पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की याचिका, PUBG पर रोक का निर्णय ले केन्द्र

Edited By Isha, Updated: 10 Dec, 2019 01:12 PM

seeking ban on pubg game through filed petition in hc

विश्वभर में चॢचत स्मार्ट मोबाइल फोन गेम प्लेयर अननोन बैटल ग्राऊंड्स ‘पबजी’ को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार

चंडीगढ़(हांडा): विश्वभर में चॢचत स्मार्ट मोबाइल फोन गेम प्लेयर अननोन बैटल ग्राऊंड्स ‘पबजी’ को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की इलैक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन मिनिस्ट्री को उक्त गेम पर प्रतिबंध लगाने को लेकर जल्द निर्णय लेने को कहा है।

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बच्चे 4-5 घंटे बर्बाद कर रहे हैं गेम पर

एडवोकेट एच.सी. अरोड़ा की ओर से दाखिल की गई याचिका में कहा गया था कि पबजी गेम एक खतरनाक स्मार्टफोन गेम है जिस पर बच्चे 4 से 5 घंटे प्रतिदिन बर्बाद कर रहे है और उक्त गेम उन्हें मानसिक रोगी बना रही है। याचिका में कहा गया कि पबजी गेम यूथ को बर्बाद कर रही है जोकि पंजाब में नशे से भी ज्यादा घातक साबित हो रही है, क्योंकि इस गेम को खेलने वाला इतना उत्तेजित हो जाता है कि उसे कुछ और दिखाई नहीं देता, खुद को और कई बार दूसरों को नुक्सान पहुंचाने से भी बाज नहीं आता।

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स्टूडैंट्स में  गेम को लेकर बढ़ा क्रेज

स्टूडैंट्स में इस गेम को लेकर इतना क्रेज बढ़ रहा है कि वह पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा पा रहे हैं और भविष्य अंधकार की ओर जा रहा है। इसलिए इस गेम पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाए। याचिका में बताया गया कि इससे पहले भी ऐसी ही एक गेम ब्लू व्हेल के नाम से आई थी जिसमें खेलने वाला सुसाइड तक करने लगा था। इसे भारत में सभी इंटरनैट प्रोवाइडर कम्पनियों ने बैन कर दिया था। इसी तरह पबजी भी घातक साबित होती जा रही है और इसे खेलने वाला खुद को मौत के मुंह में धकेलने से भी परहेज नहीं कर रहा। इससे पहले कि स्थिति हाथ से निकले, इस गेम पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। 

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कोर्ट ने इलैक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन मंत्रालय को दिए तुरंत कार्रवाई के आदेश

याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका दाखिल किए जाने से पहले इलैक्ट्रॉनिक एंड इन्फॉर्मेशन मिनिस्ट्री को लीगल नोटिस भी भेजा था लेकिन उक्त मंत्रालय के सचिव की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया जिसके बाद याची को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का सहारा लेना पड़ा है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार के इलैक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन मंत्रालय को आदेश जारी करते हुए कहा कि उक्त मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई की जाए।

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