अब हरियाणा में कम हुआ दूध दही का खाणा, सजने लगा है मयखाना !

Edited By Isha, Updated: 06 Apr, 2021 12:56 PM

now eating curd of milk curd has reduced in haryana

दूध-दही के खाणे के लिए मशहूर हरियाणा में अब दूध, दही व मक्खन की जगह शराब की खपत तेजी से बढ़ रही है। हरियाणा में इस साल 950 लाख प्रूफ लीटर देसी जबकि 550 लाख प्रूफ लीटर अंग्रेजी शराब का कोटा निर्धारित किया गया है। शराब से सरकार को सालाना 8

चंडीगढ़( संजय अरोड़ा):  दूध-दही के खाणे के लिए मशहूर हरियाणा में अब दूध, दही व मक्खन की जगह शराब की खपत तेजी से बढ़ रही है। हरियाणा में इस साल 950 लाख प्रूफ लीटर देसी जबकि 550 लाख प्रूफ लीटर अंग्रेजी शराब का कोटा निर्धारित किया गया है। शराब से सरकार को सालाना 8 हजार करोड़ रुपए के राजस्व की उम्मीद है। हरियाणा में हर साल शराब का कोटा बढ़ रहा है और शराब की बिकवाली लगातार तेज हो रही है। लॉकडाऊन में तो शराब के ठेकों के बंद रहने के बाद शराब की हुई अवैध बिक्री के चलते बड़ा घोटाला भी सामने आ चुका है। आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा के गुरुग्राम और फरीदाबाद में सबसे अधिक शराब की खपत होती है। इन दोनों जिलों में ही कुल शराब का 18 फीसदी कोटा निर्धारित किया गया है। शराब हरियाणा में राजस्व का भी बड़ा जरिया है।

पिछले वित्त वर्ष में शराब
के जरिए सरकार को 7500 करोड़ रुपए के राजस्व की प्राप्ति हुई थी। इस बार 8 हजार करोड़ रुपए के राजस्व की उम्मीद है, जबकि 2016-17 में शराब से 4613.13 करोड़, 2017-18 में 4966.21 करोड़, 2018-19 में 6450 करोड़ और 2019-20 में 7 हजार करोड़ रुपए के राजस्व की प्राप्ति हुई। शराब से होने वाली कमाई हरियाणा के कुल राजस्व का करीब 7 प्रतिशत है जो एक बहुत बड़ा आंकड़ा है।

दूध की जगह शराब परोसने की शुरू हुई परम्परा
गौरतलब है कि हरियाणा देसी खान-पान खासकर दूध-दही के खाणे के लिए मशहूर रहा है। मेहमानों को खाने के बाद दूध परोसने की परम्परा रही है। हरियाणा की मुर्राह नस्ल की भैंसें और देसी गायों की अपनी एक पहचान रही है। घरों में घी, मक्खन, दूध, दही की भरमार रहती थी। अब ऐसा नहीं है।अब जहां शहरों के साथ साथ ग्रामीण आंचल में भी सांय को दूध की जगह मदिरा से मेहमानों की आवभगत की परम्परा शुरू हो गई है तो वहीं अब ग्रामीण परिवेश में भी सब कुछ बदल रहा है। पशुपालन अब व्यासायिक होता जा रहा है। लोग डेयरियों व घरों में दूध की बिकवाली करने लगे हैं। पहले दूध बेचने का रिवाज नहीं था। घर में ही दूध पीने के इस्तेमाल के अलावा बड़े पैमाने पर घी और मक्खन बनाने के काम आता था। पर अब दूध जहां व्यासायिक बन गया है तो शराब की खपत हरियाणा में बड़े पैमाने पर होने लगी है।

अब राज्य का नौजवान जो कभी अपने दिन की शुरुआत दूध, दही व मक्खन से करता था और रात्रि को सोने से पहले गर्म दूध का गिलास पी कर दिन भर की थकान मिटाता था तो अब प्रदेश का अधिकांश युवा दूध की बजाय शराब के सेवन की ओर आकर्षित नज़र आता है । इंडियन एल्कोहल कंजम्पशन रिपोर्ट-2020 के अनुसार पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के बाद हरियाणा में शराब की खपत सबसे अधिक होती है। हालांकि शराब के ठेकों में पिछले कुछ समय में कमी आई है। 2017-18 में ठेकों की संख्या 3500 थीं। इसके बाद सरकार की ओर से इच्छा अनुसार ग्राम पंचायतों से शराब ठेके न खोलने के प्रस्ताव लिए जाने के बाद अब ठेकों की संख्या 2600 रह गई है। सांझ ढलते ही अब रुह अफजा से महकता दूध का गिलास नहीं बल्कि शराब के जाम छलकते हैं।

उत्पादन बढ़ने के बावजूद कम हो रही दूध की खपत
नैशनल सैंपल सर्वे के अनुसार हरियाणा में पिछले दो दशक में दूध की खपत में कमी आई है। यह बात अलग है कि हरियाणा में पिछले कुछ बरसों में दूध का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है, पर दूध घरों में पीने के रूप में कम इस्तेमाल होने लगा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से हर साल करवाए जाने वाले नैशनल सैंपल सर्वे के अनुसार हरियाणा में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार मासिक 10 लीटर जबकि शहरी क्षेत्र में 8 लीटर दूध की खपत करता है। 2011-12 में ग्रामीण क्षेत्र में यह आंकड़ा 14.7 लीटर था जबकि शहरी क्षेत्र में 11 लीटर। हालांकि राष्ट्रीय औसत से यह करीब अढ़ाई गुणा अधिक है, पर पहले की तुलना में दूध की खपत काफी कम हो गई है। हां दूध का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। हरियाणा पशुधन विभाग के अनुसार 1966 में हरियाणा में 1.1 मिलीयन टन दूध का उत्पादन था। साल 2000 में यह 4.8 मिलीयन टन जबकि 2009-10 में 6 मिलीयन टन हो गया। 2012-12 में 7 मिलीयन जबकि 2018-19 में 8.4 मिलीयन टन तक पहुंच गया। अब ग्रामीण क्षेत्र में लोग बड़े पैमाने पर दूध बेचने लगे हैं। दूध से अब मक्खन, घी कम तैयार होता है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में तो दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद में हरियाणा के सोनीपत, रोहतक आदि से दूध की बिकवाली बड़े पैमाने पर होती है।

बंसीलाल ने लागू की थी शराबबंदी
 हरियाणा के अब तक के इतिहास में एक बार शराबबंदी भी लागू रही है। साल 1996 के विधानसभा चुनाव में बंसीलाल ने शराबबंदी का नारा देते हुए चुनाव लड़ा। उनकी पार्टी हविपा को 33 सीटों पर जीत मिली। अपनी गठबंधन सहयोगी भाजपा के साथ मिलकर बंसीलाल ने सरकार बनाई और वे चौथी बार मुख्यमंत्री बने। 31 जुलाई 1996 को बंसीलाल ने हरियाणा में शराबबंदी लागू कर दी। इसका असर उलटा हुआ। अवैध शराब के मामले बढऩे लगे। घपले सामने आने लगे। शराबबंदी के पहले नौ महीनों में ही 30 हजार के करीब केस दर्ज करते हुए साढ़े 31 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया। शराब पीने के आदी लोग पंजाब और राजस्थान के सीमांत इलाकों में जाने लगे। कई-कई दिन घर नहीं लौटते थे।  इन्हीं हालातों को देखते हुए ही 1 अप्रैल 1999 को बंसीलाल ने शराबबंदी हटा दी।

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