कैथल की महिला सर्जन मेजर पायल छाबड़ा बनीं देश की पहली पैरा कमांडो, जानिए उनकी सफलता की कहानी

Edited By Manisha rana, Updated: 17 Sep, 2023 11:24 AM

payal chhabra became country first para commando female surgeon

हरियाणा की बेटी पायल छाबड़ा ने देश-दुनिया के मंच पर एक नया इतिहास रच दिया है। कैथल जिले के कलायत की रहने वाली पायल छाबड़ा ने सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं में डॉक्टर रहते हुए प्रशिक्षित पैरा परीक्षा पास की है। अब उन्हें पैरा कमांडो बनने का गौरव हासिल...

कैथल (जयपाल) : हरियाणा की बेटी पायल छाबड़ा ने देश-दुनिया के मंच पर एक नया इतिहास रच दिया है। कैथल जिले के कलायत की रहने वाली पायल छाबड़ा ने सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं में डॉक्टर रहते हुए प्रशिक्षित पैरा परीक्षा पास की है। अब उन्हें पैरा कमांडो बनने का गौरव हासिल हुआ है। पायल छाबड़ा युवाओं के लिए मिसाल बनी है। 

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जानकारी के मुताबिक कलायत की बेटी पायल छाबड़ा ने सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं में डॉक्टर रहते हुए प्रशिक्षित पैरा परीक्षा पास कर कमांडो बनने का गौरव हासिल किया है। खास बात यह है कि पहले कोई भी महिला सर्जन यह उपलब्धि हासिल नहीं सकी है। विदित है कि मेजर पायल छाबड़ा देश के दुर्गम इलाके केंद्रीय शासित प्रदेश लेह लद्दाख के आर्मी अस्पताल में विशेषज्ञ सर्जन के तौर पर सेवाएं दे रही हैं। 
 

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष OP धनखड़ ने ट्वीट के जरिए दी बधाई 

पायल की इस उपलब्धि पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ ने ट्वीट के जरिए बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि कैथल जिले के कलायत कस्बे की बेटी पायल छाबड़ा ने रचा इतिहास. बनी देश की पहली लड़की जिसने आर्मी में सर्जन होते हुए पेरा प्रोबेशन क्लियर किया है. बेटी पर सभी को गर्व है. भारत माता की जय।

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मेजर पायल शल्य चिकित्सक के तौर पर विश्व में दूसरे सबसे ऊंचे खारदूंगला मोटर बाईपास पर स्थित सेना अस्पताल में भी अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। आर्मी अस्पताल अंबाला कैंट में 13 जनवरी 2021 को कैप्टन के तौर पर उन्हें पहली नियुक्ति मिली थी। बड़े भाई संजीव छाबड़ा और भाभी डॉ. सलोनी छाबड़ा ने बताया कि देश व विदेश के बहुत से नामी महानगरीय निजी मल्टी स्पेशलिस्ट अस्पतालों ने बड़े आकर्षक पैकेज डॉ. पायल को ऑफर किए, लेकिन राष्ट्र सेवा का संकल्प उनके लिए अहम रहा। डॉ. पायल ने बताया कि माता-पिता ने बेटे की तरह उनकी परवरिश की। एमबीबीएस, एमएस की डिग्री हासिल करने के उपरांत करनाल स्थित राजकीय कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज सर्जरी विभाग में सीनियर रेजिडेंट भी रहीं। 

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पैरा कमांडो बनने का सफर आसान नहीं

पायल ने बताया कि पैरा कमांडो बनने का सफर आसान नहीं है। प्रशिक्षण की शुरुआत सुबह तीन से चार बजे के बीच हो जाती है। अमूमन 20 से 65 किलोग्राम वेट (पिठू) लेकर 40 किलोमीटर तक दौड़ना और ऐसे अनेक जटिल टास्क को पूरा करना पड़ता है। जुनून विश्वास के साथ अभ्यास की पराकाष्ठा से गुजरता होता है। यही कारण है कि अधिकांश जवान चुनौती के सामने हिम्मत हार जाते हैं, लेकिन जिनके इरादे मजबूत होते हैं वे मुकाम पर पहुंचकर ही दम लेते हैं।

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