परंपरागत खेती छोड़ किसान ने लगाया आडू का बाग, विदेशी लोगों तक पहुंची आडूओं की मिठास

Edited By Manisha rana, Updated: 02 Mar, 2023 10:46 AM

leaving the traditional farming the farmer planted a peach orchard

गेहूं, धान, नरमा और सरसों जैसी परंपरागत फसलों को छोड़ किसान अब ऐसी खेती की ओर आगे बढ़ रहे हैं जिसमें कम लागत के साथ अधिक मुनाफा ...

फतेहाबाद (रमेश भट्ट) : गेहूं, धान, नरमा और सरसों जैसी परंपरागत फसलों को छोड़ किसान अब ऐसी खेती की ओर आगे बढ़ रहे हैं जिसमें कम लागत के साथ अधिक मुनाफा तो मिलता ही है। साथ ही पानी की बचत कर समाज में अपना योगदान दे रहे हैं। फतेहाबाद के गांव धांगड़ निवासी धर्मवीर जो कि लॉ ग्रुजेएट हैं। धर्मवीर ने ऐसी खेती पद्धति को अपनाया और अपने खेत में आडू का बाग लगा कर बागवानी शुरु की। 

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बताया जा रहा है कि फतेहाबाद में उनके बाग आडूओं की मिठास इतनी पसंद आ रही है कि लोगों को शिद्दत से फसल आने का इंतजार रहता है। इतना ही नहीं धर्मवीर इस बाग में किसी प्रकार के रासायनिक खादों अथवा उर्वरकों का इस्तेमाल भी नहीं करते यानि पूरी तरह से आर्गेनिक तरीके से बागवानी कर रहे हैं। धर्मवीर के इस बाग की चर्चा केवल फतेहाबाद या देश में ही नहीं बल्कि विदेशी लोग भी इनके बाग को देखने आ चुके हैं।

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धर्मवीर के अनुसार इस बाग को जब उन्होंने लगाया तो सरकार की ओर से उन्हें आर्थिक मदद भी दी गई और उसके बाद पौधों के रख रखाव, सिंचाई के लिए ड्रिप इरीगेशन और पानी के टैंक के लिए भी 100 प्रतिशत सबसिडी दी गई। प्रगतिशील किसान धर्मबीर ने बताया कि अब वह केवल आडू की बागवानी तक सीमित नहीं है, बल्कि बाग में उन फसलों को लेने का प्रयास कर रहे हैं, जो इन पौधों के नीचे कम पानी में आराम से मिल सके। उन्होंने बताया कि इस बार ट्रायल के तौर पर अपने इस बाग में हल्दी भी लगाई है। अगर उनका यह प्रयोग सफल होता है तो वह एक साथ दो फसलें और वो आर्गेनिक तरीके से ले सकेंगे। जिससे उनका मुनाफा डबल हो जाएगा। 

किसान धर्मवीर ने कहा कि अगर सरकार उनके प्रोडेक्ट को बेचने के लिए डायरेक्टर सेलिंग का प्लेटफार्म मुहैया करवा दे तो मुनाफा और भी बढ़ सकता है। उन्होंने किसानों के लिए एक मैसेज भी दिया कि किसान अधिक पानी वाली फसलों का मोह त्याग कर इस प्रकार की फसलों पर अपना ध्यान दें, तो वह कम लागत में और लंबे समय तक मुनाफा ले सकते हैं। 

वहीं जिला बागवानी अधिकारी श्रवण का कहना है कि किसानों को परंपरागत फसलों को छोड़ सब्जी और फलों की खेती के लिए प्रेरित करने के लिए सरकार ने कई योजनाएं चला रखी हैं। जिसमें किसानों को 50 प्रतिशत से 100 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है और समय-समय पर विभाग द्वारा किसानों का मार्ग दर्शन भी किया जाता है। 

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