Edited By Yakeen Kumar, Updated: 14 Nov, 2024 04:50 PM
अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के संरक्षक कुलदीप बिश्नोई और प्रधान देवेंद्र बूड़िया का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। विवाद को समाप्त कराने के मकसद से मुकाम पर बैठक हुई है।
चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी) : अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के संरक्षक कुलदीप बिश्नोई और प्रधान देवेंद्र बूड़िया का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। विवाद को समाप्त कराने के मकसद से मुकाम पर बैठक हुई है। बैठक में कुलदीप बिश्नोई को बिश्नोई महासभा के संरक्षक पद से हटा दिया। इसके साथ ही उनको दी गई बिश्नोई रत्न की उपाधि भी वापस ले ली गई।
सभा में अध्यक्ष का चुनाव अब प्रत्यक्ष करवाने का प्रस्ताव भी खुद मौजूदा अध्यक्ष देवेंद्र बुड़िया ने रखा, जिस पर सभी ने सहमति दी। इस मौके पर राजस्थान के दो पूर्व मंत्रियों सहित कुछ अन्य लोगों
को भी बिश्नोई रत्न दिए जाने की घोषणा की गई।
बुधवार को बिश्नोई समाज की राजस्थान में लगभग 2 घंटे तक बैठक चली। जिसमें बिश्नोई समाज की पंचायत ने 5 फैसले लिए। अब अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराए जाएंगे। समाज के लोगों ने तब तक देवेंद्र बूड़िया को प्रधान रखने का फैसला लिया है।
बता दें कि 'बिश्नोई रत्न' की उपाधि पूर्व सीएम भजनलाल को दी गई थी। इसके बाद ये उपाधि पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई को दी गई, जिसे अब वापस लेने का फैसला किया गया है। अब महासभा में कुलदीप या उनके परिवार के सदस्य दखल अंदाजी नहीं कर सकते। बुड़िया ने भरी सभा में घोषणा की कि कुलदीप से यह रत्न वापस लिया जाता है। उन्होंने राजस्थान के पूर्व मंत्री रामसिंह बिश्नोई और पूनमचंद बिश्नोई सहित कुछ अन्य लोगों को यह रत्न देने की घोषणा की।
कुलदीप ने बुड़िया को बुड़िया ने कुलदीप को हटाया
बता दें कि इससे पहले बुड़िया ने पत्र जारी कर कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक के पद से मुक्त करने की बात कही। उन्होंने पत्र में लिखा कि यह पद समाज का सम्मानित पद है, लेकिन कुलदीप पर अपने पुत्र का अन्तरजातीय विवाह करने का सत्य आरोप है। इससे बिश्नोई समाज में रोष है। ऐसे में उनको संरक्षक पद से पदमुक्त किया जाता है। इधर, कुलदीप बिश्नोई ने भी संरक्षक की हैसियत से पत्र जारी कर बुड़िया को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाने का ऐलान कर दिया। उन्होंने रामसिंह बिश्नोई के पुत्र परसराम बिश्नोई को अध्यक्ष घोषित किया। हालांकि सभा में परसराम बुड़िया के साथ खड़े रहे। बुड़िया ने परसराम के अध्यक्ष पद को ठुकराने पर धन्यवाद भी दिया।
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