Edited By Updated: 07 Nov, 2016 01:57 PM
पहली बार एशियन चैंपियंस ट्राफी जीतकर इतिहास रचने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम ने ट्राफी जीतने के लिए पुरानी गलतियों को दूर करके नई योजना तैयार
रोहतक: पहली बार एशियन चैंपियंस ट्राफी जीतकर इतिहास रचने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम ने ट्राफी जीतने के लिए पुरानी गलतियों को दूर करके नई योजना तैयार की। फाइनल से ठीक पहले चीन से हार मिलने के बाद टीम का मनोबल नहीं टूटा। फाइनल में योजना के तहत प्रत्येक खिलाड़ी ने अच्छा प्रदर्शन किया।
भारत को एशिया चैंपियन बनाने में निर्णायक गोल करने वाली दीपिका ठाकुर ने कहा कि एशियन चैंपियंस ट्राफी से पहले महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक खेला था। जहां पेनाल्टी कार्नर को गोल में न बदल पाना टीम की सबसे बड़ी कमजोरी थी। टीम ने इस कमजोरी को दूर करने के लिए सबसे ज्यादा प्रैक्टिस की।
दीपिका ठाकुर ने कहा कि एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में उनका फोकस पेनाल्टी कार्नर को गोल में बदलना था। फाइनल से ठीक पहले मैच में चीन से 2-3 से हार मिली थी। उसी टीम से फाइनल होने से टीम के खिलाड़ियों पर दबाव था। टीम के खिलाड़ियों का मनोबल न टूटे इसके लिए फाइनल खेलने से पहले कोच और सभी खिलाड़ियों ने मीटिंग की। इसमें योजना बनाई गई कि चीन को हम बड़ी आसानी से हरा सकते हैं। यह तब संभव होगा, जब हम ग्राउंड गोल की जगह पेनाल्टी कार्नर पर फोकस करें। दीपिका ने बताया कि योजना के तहत तय किया गया कि ग्राउंड गोल भले ही नहीं मिले, लेकिन पेनाल्टी कार्नर किसी भी हालत में खाली नहीं जाना चाहिए। ऐसा होता है तो हमारी जीत पक्की होगी। लेकिन आखिरी समय में मिला पेनाल्टी कार्नर खाली जाता दिखा तो रिबाउंड पर शॉट लगाकर गोल कर दिया।
दीपिका ठाकुर ने कहा कि लड़कियों के मुकाबले लड़के हॉकी में ज्यादा आगे आ रहे हैं। इसके लिए सरकार को महिला हॉकी खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना होगा। हरियाणा से महिला खिलाड़ी काफी आगे आ रही हैं और एशिया चैंपियन बनी भारतीय टीम में 7 खिलाड़ी अकेले हरियाणा की रहने वाली हैं। यह जरूर है कि जिस तरह से महिला हॉकी टीम बेहतर कर रही है, उसको देखते हुए आगे लड़कियों में हॉकी का क्रेज बढ़ सकता है।