'फिर याद आ रहा वही मंजर...', पाकिस्तान से आए हिंदू परिवारों में डर का माहौल

Edited By Deepak Kumar, Updated: 28 Apr, 2025 07:58 PM

rohtak bhano devi tell remembering the same scene again of pakistan

रोहतक जिले के मदीना में आई 75 वर्षीय भानो देवी को एक बार फिर से पाकिस्तान जाने का डर सताने लगा है और पाकिस्तान में किए गए उनके साथ दुर्व्यवहार की कहानी उन्हें बार-बार याद आ रही है। अब भानो देवी के परिवार को डर सताने लगा है कि कहीं सरकार उन्हें वापस...

रोहतक (दीपक भारद्वाज) : जम्मू कश्मीर के पहलगाम में सैलानियों पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर उनकी हत्या करने के मामले ने पूरे देश को झंकझोर कर रख दिया है। ऐसे में भारत सरकार ने ऐलान किया है कि जो पाकिस्तानी लोग भारत में रह रहे हैं, वह 48 घंटे में भारत छोड़ दें। वहीं सरकार की ओर से दी गई डेड लाइन का आज आखिरी दिन है। 

ऐसे में करीबन 100 लोगों के परिवार के साथ रोहतक जिले के मदीना में आई 75 वर्षीय भानो देवी को एक बार फिर से पाकिस्तान जाने का डर सताने लगा है और पाकिस्तान में किए गए उनके साथ दुर्व्यवहार की कहानी उन्हें बार-बार याद आ रही है। अब भानो देवी के परिवार को डर सताने लगा है कि कहीं सरकार उन्हें वापस पाकिस्तान न भेज दें इसलिए वह सरकार से यही आग्रह कर रहे है कि उन्हें मुसलमान के हाथों मरने से बचाया जाए। 

हालांकि अभी तक पुलिस ने भानो देवी के परिवार से संपर्क नहीं किया है, इसका कारण यह भी हो सकता है कि बहुत सारे परिवारों को भारतीय नागरिकता मिल चुकी है, लेकिन कुछ परिवार ऐसे भी है जिन्हें अभी तक भारतीय नागरिकता नहीं मिली है। यह सभी हिंदू परिवार है जो पाकिस्तान में कभी रहते थे और वहां किए गए जुल्मों से तंग आकर भारत में पहुंचे थे।

 20 साल बाद फिर से वहीं मंजर आ रहा यादः भानो देवी

भानो देवी का कहना है कि 20 साल बाद उन्हें फिर से वहीं मंजर याद आ रहा है, यहां पर उनका वोटर कार्ड, राशन कार्ड, पहचान पत्र तक बन चुका है और उन्हें डर सताने लगा है कि कहीं भारत सरकार उन्हें वापस पाकिस्तान में न भेज दे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में उन्हें मुस्लिम धर्म अपनाने को कहा गया था, गाय का मांस खाने के लिए कहा गया था और अपनी बहन-बेटियों को मुसलमानों को सौंप देने की बात कही थी जो उन्हें ना गवारा था। 

23 मई 2005 को वह पाकिस्तान से आए थे भारतः भानो देवी

भानो देवी के बेटे हंसराज का कहना है कि 23 मई 2005 को वह पाकिस्तान से भारत आए थे, जब वह स्कूल में पढ़ते थे तो उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। सभी मुस्लिम लड़के बेंच पर बैठते थे और उन्हें नीचे बैठना पड़ता था। यही नहीं मौलवी ने एक दिन उनसे नमाज के बारे में पूछा तो मैंने कहा कि मुझे नमाज नहीं आती तो उसकी कांटेदार छड़ी से बुरी तरह से पिटाई की और उसे जबरदस्ती मस्जिद में ले जाया गया और नमाज पढ़वाई। उन्होंने कहा कि जब वह पाकिस्तान के हालातों के बारे में सोचते हैं तो घबरा जाते हैं। हालांकि हंस दास की अपनी टायर पंचर की दुकान है और वह रोहतक जिले के मदीना गांव में रहते हैं। 

पाकिस्तान में हिंदू परिवारों पर करते हैं जुल्मः हंसराज 

हंसराज ने कहा कि कुछ परिवार उनके दूसरे जिलों में चले गए हैं। कुछ को नागरिकता मिल गई है, लेकिन कुछ को अभी तक नागरिकता नहीं मिली है। अब वह पाकिस्तान नहीं जाना चाहते, वहां पर हिंदू परिवारों पर काफी जुल्म करते हैं। वहीं, हंस दास की पत्नी सुमन का कहना कि उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं वह पाकिस्तान नहीं जाना चाहते। इतना कहते ही सुमन की आंखों में आंसू निकल आते है।

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