Edited By Manisha rana, Updated: 20 Nov, 2024 01:32 PM
ये कहानी हरियाणा के क्रिकेटर अंशुल कंबोज के संघर्ष और परिश्रम की कहानी है। कंबोज रोजाना कई किलोमीटर सफर कर प्रैक्टिस के लिए करनाल आते थे। हालांकि जब दिक्कत होने लगी तो परिवार यहीं शिफ्ट हो गया। अब बेटे ने भी इतिहास रच दिया।
करनाल : ये कहानी हरियाणा के क्रिकेटर अंशुल कंबोज के संघर्ष और परिश्रम की कहानी है। कंबोज रोजाना कई किलोमीटर सफर कर प्रैक्टिस के लिए करनाल आते थे। हालांकि जब दिक्कत होने लगी तो परिवार यहीं शिफ्ट हो गया। अब बेटे ने भी इतिहास रच दिया।
दरअसल हरियाणा के करनाल जिले के तेज गेंदबाज अंशुल कंबोज ने रणजी ट्रॉफी में एक पारी में दस विकेट लिए हैं और उसके बाद से वह चर्चा में हैं। अंशुल कंबोज मूल रूप से करनाल के इंद्री के फाजिलपुर गांव के रहने वाले हैं। आज उनका करनाल में एकेडमी में पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। रणजी ट्रॉफी में एक ही पारी में 10 विकेट लेने का कारनामा करने वाले वह हरियाणा के पहले और रणजी क्रिकेट में तीसरे खिलाड़ी बन गए हैं। अंशुल ने रोहतक के लाहली में चौधरी बंसीलाल स्टेडियम में केरल की टीम के बल्लेबाजों को धराशाई कर दिया।
AK-47 के नाम से चर्चित है अंशुल
अंशुल को उनके साथी AK 47 के नाम से पुकारते हैं। साथ ही उनकी जर्सी का नंबर 47 है। अब वह मुश्ताक अली ट्रॉफी खेलने मुंबई जाएंगे। अंशुल ने बताया कि उन्होंने राणा ब्रदर्स की एकेडमी में प्रेक्टिस की थी। टीम इंडिया में शामिल होने के सवाल पर कहते हैं कि अच्छा प्रदर्शन करना है और मुझे अपना बेस्ट देना है। अंशुल ने करनाल में 12 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू किया।
वहीं केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने भी अंशुल और उसके परिवार और कोच को बधाई दी।
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