नहर से खेतों के लिए पानी की सीधी मोरी लगाने के लिए, पानी का बादल कहलाए थे चौ. दल सिंह

Edited By Isha, Updated: 09 Oct, 2019 04:47 PM

in order to apply a direct drain of water from the canal to the fields

5 बार विधायक चुने गए और प्रदेश सरकार में मंत्री रहे स्व. चौधरी दल सिंह को जींद जिले के लोग पानी के बादल के नाम से जानते हैं। उन्हें पानी के बादल का खिताब इसलिए मिला था क्योंकि उन्होंने नहर

जींद (जसमेर): 5 बार विधायक चुने गए और प्रदेश सरकार में मंत्री रहे स्व. चौधरी दल सिंह को जींद जिले के लोग पानी के बादल के नाम से जानते हैं। उन्हें पानी के बादल का खिताब इसलिए मिला था क्योंकि उन्होंने नहर से खेतों हेतु सीधे पानी की मोरी (मोघे) लगवाने का कानून बनवाया था। वह अपने दौर में जींद की राजनीति के भीष्म पितामह थे। जब वह प्रदेश सरकार में सिंचाई मंत्री थे तब जींद और जुलाना समेत पूरे जिले में नहरी पानी की भारी कमी थी। जिले का भूमिगत जल सिंचाई के ज्यादा अनुकूल नहीं होने से खेती नहरी पानी पर निर्भर थी।

जिले से सुंदर और हांसी ब्रांच नहरों के गुजरने के बावजूद खेतों को नहरी पानी नहीं मिल पाता था। चौ. दल सिंह ने किसानों के दर्द को समझा और हांसी व सुंदर ब्रांच नहरों से खेतों में नहरी पानी हेतु मोरी लगवाने का कानून बनाया। उसके बाद जिले के प्यासे खेतों को नहरी पानी मिलने लगा तथा किसान खुशहाल हुए। खेतों के लिए नहरी पानी की व्यवस्था इस तरह करवाने के लिए चौ. दल सिंह को लोगों ने पानी के बादल का खिताब दे दिया। 

आज भी जब उनका कहीं जिक्र आता है तो लोग उन्हें चौ. दल सिंह के नाम से कम और पानी के बादल के नाम से ज्यादा जानते हैं। उनके राजनीतिक जीवन में साथी रहे पूर्व मंत्री रामकिशन बैरागी बताते हैं कि चौ. दल सिंह ने जींद जिले में खेती की सूरत ही बदलकर रख दी थी। यहां के प्यासे खेतों को नहरी पानी देकर उन्होंने किसान हित में बहुत बड़ा काम किया था। इसी कारण लोग उन्हें पानी का बादल कहकर पुकारते थे। इस तरह का खिताब बहुत कम लोगों को जनता की तरफ से मिलता है। 

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