63 साल तक गन्ना पिराई कर रिटायर हो जाएगी शुगर मिल

Edited By vinod kumar, Updated: 18 Nov, 2019 05:12 PM

sugar mill will retire after crushing sugarcane for 63 years

पानीपत शूगर मिल का 63वां पिराई सत्र कल से यानि मंगलवार से शुरू होने जा रहा है। इसका शुभारंभ जिला उपायुक्त सुमेधा कटारिया करेंगी। वहीं पर ग्रामीण विधायक महीपाल ढांडा भी इस अवसर पर मौजूद रहेंगे। मिल का शुभारंभ होने से पहले उसमें मैंटीनैंस संबंधी सभी...

पानीपत(राजेश): पानीपत शुगर  मिल का 63वां पिराई सत्र कल से यानि मंगलवार से शुरू होने जा रहा है। इसका शुभारंभ जिला उपायुक्त सुमेधा कटारिया करेंगी। वहीं पर ग्रामीण विधायक महीपाल ढांडा भी इस अवसर पर मौजूद रहेंगे। मिल का शुभारंभ होने से पहले उसमें मैंटीनैंस संबंधी सभी कार्य को पूरा कर लिया गया है और किसान भी अपनी तैयारी के साथ मिल में गन्ना लेकर आने भी शुरू हो गए हैं। मंगलवार को शुभारंभ होने के बाद पिराई सत्र आरंभ हो जाएगा। वहीं पर गांव डाहर में नई शुगर  मिल का निर्माण कार्य भी चल रहा है जोकि अगले वर्ष तक पूरा होने की संभावना है अगर सब कुछ ठीक रहा तो पानीपत शुगर मिल अपने 63 साल पूरे करके 2020 में रिटायर हो जाएगी। 

गौरतलब है कि पानीपत की शुगर मिल प्रदेश के सहकारी शूगर मिलों में सबसे ज्यादा पुरानी मिल है और इसमें 1957 में पहली बार पिराई सत्र शुरू हुआ था। इस बार मिल के 63वें पिराई सत्र का शुभारंभ 19 नवम्बर को उपायुक्त सुमेधा कटारिया द्वारा किया जाएगा। इस मौके पर मिल के एम.डी. प्रदीप अहलावत व अन्य अधिकारी मौजूद रहेंगे। शूगर मिल को चालू करने से पहले इंजीनियरों द्वारा 3 ट्रायल लेकर पूरी तरह से जांच कर ली गई है। वहीं पिछली बार की अपेक्षा इस बार 3 लाख अधिक कि्वंटल गन्ना पिराई का लक्ष्य रखा गया है।

चीनी का उत्पादन भी पिछले सत्र की तुलना में एकप्रतिशत ज्यादा होगा। वहीं पिछली बार मिल में 25 लाख 56 हजार किं्वटल गन्ने की पिराई की थी। इस बार इस टारगेट को बढ़ाकर 28 लाख किं्वटल कर दिया गया है। वहीं पिछली बार मिल में गन्ना पिराई से 9.77 किलोग्राम प्रति कि्वंटल के हिसाब से चीनी का उत्पादन हुआ था।

पानीपत शूगर मिल में इतिहास बनकर रह जाएंगे रेलवे के 2 भांप इंजन
शूगर मिल का इस बार आखिरी पिराई सत्र होगा और अगले साल नवम्बर से तो गांव डाहर वाली शूगर मिल में ही पिराई सत्र होगा। पानीपत की इसी शूगर मिल में रेलवे के 350-350 होर्स पावर के 2 रेलवे वाले भाप के इंजन लगे हुए हैं। प्रदेश की और किसी भी शूगर मिल में इस तरह के भाप के इंजन नहीं है। जिस तरह रेलवे के भाप इंजनों में कोयला डालकर स्टीम बनती थी और वे इंजन टे्रन को चलाते थे तो शूगर मिल के भांप के इंजनों में गन्ने की खोई डाली जाती है और उससे बनी स्टीम से बड़े रोलर चलते हैं जोकि गन्ने से रस निकालने का काम करते हैं।

हालांकि भाप के इंजन रेलवे से रिटायर हो चुके हैं पर पानीपत शूगर मिल में अभी भी ये भांप के इंजन चल रहे हंै। ये भांप के इंजन भी इस शूगर मिल के बंद होने पर अपने आप में इतिहास बनकर रह जाएंगे। वहीं शूगर मिल के कई अधिकारियों, कर्मचारियों व क्षेत्र के कईकिसानों ने पिछले साल यह मांग उठाई थी कि पानीपत शूगर मिल के इन दोनों भाप इंजनों को गांव डाहर में बनने वाली नई शूगर मिल में एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में रखा जाए।

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