एक नहीं अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं मरीज, सुविधाओं के नाम पर मिल रहे हैं आश्वासन

Edited By Isha, Updated: 09 Jan, 2020 12:08 PM

not one patient is facing many problems

जिले के एकमात्र ई.एस.आई. अस्पताल में सुविधाओं का टोटा है। ई.एस.आई. अस्पताल में मरीजों को एक नहीं अनेक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। मरीजों का अस्पताल नहीं बल्कि भगवान ही रखवा

यमुनानगर (रंजना): जिले के एकमात्र ई.एस.आई. अस्पताल में सुविधाओं का टोटा है। ई.एस.आई. अस्पताल में मरीजों को एक नहीं अनेक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। मरीजों का अस्पताल नहीं बल्कि भगवान ही रखवाला है। मरीजों को सुविधाओं के नाम पर यहां केवल आश्वासन व चक्कर काटने को ही मिलते हैं। मरीजों का कहना था कि डाक्टर ओ.पी.डी. में कभी चाय पीने के बहाने तो कभी किसी बहाने निकल जाते हैं। 

इसके बाद यहां पर यह बताने वाला कोई नहीं होता कि डाक्टर कब तक आएगा। इससे मरीजों को वहां पर लंबा इंतजार करना पड़ता है। कई बार तो दवाई लेने में 2 घंटे लग जाते हैं क्योंकि दवाई देने वाले कर्मचारी मोबाइल पर व्हाट्सएप फेसबुक करते रहते हैं और मरीज खिड़की पर दवाई लेने के लिए इंतजार में खड़े रहते हैैं। इस तरह की दिक्कतों का सामना मरीजों को करना पड़ता है और अस्पताल प्रशासन है कि इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। ड्रैसिंग रूम में मरीज घंटा इंतजार करते रहते हैं लेकिन उनके पास कोई भी डाक्टर उनका हाल पूछने नहीं आते।

डाक्टर रहते हैं कुर्सियों से गायब, मरीज बेहाल
मंगलवार को ई.एस.आई. अस्पताल की खिड़की पर दवाई लेने पहुंचे मरीज के परिजन लक्ष्मी देवी, राजकुमार व सुरजीत का कहना है कि सुबह 10 बजे पहुंच गए थे। 12 बजे तक डाक्टर ही नहीं मिल पाया। पता किया तो बताया गया कि कई डाक्टर छुट्टी पर हैं।  इसके अलावा जो डाक्टर ओ.पी.डी. में बैठे थे, वे भी पूरा समय नहीं दे पाए। उनका कहना है कि यहां पर मरीज की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मजदूर काम छोड़कर दवाई लेने आते हैं तो उन्हें पूरा-पूरा दिन लग जाता है।

पूरी दवाइयां भी यहां पर उपलब्ध नहीं हैं। कई बार तो डाक्टर दवाई कुछ लिखता है और मैडीकल स्टोर से दवाई कोई और दे दी जाती है। इस तरह से यहां पर सिस्टम में सुधार की जरूरत है। प्रशासन के उच्चाधिकारियों को यहां पर ध्यान देना चाहिए।  मरीजों का कहना है कि रात के समय ई.एस.आई. अस्पताल में स्थिति और भी दयनीय हो जाती है। आपात स्थिति में रात को आने वाले मरीजों को देखने के लिए विशेष रूप से डाक्टरों को घरों से बुलाना पड़ता है।

ऐसी स्थिति में मरीज जोकि पहले से ही गंभीर अवस्था में होता है वह इंतजार करते-करते और भी गंभीर हो जाता है। इतनी गंभीर हालत में जब उसका इलाज स्थानीय स्तर पर संभव नहीं होता तो उसे चंडीगढ़ या अन्य स्थान पर रैफर कर दिया जाता है।  एक मरीज का कहना है कि चंडीगढ़ या अन्य शहर में जाने के लिए एक मरीज को एम्बुलैंस की जरूरत होती है। 

ऐसे में अस्पताल प्रशासन द्वारा एम्बुलैंस को लेकर फिर हाथ खड़े कर दिए जाते हैं। जब तक मरीज को अस्पताल में न लाया जाए तब तक उसे रैफर नहीं किया जाता। अस्पताल में लाने तक मरीज और भी गंभीर हो जाता है और ऐसे में मरीज व उसके परिजन यही कहते सुनाई देते हैं कि ई.एस.आई. से अच्छा तो वे निजी अस्पताल में ही चले जाते कम से कम उन्हें एम्बुलैंस तो मिल जाती। ई.एस.आई. कार्ड बना होने की वजह से मरीज को पहले ई.एस.आई. अस्पताल ही जाना होता है। यदि वह ऐसा नहीं करता तो उसे ई.एस.आई. का लाभ नहीं मिलता।

अस्पताल प्रांगण में लगे गंदगी के ढेर
ई.एस.आई. अस्पताल के अंदर गंदगी के ढेर की वजह से मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गंदगी में पनप रही बदबू बीमारियों को न्यौता दे रही है। सफाई कर्मचारी कूड़ा उठाने की बजाय, वहीं पर ढेर कर चले जाते हैं। योगेश कुमार, रमन कुमार व अमनदीप ने बताया कि अस्पताल के पीछे कई दिनों से गंदगी के ढेर लगे हुए हैं, जिस कारण मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल में जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हुए हैं जिसकी वजह से अस्पताल के अंदर जाने के लिए भी लोगों व मरीजों को मुंह पर रूमाल रखना पड़ता है। 

मरीजों के पास न हीटर न कम्बल
ई.एस. आई. अस्पताल में जहां डाक्टर हीटर लगाकर अपने कमरों को गर्म रखते हैं वहीं मरीजों को हीटर भी नसीब नहीं हो रहा है। कड़ाके की ठंड में मरीज कंपकंपाते हुए अस्पताल में लेटे हुए हैं। अस्पताल की ओर से दिए जाने वाले कंबल भी इतनी घटिया क्वालिटी के हैं कि मरीजों के परिजनों ने वे कम्बल अलमारियों में ही फैंके हुए हैं और मरीजों को अपने घरों से मोटे कम्बल व रजाइयां लाकर दे रखी हैं। अस्पताल में जो कम्बल हैं वे देखने से लगता है कि 20 साल पुराने हो चुके हैं और उनकी गर्माहट भी खत्म हो चुकी है। सर्दी की वजह से मरीज परेशान हैं लेकिन डाक्टर इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।

ई.एस.आई. अस्पताल के बारे में कुछ भी मत लिखना : डा. बलवंत राय
ई.एस.आई. अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डा. बलवंत राय से जब इन समस्याओं के बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह समाचार में लिखने के लिए कुछ भी नहीं बताएंगे। सफाई के मामले में एक बात उन्होंने बताई जिसमें उन्होंने बताया कि उनके पास सफाई कर्मचारी नहीं हैं। मात्र 3 कर्मचारी हैं और कर्मचारियों की मांग उन्होंने करनाल सिविल सर्जन को दे रखी है। बाकी डाक्टरों के बारे में जब जानकारी मांगी गई तो उन्होंने कहा कि आपको अस्पताल में आने की परमिशन किसने दी है।

उनका कहना था कि उनके पास कौन सी परमिशन है जो वह अस्पताल का दौरा करने आए हैं। जब संवाददाता ने डाक्टर बलवंत राय को कहा कि समाचार पत्र के माध्यम से संवाददाता सरकारी सुविधाओं का लाभ जनता तक न पहुंच पाने की आवाज बुलंद करता है। जन समस्याओं को उन्हें जनता और उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने के लिए किसी की परमिशन की जरूरत नहीं होती तो उन्होंने कहा कि उनके अस्पताल के बारे में कुछ भी मत लिखना।
 

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