फसलें बर्बाद करने वाले इस वन्य जीव को मारने की मिलेगी परमिशन, जानिए किन जिलों में होता था नुकसान

Edited By Yakeen Kumar, Updated: 07 Feb, 2025 07:33 PM

you will get permission to kill this wild animal which destroys crops

हरियाणा में इस पशु को अधिकारिक तौर पर शतों के साथ मारने की अनुमति दी गई है। इसके लिए हरियाणा कैबिनेट ने बीती 4 फरवरी को वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम 1974 में बदलाव किया है। इसका कारण ये है कि किसानों की फसलों को नीलगाय भारी नुकसान पहुंचा रहे थे।

चंड़ीगढ़ : हरियाणा में अब नर नीलगाय को अधिकारिक तौर पर शतों के साथ मारने की अनुमति दी गई है। इसके लिए हरियाणा कैबिनेट ने बीती 4 फरवरी को वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम 1974 में बदलाव किया है। इसका कारण ये है कि किसानों की फसलों को नीलगाय भारी नुकसान पहुंचा रहे थे। वहीं, नए नियमों के तहत वन्य जीव शिकारियों पर शिकंजा कसा जाएगा। 

इन राज्यों को थी अनुमति

अब तक राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व बिहार में ही वन विभाग की अनुमति के बाद नर नीलगाय को मारा जा सकता है। वन विभाग के अनुसार अब नेशनल पाकों और अभ्यारण्यों के आसपास रहने वालों को अपनी लाइसेंसी बंदूकों का पूरा ब्योरा वन विभाग को देना होगा।

Nilgai - Wikipedia

ये जिले होते थे प्रभावित

महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, भिवानी, चरखी दादरी, झज्जर, रोहतक, कुरुक्षेत्र, कैथल, फतेहाबाद, हिसार, जींद व गुरुग्राम नीलगाय से से र सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इनमें नौलगाय के झुंड खेतों में घुसकर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। नीलगाय गेहूं, चना, मूंगफली, गन्ना, मक्का, बाजरा, सब्जियां व दाल की फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। 

वन विभाग से लेनी होगी परमिशन

इस बदलाव में हरियाणा में केवल नर नीलगाय को मारने की अनुमति है। साथ ही पंचायत को वन विभाग को प्रार्थना पत्र देना होगा। जिसकी जांच जिला वन्य जीव वार्डन करेंगे। इसके बाद राज्य के मुख्य वन्य जीव के अधिकारी द्वारा परमिशन दी जाएगी। इसके अलावा लाइसेंसी बंदूक धारक का नाम व लाइसेंस नंबर दर्ज किया जाएगा। उसे यह ब्योरा देना होगा कि उसने कितने नर नीलगाय मारे हैं। इसके बाद अधिकृत अधिकारी की मौजूदगी में शव को जलाया जाएगा। 

बीमार वन्य जीवों को भेजा जा सकेगा दूसरे राज्य 

इस बदलाव में अगर कोई वन्य जीव गंभीर रूप से बीमार है और ठीक नहीं हो पा रहा है, तो उसे दूसरे राज्य भेजने की अनुमति दी जाएगी। वन्य जीव को ट्रेंकुलाइज कर भेजा जाएगा। हाल में राजस्थान के सरिस्का से एक बाघ हरियाणा आया था। 70 दिन तक रेवाड़ी के आसपास घूमता रहा। राजस्थान की टीम आई, अनुमति मिली और बाघ को कोटा की वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में छोड़ा गया है।

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