व्यवहार शादी के बाद से ही क्रूरतापूर्ण रहा है।

इस पर हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि पत्‍नी का मायके वालों के प्रति अधिक लगाव और खाना नहीं बनाने को क्रूरतापूर्ण नहीं कहा जा सकता। हाई कोर्ट ने कहा कि इस तरह के आरोपों को तुच्छ माना जा सकता है जो किसी भी पति-पत्‍नी की बीच की आम घटना है। यह तलाक का ठोस आधार नहीं बन सकती। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

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