Edited By Manisha rana, Updated: 24 Dec, 2023 01:34 PM
भारत की वंडर गर्ल के नाम से मशहूर रिया जांगड़ा फतेहाबाद के टोहाना में पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली के निवास पर पहुंचीं। रिया जांगड़ा ने आंखों पर पट्टी बांध कर किताबें, लोगों द्वारा पंचायत मंत्री को दी जाने वाली अर्जियां पढ़कर सुनाई।
टोहाना (सुशील सिंगला) : भारत की वंडर गर्ल के नाम से मशहूर रिया जांगड़ा फतेहाबाद के टोहाना में पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली के निवास पर पहुंचीं। रिया जांगड़ा ने आंखों पर पट्टी बांध कर किताबें, लोगों द्वारा पंचायत मंत्री को दी जाने वाली अर्जियां पढ़कर सुनाई। यह देखकर लोग ही नहीं बल्कि मंत्री बबली भी हैरान रह गए। रिया जांगड़ा का कहना है कि यह कोई जादू नहीं बल्कि दिमाग की शक्तियों को पहचान कर की गई विद्या है।
अनोखी कला को देखकर हर कोई हैरान
आंखों पर पट्टी बांधकर रिया जांगड़ा ने बबली द्वारा दी गई किताब का टाइटल, उसका रंग, किताब के कवर का रंग आदि हूबहू बता दिया। मंत्री बबली द्वारा बताए गए पन्ने को भी उसने खोल कर दिखाया। हर कोई रिया की इस अनोखी कला को देखकर हैरान था। पिता बोले- यह कला विश्व गुरु बनाएगी।
रिया के पिता जितेंद्र कुमार ने बताया कि वह हिसार जिले के रहने वाले हैं। दिमाग में असंख्या शक्तियां हैं, लेकिन हम उसे पहचान नहीं पाते, बच्चों की याददाश्त आज कई वजहों से कम हो रही है, वे एकाग्रता नहीं कर पाते। कुछ तकनीकों से मानसिक संतुलन की एक्सरसाइज कर इस एकाग्रता को बढ़ा सकते हैं। इस कला से हम नाक और कान से भी एक तरह से सब कुछ महसूस कर देख सकते हैं। हाथों से चीजें छूकर पहचान जाते हैं। यह कला हमें विश्व गुरू बनाएगी। वे चाहते हैं कि विदेशों से बच्चे यहां पढ़ने आएं। यह कला नेत्रहीनों के लिए भी बेहद कारगर है। इससे वे आसानी से चीजें पहचान सकते हैं, पढ़ सकते हैं और रंगों को भी पहचान सकते हैं।
9 राज्यों के गवर्नर कर चुके सम्मानित
उन्होंने बताया कि यह कला सीखकर रिया ने 9 राज्यों के गवर्नरों से सम्मान पाया है। अब इसको लेकर वे हाल ही में हिमाचल के शिक्षण संस्थान से मिले हैं और दिल्ली यूनिवर्सिटी से भी बात चल रही है। इस तकनीक को हरियाणा में बढ़ाने के लिए ही आज वे पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली से मिले थे। उनके साथ आए डॉ. सुभाष ने बताया कि यह तकनीक भी एक शिक्षा है, जिसे हर कोई कर सकता है। 5 से 15 वर्ष के बच्चों का दिमाग फ्रेश होता है, इसलिए वे जल्द ही इसे सीख जाते हैं। एक हफ्ते में वे इसे कर सकते हैं, लेकिन व्यस्त दिमाग पर दुनियादारी के बोझ सहित काम, क्रोध, मोह, माया सहित कई परतें चढ़ जाती हैं, इसलिए वे जल्दी इसे नहीं सीख पाते।
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