हरियाणा मानवाधिकार आयोग में 14 महीने से न कोई चेयरमैन न सदस्य, सभी पद खाली

Edited By Yakeen Kumar, Updated: 20 Nov, 2024 09:12 PM

there is no chairman or member in haryana human rights commission

हरियाणा मानवाधिकार आयोग का कामकाज लगभग 14 महीने से ठप्प पड़ा है, आयोग में न तो कोई सदस्य है और न ही कोई चेयरमैन है। हाईकोर्ट भी इस मामले में कई बार आदेश जारी कर सरकार को नियुक्त करने का आदेश

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी) : हरियाणा मानवाधिकार आयोग का कामकाज लगभग 14 महीने से ठप्प पड़ा है, आयोग में न तो कोई सदस्य है और न ही कोई चेयरमैन है। हाईकोर्ट भी इस मामले में कई बार आदेश जारी कर सरकार को नियुक्त करने का आदेश दे चुका है।

अब हाईकोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए आदेश जारी किया है कि यदि अगली सुनवाई की तारीख से पहले आवश्यक कार्रवाई नहीं की जाती है, तो संबंधित अधिकारी व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के समक्ष उपस्थित होगा। याचिकाकर्ता को मुकदमे की लागत के रूप में 50 हजार रुपये अपनी जेब से देगा।

हाईकोर्ट के जस्टिस हरकेश मनुजा ने यह आदेश कैथल निवासी शिवचरण द्वारा दायर अवमानना याचिका पर जारी किया। इस बाबत एक याचिका पर सरकार ने पहले 30 मार्च तक और बाद में लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद चेयरमैन व सदस्य के पद भरने का कोर्ट में आश्वासन दिया था। याची के वकील एडवोकेट संदीप शर्मा ने कोर्ट को बताया कि एक समय में देश का सबसे बेहतर मानवाधिकार आयोग का माने जाने वाला हरियाणा मानवाधिकार आयोग अब अपने अधिकारों के लिए मोहताज है। अब आयोग में न तो चेयरमैन है न ही कोई सदस्य। सभी पद रिक्त है।

इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है, क्यों की अब वो अपने अधिकारों के लिए किसके आगे गुहार लगाए। हरियाणा मानवाधिकार आयोग में एक चेयरमैन के अलावा दो सदस्यों के पद है। 

राजस्थान हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एस के मित्तल हरियाणा मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन पद से व सदस्य जस्टिस केसी पूरी अप्रैल 2023 में सेवानिवृत हुए थे। इसके बाद एक मात्र सदस्य दीप भाटिया के सहारे आयोग सितम्बर 2023 तक चलता रहा। भाटिया के सेवानिवृत होने के बाद आयोग पूरी तरह से चेयरमैन व सदस्य विहीन है। किसी भी मामले में सुनवाई नहीं हो पा रही। इसलिए अब मजबूरी में इस विषय को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में इस मामले में दोषी दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी गई है जो कोर्ट के आदेश के बाद भी इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे।

 

 

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