खलनायक नहीं हरियाणा की लाइफ लाइन है हथिनी कुंड बैराज, 5 राज्यों को करता है पानी सप्लाई

Edited By Manisha rana, Updated: 17 Jul, 2023 12:23 PM

hathini kund barrage is the lifeline of haryana not a villain

हरियाणा के यमुनानगर के हथिनी कुंड बैराज से लगातार पानी दिल्ली जाने को लेकर अब राजनीति तेज हो चुकी है। बैराज और डैम में क्या अंतर है।

चंडीगढ़ (धरणी) : हरियाणा के यमुनानगर के हथिनी कुंड बैराज से लगातार पानी दिल्ली जाने को लेकर अब राजनीति तेज हो चुकी है। बैराज और डैम में क्या अंतर है। क्या हथिनी कुंड बैराज पर पानी रोकने का सिस्टम है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखकर हथिनी कुंड बैराज से सीमित पानी छोड़ने का आग्रह किया, क्या ऐसा संभव है? 


1999 में हुई थी हथिनी कुंड बैराज की स्थापना


वास्तव में हथिनी कुंड बैराज की स्थापना बंसीलाल सरकार में 1999 में हुई थी। यह रिकॉर्ड तीन साल में बनकर तैयार हुआ था। देश के 5 राज्यों हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में पानी के बंटवारे को लेकर इस बैराज की स्थापना की गई थी। इनमें इन सभी 5 राज्यों का पानी का हिस्सा रहता है जो सामान्य परिस्थितियों में नियम मुताबिक दिया जाता है। यहां मानसून के दिनों में अधिक वर्षा होने के बाद पानी को नापने का सिस्टम है जिससे पता चल सके कि यहां से कब-कब कितना पानी क्रॉस हुआ है। बैराज में 18 गेट लगे हुए हैं। बैराज की क्षमता 9 लाख 95000 क्यूसेक पानी को झेलने की है। 

पानी कब कितना आता है यह सब हर 1 घंटे में नापने के बाद कागजों में नोट किया जाता है और इसकी सूचना हरियाणा सिंचाई विभाग के साथ-साथ दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश, राजस्थान सरकारों को भी भेजी जाती है। इस बैराज में वह पानी आता है जो उत्तराखंड व हिमाचल के पहाड़ी इलाकों में हुई वर्षा के बाद मैदानी इलाकों में नीचे उतरता है। साल के 9 महीनों में यहां सामान्य 10 से 12000 क्यूसेक पानी ही होता है। जिनमें सभी राज्यों का अलग-अलग हिस्सा होता है और उसे समझौते के मुताबिक बांटा जाता है। 

इस मानसून में पहाड़ी एवं मैदानी इलाकों में अन्य वर्षों की तुलना में बहुत अधिक वर्षा हुई। जिसके चलते हथिनी कुंड बैराज के गेट लगातार 97 घंटे तक खुले रहे। पिछले 50 साल के रिकॉर्ड में ऐसा कभी नहीं हुआ जब इतने समय तक बैराज के गेट खुले रहे हो। हालांकि हथिनी कुंड बैराज 1999 में बना, लेकिन इससे पहले ताजेवाला हेड वर्क्स था, उस दौरान भी कभी इतने समय तक ताजेवाला हेड वर्क्स के गेट खुले नहीं रहे।लगातार यहां से पानी क्रॉस होने के बाद दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर जाता है। वास्तव में हथिनी कुंड बैराज से क्रॉस होने वाले पानी के साथ-साथ हरियाणा के विभिन्न इलाकों में हुई वर्षा, उत्तर प्रदेश में हुई वर्षा का पानी भी इसी यमुना में आकर गिरता है और इस पानी को बढ़ा देता है। जिसके चलते दिल्ली में यमुना का स्तर लगातार बढ़ता है। वहां बाढ़ जैसे हालात पैदा होते हैं।

हथिनी कुंड बैराज के गेट अब 100000 क्यूसेक पानी होने के बाद खोले जाते हैं। जबकि पिछले सीजन तक 70000 क्यूसेक पानी आने के बाद उसे मिनी फ्लड माना जाता था और हथिनी कुंड बैराज के गेट खोल दिए जाते थे। जब हथिनी कुंड बैराज के गेट खुलते हैं तब हरियाणा व उत्तर प्रदेश की नहरों में पानी की सप्लाई बंद कर दी जाती है। और सारा पानी यमुना में जाता है। लेकिन इस बार 100000 क्यूसेक पानी होने के बाद ही गेट खोले गए और उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा की नदियों में पानी की सप्लाई बंद कर दी गई।  पानी की सप्लाई हरियाणा, उत्तर प्रदेश की नदियों में इसलिए बंद की जाती है क्योंकि पहाड़ी इलाकों से बाढ़ के पानी के साथ-साथ बड़े-बड़े पत्थर, पेड़ इत्यादि आते हैं जो नदियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसी के चलते नियम मुताबिक नदियों में पानी की सप्लाई बंद की जाती है। 


आप पार्टी के नेता यह आरोप लगाते रहे हैं कि नदियों में पानी की सप्लाई हरियाणा व उत्तर प्रदेश को बचाने और दिल्ली को डुबोने के लिए की गई है, जबकि यह नियम अब से नहीं पिछले कई दशकों से लागू है। जब से पांच राज्यों में पानी के बंटवारे को लेकर ताजेवाला और अब हथिनी कुंड बैराज स्थापित हुए हैं। 

सिंचाई विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर आर एस मित्तल का कहना है कि नियमों के मुताबिक ही उत्तर प्रदेश हरियाणा को पानी की सप्लाई होती है। नियम मुताबिक ही दिल्ली को भी पानी की सप्लाई होती है। जब पानी यमुना में कम होता है उसके बावजूद दिल्ली को अतिरिक्त पानी की सप्लाई भी दी जाती है । 

हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा केंद्रीय गृहमंत्री को लिखी चिट्ठी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हथिनी कुंड बैराज पर पानी रोकने का कोई सिस्टम नहीं है। उन्होंने केजरीवाल के बयान को गैर जिम्मेदाराना बयान बताते हुए कहा कि यह उनकी अज्ञानता प्रकट कर रहा है। उन्होंने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में हथिनी कुंड बैराज से पानी का बंटवारा होता है। जबकि फ्लड के सीजन में 100000 क्यूसेक से अधिक पानी आने पर बैराज के गेट खोले जाते हैं। वहां से सिर्फ पानी क्रॉस होता है और यहां सिर्फ पानी नापने का सिस्टम है, गेज लगे हैं।

डैम बनाने की है योजना 

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल हथिनी कुंड बैराज से कुछ किलोमीटर ऊपर एक डैम बनाने के निर्देश अधिकारियों को दे चुके हैं। इसके लिए वह कई बार उस स्थल का दौरा करके अधिकारियों को जल्द काम शुरू करने के लिए कह चुके हैं। मुख्यमंत्री का मानना है कि बाढ़ के दौरान लाखों क्यूसेक पानी बर्बाद हो जाता है।  डैम बनाने से वह पानी सुरक्षित रखा जाएगा तो पूरे 9 महीने  हरियाणा में काम आ सकेगा। फिलहाल इस योजना पर इसलिए ब्रेक लगा हुआ है क्योंकि  हिमाचल सरकार ने इसके लिए अभी अपनी एनओसी नहीं दी है। 

सिंचाई विभाग के सुपरीटेंडेंट इंजीनियर आर एस मित्तल का कहना है कि हथिनी कुंड बैराज पर ऑटोमेटिक सिस्टम लगा हुआ है जिसमें डिस्चार्ज होने वाला पानी वेरीफाइड होता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में जो पानी नापने का पैमाना है वह 1978 से पहले का है, उसे अपग्रेड नहीं किया गया जबकि दिल्ली का यमुना का एरिया भी पहले की उपेक्षा छोटा हो चुका है। 

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