Edited By Manisha rana, Updated: 07 Aug, 2023 12:04 PM

दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान मनजिंदर सिंह सिरसा ने हरियाणा के नूंह, गुरुग्राम तथा आसपास के जिलों में हाल में हुई साम्प्रदायिक हिंसा को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि कोई भी धर्म या मजहब किसी तरह की हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़...
जींद (ब्यूरो) : दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान मनजिंदर सिंह सिरसा ने हरियाणा के नूंह, गुरुग्राम तथा आसपास के जिलों में हाल में हुई साम्प्रदायिक हिंसा को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि कोई भी धर्म या मजहब किसी तरह की हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ की इजाजत नहीं देता। जो लोग ऐसा करते हैं, वह धार्मिक नहीं हो सकते। जिस तरह 1984 में दिल्ली में सिखों के गले में टायर डालकर उन्हें जिंदा जलाया गया था। सिरसा रविवार शाम जींद के गुरुद्वारा मंजी साहिब में पत्रकारों से बात कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि इस तरह के साम्प्रदायिक दंगे तब होते हैं, जब धर्मों के लीडर कमजोर हो जाते हैं। जिस तरह का साम्प्रदायिक तनाव नूंह, गुरुग्राम, पलवल और रेवाड़ी जैसे जिलों में पैदा हुआ है उससे निपटने के लिए सरकार को तमाम जरूरी कदम उठाने चाहिएं। सभी धर्मों की लीडरशिप को भी साम्प्रदायिक सौहार्द बनाने और साम्प्रदायिक सौहार्द को आग लगाने वालोंके खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए आगे आना चाहिए। सिरसा ने नूह हिंसा के सिलसिले में आम आदमी पार्टी के एक नेता का नाम आने का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी पूरी जांच होनी चाहिए।
पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले मालेरकोटला में कुरान की बेअदबी हुई थी। उसमें आप के दिल्ली के एक विक का नाम आया था। दिल्ली में हुई हिंसा में भी आप के एक काऊंसलर का नाम आया था। उन्होंने कहा कि मणिपुर हिंसा पर संसद की कार्रवाई ठप्प करने वाले विपक्षी दल और कांग्रेस सिलैक्टिव विरोध की राजनीति करते हैं। जब दिल्ली पर कानून की बात आई तो कांग्रेस और इसके सहयोगी विपक्षी दलों के सभी सांसद संसद में आकर बैठ गए। 1984 में दिल्ली में हुए सिखों के कत्लेआम के दोषी जगदीश टाइटलर के मसले पर कांग्रेस पार्टी ने आज तक चुप्पी नहीं तोड़ी हैव उनकी चुप्पी दर्द दे रही है।
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