ठेेके बंद करने के ग्रामसभाओं से नहीं आ रहे प्रस्ताव, वजह चौंकाने वाली

Edited By vinod kumar, Updated: 10 Dec, 2019 05:00 PM

proposals are not coming from gram sabhas to close wine shop

हरियाणा के गांवों में आपसी खींचतान व गुटबाजी के चलते शराब के ठेकों पर फैसला नहीं हो पा रहा है। सरपंचों की मनमानी रोकने के लिये खट्टर कैबिनेट इसके लिए अधिकार ग्राम सभाओं को दे चुकी है। सरकार ने यहां तक कह दिया कि गांव के महज 10 प्रतिशत मतदाता भी अगर...

चंडीगढ़: हरियाणा के गांवों में आपसी खींचतान व गुटबाजी के चलते शराब के ठेकों पर फैसला नहीं हो पा रहा है। सरपंचों की मनमानी रोकने के लिये खट्टर कैबिनेट इसके लिए अधिकार ग्राम सभाओं को दे चुकी है। सरकार ने यहां तक कह दिया कि गांव के महज 10 प्रतिशत मतदाता भी अगर लिखित में देंगे तो उस गांव में शराब का ठेका नहीं खोला जाएगा। दोनों ही पार्टियों - भाजपा व जजपा गांवों के अंदर शराब ठेकों को बंद करने के समर्थन में हैं।

भाजपा की गठबंधन सहयोगी जजपा ने तो अपने चुनावी घोषणा-पत्र में भी इसका ऐलान किया था। राज्य सरकार की आबकारी नीति में पहले से यह प्रावधान था कि जो भी ग्राम पंचायत ठेके का विरोध लिखित रूप में करेगी, उस गांव में शराब का ठेका नहीं खोला जाएगा। जजपा के साथ गठबंधन करके सरकार बनाने के बाद भाजपा ने नियमों में बदलाव किया। इसके तहत अब ग्राम पंचायत की बजाय ग्रामसभा को ही इसके अधिकार दिए गए। ऐसा माना जा रहा था कि सरपंचों की मनमानी के चलते गांव की आम राय सामने नहीं आ पाती थी।

वर्तमान में राज्य में शराब के कुल 2259 ठेके हैं। इनमें 950 ठेके ग्रामीण क्षेत्रों में खुले हुए हैं। अब कितने गांवों में शराब के ठेके खुलेंगे, इसका फैसला ग्राम सभाओं को करना होगा। ग्राम सभाओं के पास इसके लिये प्रस्ताव भेजने के लिये 31 दिसंबर तक का समय है। संभवत: मार्च में सरकार नई आबकारी नीति का ऐलान करेगी। इस नीति के बनने से पहले ही ग्राम सभाओं के प्रस्ताव आने अनिवार्य हैं ताकि यह तय हो सके कि कितने गांवों में ठेके रहेंगे और कितनों में नहीं। दिसंबर के पहले सप्ताह में एक-दो प्रस्ताव ही आबकारी एवं कराधान विभाग के पास पहुंचे हैं।

पिछली बार सरकार ने 57 गांवों में शराब ठेकों को बंद करने का फैसला लिया था। हालांकि 304 ग्राम पंचायतों की ओर से इस बाबत प्रस्ताव आये थे, लेकिन बाकी के प्रस्ताव तकनीकी आधार पर रद्द कर दिये गये थे। 1996 में पूर्व सीएम स्व़ चौ़ बंसीलाल के नेतृत्व में हविपा-भाजपा गठबंधन ने शराबबंदी की थी लेकिन यह फैसला सिरे नहीं चढ़ पाया। शराब की अवैध बिक्री के चलते सरकार को अपना फैसला पलटना पड़ा था।

सिरसा में हैं सबसे अधिक ठेके
सिरसा के गांवों में सबसे अधिक 114 शराब के ठेके खुले है। वहीं पंचकूला की सीमा से जुड़े गांवों में एक भी शराब का ठेका नहीं है। अम्बाला के गांवों में 30, भिवानी में 84, फरीदाबाद में 51, फतेहाबाद में 66, गुरुग्राम ईस्ट में 12, गुरुग्राम वेस्ट में 24, हिसार में 78, जगाधरी में 30, झज्जर में 58, जींद में 36, करनाल में 44, कुरुक्षेत्र में 24, मेवात में 6, नारनौल में 24, पलवल में 54, पानीपत में 24, रेवाड़ी में 48, रोहतक में 71 और सोनीपत जिले के गांवों में 72 जगह शराब के ठेके हैं।

सीमा विवाद में ठेके
765 ठेके गांवों व शहरों की संयुक्त सीमा में खुले हैं। यह ठेके किसकी सीमा में खुले हैं, इसका फैसला आबकारी एवं कराधान विभाग ही करेगा। अगर इन ठेकों से संबंधित कोई प्रस्ताव आता है तो उस स्थिति में इलाका अफसर मौके का मुआयना करके यह तय करेगा कि यह ठेका शहर की सीमा या गांव की सीमा में खुला है। 

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