सरकारी नौकरी छोड़ खेत में उतरा युवा, आज कमा रहा मोटा मुनाफा

Edited By Manisha rana, Updated: 25 May, 2023 04:09 PM

leaving the government job the youth landed in the farm

नौकरी अगर अच्छी हो तो खेती-किसानी करने के बारे में भला कौन सोचता है लेकिन बदलाव के इस दौर में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपनी जिद और जज्बे के चलते नई राह पकड़ रहे हैं।

करनाल : नौकरी अगर अच्छी हो तो खेती-किसानी करने के बारे में भला कौन सोचता है लेकिन बदलाव के इस दौर में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपनी जिद और जज्बे के चलते नई राह पकड़ रहे हैं। पिछले कुछ सालों में आपने ऐसे कई खबरों के बारे में सुना या पढ़ा होगा कि किसी ने इंजीनियर की नौकरी तो किसी ने गूगल की नौकरी छोड़ कर किसानी शुरू कर दी है। आइए हम आपको मिलवाते हैं ऐसे एक किसान से जिन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ अपनी पुश्तैनी जमीन पर चार नेट हाउस लगाकर खीरे की खेती कर रहे है। 

बता दें कि करनाल जिले के गांव छपरियो जहां पर एक युवा किसान 45000 रुपये की सरकारी नौकरी छोड़ नेट हाउस में संरक्षित खेती कर रहा है जिसका काफी अधिक फायदा है। गर्मी के मौसम में अधिकतर खीरे की डिमांड बढ़ जाती है। जिसको लेकर किसान ने दो साल पहले एक नेट हाउस से अपना यह काम शुरू किया और आज उनके पास तकरीबन चार के करीब नेट हाउस है और आगे दो और नेट हाउस लगाने के बारे में सोच रहे हैं। क्योंकि इस काम से उनको अधिक मुनाफा तो हुआ ही है। उसी के साथ संरक्षित खेती कर और लोगों को भी रोजगार मिला है। 

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संरक्षित खेती से होती है पानी की काफी ज्यादा बचत 

संरक्षित खेती का सबसे अधिक फायदा यह है कि इसमें पानी की काफी ज्यादा बचत होती है, क्योंकि इसमें पौधों की जड़ों तक ही पानी पहुंचता है। जितनी उसको आवश्यकता होती है। ड्रिप सिंचाई के द्वारा बूंद-बूंद पानी पौधों की जड़ों तक पहुंचता है, जितनी खुराक की उसको आवश्यकता होती है उतनी ही मिल जाती है। इस समय किसान के खेत में देख-रेख का काम चल रहा है और तुड़ाई भी हो रही है।


इस समय 15 रुपये प्रति किलो चल रहा खीरे का रेट 


किसान इस खीरे को दिल्ली चंडीगढ़ जैसे बड़े-बड़े शहरों में भेजते हैं, जहां पर इसकी डिमांड भी काफी ज्यादा रहती है। अगर इस समय की रेट की बात करें तो 15 रुपये प्रति किलो रेट चल रहा है। अगर इसमें खर्च की बात की जाए तो एक नेट हाउस पर ढाई से तीन लाख रुपये का खर्च कर 2 लाख रुपये हर नेट हाउस में किसान को बचत हो रही है। यानी 4 नेट हाउस से 8 लाख रुपये की बचत हुई है।

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किसान ने बताया कि अगर इसमें सरकार की बात की जाए तो सरकार द्वारा हमें सबसे पहले इसमें 65% की सब्सिडी मिली थी। हालांकि अब उस सब्सिडी को 50 % कर दिया गया है, मगर उसके बाद भी काफी अच्छा काम चल रहा है। अगर और युवाओं की बात करें तो उनको सबसे पहले नेट हाउस के बारे में जानना पड़ेगा। ड्रिप सिंचाई क्या होती है, खाद पानी हमें किस प्रकार देना है इसकी जानकारी होना अति आवश्यक है। अगर किसान भाई इस तरफ आना चाहते हैं तो वह इसके बारे में ट्रेनिंग भी ले सकते। जहां से उनको अच्छी तरह की जानकारी मिल सकेगी। 

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