नशा छुड़वाने के लिए फ्री की दवाई के लिए स्टाफ पर पैसे ऐंठने का आरोप, अभिभावकों ने किया हंगामा

Edited By Isha, Updated: 17 May, 2019 12:19 PM

allegations of money laundering

जिले के सिविल अस्पताल के ओ.एस.टी. (ओपिऑयड सब्स्टीट्यूशन थैरेपी) सैंटर में कुछ अभिभावकों ने नशा छुड़वाने के लिए फ्री में मिलने वाली दवाइयों के लिए स्टाफ द्वारा पैसे मांगे जाने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया।  ओ.एस.टी

जींद (ब्यूरो): जिले के सिविल अस्पताल के ओ.एस.टी. (ओपिऑयड सब्स्टीट्यूशन थैरेपी) सैंटर में कुछ अभिभावकों ने नशा छुड़वाने के लिए फ्री में मिलने वाली दवाइयों के लिए स्टाफ द्वारा पैसे मांगे जाने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया।  ओ.एस.टी. में तैनात ए.एन.एम. के साथ पैसे को लेकर झगड़ रही महिला का वीडियो भी वहां मौजूद लोगों ने बना लिया और इसे सिविल सर्जन डा. शशिप्रभा अग्रवाल को दिखाते हुए फ्री की दवाई के लिए अढ़ाई हजार रुपए ऐंठने के आरोप लगाए। इस पर संज्ञान लेते हुए सी.एम.ओ. डा. शशिप्रभा अग्रवाल ने ए.एन.एम. को तत्काल प्रभाव से टी.बी. वार्ड में बदल दिया और उनके खिलाफ 3 सदस्यीय चिकित्सक कमेटी का गठन कर विभागीय जांच के आदेश दे दिए। 
सिविल अस्पताल के ओ.एस.टी. सैंटर में नशा छुड़वाने के लिए मुफ्त में दवाई दी जाती है। नशा छुड़वाने की फ्री में मिलने वाली दवाइयों के लिए 2 नर्स पर पैसे वसूले जाने के आरोप पिछले दिनों लगे थे।

 वीरवार को बीबीपुर गांव की महिला अपने बेटे राजेश के लिए नशा छुड़वाने की दवाई लेने के लिए पहुंची तो दवाई देने वाली नर्स ने आनाकानी की। महिला ने बताया कि उस नर्स ने उसके बेटे से फ्री की दवाई की एवज में अढ़ाई हजार रुपए वसूल लिए। महिला द्वारा इस तरह के आरोप लगाए जाने पर ओ.एस.टी. सैंटर में हंगामा खड़ा हो गया। जिस समय आरोप लगाने वाली महिला नर्स के साथ बहस कर रही थी तो वहां दवाई लेने आए अन्य लोगों ने इसकी वीडियो बना ली। ओ.एस.टी. सैंटर में दवाई लेने के लिए आए अन्य लोगों ने भी सैंटर के कर्मचारियों पर फ्री की दवाइयों के लिए पैसे वसूलने के आरोप लगाए। इसके बाद बीबीपुर की वह महिला अन्य लोगों के साथ सिविल सर्जन डा. शशिप्रभा अग्रवाल से मिली और उन्होंने नर्स पर अढ़ाई हजार रुपए वसूलकर दवाई देने के आरोप लगाए। साथ ही वह वीडियो भी दिखाई। 

वीडियो बनाने वाले युवक विकास ने बताया कि वह नशा छोडऩे के लिए ओ.एस.टी. सैंटर से दवाई ले रहा है। दवाई फ्री में मिलनी चाहिए लेकिन यहां का स्टाफ दवाइयों को मुफ्त में देने की बजाय उनसे 500 रुपए हर पत्ते के हिसाब से राशि वसूलता है। अगर कोई राशि नहीं देता तो उसे दवाई नहीं दी जाती। सिविल सर्जन डा. शशि प्रभा अग्रवाल के मामला संज्ञान में आने पर उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए नर्स को ओ.एस.टी. सैंटर से हटाकर टी.बी. वार्ड में उसका तबादला कर दिया। साथ ही उन्होंने 3 सदस्यीय चिकित्सक कमेटी का गठन कर विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। 

ओ.एस.टी. सैंटर पर पिलाई जाती है नशा छोडऩे के लिए दवाई 
ओ.एस.टी. सैंटर में नियमानुसार जो दवाई नशा छोडऩे वाले व्यक्ति को दी जाती है, उसे स्वास्थ्य कर्मी पीसकर खिलाता है। नशा छोडऩे वाला व्यक्ति बार-बार ओ.एस.टी. सैंटर आने से बचता है, जिसका फायदा स्टाफ के कुछ कर्मचारी फ्री की दवाई को पैसे में बेचकर उठा रहे हैं। सिविल सर्जन डा. शशिप्रभा अग्रवाल ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में आया है। नर्स का तबादला तुरंत प्रभाव से टी.बी. वार्ड में कर दिया गया है। 3 सदस्यीय चिकित्सक कमेटी का गठन कर विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। जो भी रिपोर्ट में सामने आएगा उसके आधार पर आगामी कार्रवाई की जाएगी। 

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