Edited By Isha, Updated: 18 Sep, 2024 01:58 PM
पिछले लंबे समय से चंडीगढ़ प्रशासन में लगातार कम हो रही अपनी हिस्सेदारी को लेकर अब हरियाणा और पंजाब गंभीर हो गए हैं। पिछले लंबे समय से चल रहे इस विवाद को दोनों राज्यों की ओर से अब उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में उठाया जाएगा।
चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी) : पिछले लंबे समय से चंडीगढ़ प्रशासन में लगातार कम हो रही अपनी हिस्सेदारी को लेकर अब हरियाणा और पंजाब गंभीर हो गए हैं। पिछले लंबे समय से चल रहे इस विवाद को दोनों राज्यों की ओर से अब उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में उठाया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में अगले महीने के पहले सप्ताह में इस बैठक का आयोजन किया जाएगा, जिसमें अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और अन्य अधिकारी शामिल होंगे।
हरियाणा ने लिखा पत्र
चंडीगढ़ प्रशासन में हिस्सेदारी को लेकर हरियाणा सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर इस मुद्दे को एनजेडसी की बैठक के आधिकारिक एजेंडे में शामिल करने की मांग की है। हरियाणा का कहना है कि चंडीगढ़ प्रशासन में पंजाब और हरियाणा के कर्मचारियों के बीच 60:40 के अनुपात में यथास्थिति बनाए रखी जानी चाहिए, जिसे पिछले कुछ सालों में बदला गया है। इसका नतीजा यह हुआ है कि यूटी प्रशासन में प्रतिनियुक्ति पर तैनात हरियाणा और पंजाब के अधिकारियों की हिस्सेदारी कम हो गई है।
हरियाणा-पंजाब को है ये आपत्तियां
हरियाणा की ओर से जताई गई आपत्ति में चंडीगढ़ प्रशासन में लगातार घट रही हरियाणा सिविल सेवा (HCS) के अधिकारियों की संख्या पर चिंता जताई है। पहले यूटी प्रशासन में सात एचसीएस अधिकारी तैनात थे, लेकिन अब यह संख्या घटकर 4 रह गई है। इनमें से दो यूटी प्रशासन में और दो चंडीगढ़ नगर निगम में तैनात हैं। हरियाणा का आरोप है कि इस कमी ने यूटी प्रशासन में हरियाणा की भागीदारी को प्रभावित किया है।
वहीं, पंजाब ने भी इस मुद्दे पर आपत्ति जताई है और बार-बार यह तर्क दिया है कि एजीएमयूटी कैडर के अधिकारियों का यूटी प्रशासन में प्रभुत्व बढ़ गया है। पंजाब का आरोप है कि चंडीगढ़ प्रशासन के प्रमुख पदों पर पहले पंजाब के अधिकारियों का कब्जा था, लेकिन अब एजीएमयूटी कैडर के अधिकारियों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
पंजाब ने मांग की है कि यूटी प्रशासन में प्रतिनियुक्ति पर होने वाली नियुक्तियों का कार्यकाल निश्चित न हो और इसे सामान्य प्रतिनियुक्ति न माना जाए। साथ ही पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों की हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए यूटी प्रशासन में कोटा तय करने के अलावा दोनों राज्यों के अधिकारियों के लिए आरक्षण की मांग भी की गई है। उम्मीद जताई जा रही है कि अगले महीने होने वालवी एनजेडसी की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है, जिससे इस विवाद का कोई समाधान निकाल सके।