हरियाणा में गिरता भू-जलस्तर, प्रदेश का 76 फीसदी इलाका जल संकट की चपेट में

Edited By Isha, Updated: 28 Feb, 2020 09:03 AM

ground water level in haryana falls 76 percent area of  the state in the grip

ग्राऊंड वाटर ईयर बुक ऑफ हरियाणा स्टेट (2017-2018)’ के अनुसार प्रदेश में भूमिगत जल का स्तर बड़ी तेजी से गिर रहा है। स्थिति ये है कि 20 जिलों में फैला प्रदेश का 76 फीसदी इलाका जल संकट .....

चंडीगढ़ :‘ग्राऊंड वाटर ईयर बुक ऑफ हरियाणा स्टेट (2017-2018)’ के अनुसार प्रदेश में भूमिगत जल का स्तर बड़ी तेजी से गिर रहा है। स्थिति ये है कि 20 जिलों में फैला प्रदेश का 76 फीसदी इलाका जल संकट की जकड़ में आ चुका है। सैंट्रल ग्राऊंड वाटर बोर्ड द्वारा जारी रिपोर्ट में दस वर्षों (2008 से 2017) के आंकड़ों के आधार पर उपरोक्त निष्कर्ष निकाला गया है। इसके अनुसार 20 जिलों में सामान्यत: हर जगह जलस्तर में गिरावट आई है। प्रभावित जिले हैं पंचकूला, अम्बाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, पानीपत, सोनीपत, जींद, फतेहाबाद, सिरसा, हिसार, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, गुरुग्राम, मेवात, फरीदाबाद तथा पलवल।

रिपोर्ट अनुसार 13 जिलों क्रमश: कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, पानीपत, जींद, फतेहाबाद, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, गुरुग्राम, फरीदाबाद तथा पलवल में फैले प्रदेश के 20 फीसदी इलाके में पिछले सालों में भूमिगत जलस्तर में 4 मीटर तक की गिरावट दर्ज की गई है। जलस्तर का अध्ययन करने के लिए प्रदेश को नौ फिजियोग्राफिक इकाइयों में बांटा गया है। इसके अलावा राज्य में 1,227 ग्राऊंड वाटर ऑब्जर्वेशन वैल्स (जी.डब्ल्यू.ओ.डब्ल्यू.) बनाए गए हैं। इन कुंओं से साल में चार बार (जनवरी, मई, अगस्त, नवम्बर) जलस्तर की रीडिंग ली जाती है।

अलग-अलग महीनों में रीडिंग 
लेने का मकसद ये है कि मौसम बदलने के साथ ही इनका जलस्तर भी बदलता है।जहां तक प्रदेश में सालाना बरसात का सवाल है राजस्थान से लगते दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में औसतन वाॢषक बरसात 313 मि.मी. के लगभग होती है जबकि शिवालिक पहाडिय़ों से लगते उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में ये औसतन 862 मि.मी. से भी अधिक पहुंच जाती है। बाकी के करीब 50 फीसदी इलाके में बरसात का औसत 500 मि.मी. से कम ही रहता है।

कुरुक्षेत्र, कैथल, भिवानी, महेंद्रगढ़, फतेहाबाद व सिरसा में पडऩे वाले 7 प्रतिशत क्षेत्रफल में भूमिगत जल स्तर बहुत नीचे यानी 40 मीटर से भी अधिक गहराई तक चला गया है। रिपोर्ट अनुसार मई 2017 और जनवरी 2018 के बीच (जब वर्षा भी सामान्य हुई और सॢदयों में भी अच्छा पानी बरसा) प्रदेश के 50 प्रतिशत इलाके में बने कुंओं की मॉनीटरिंग करने पर पाया गया कि जलस्तर में 47 फीसदी तक नीचे चला गया है। 

पिछले 25 सालों में वर्ष 2019 ऐसा था जब देश में मानसून की स्थिति काफी अच्छी थी, परंतु हरियाणा में फिर भी जून-सितम्बर के बीच बरसात सामान्य से 42 फीसदी कम हुई। मौसम विभाग अनुसार हरियाणा में सिर्फ 256.3 मि.मी. ही पानी गिरा जबकि सामान्यत: चार महीनों में ये 444 मि.मी. होना चाहिए। इसके पूर्व के वर्ष (2018) में इसके मुकाबले अच्छी बरसात हुई थी जब 415.3 मि.मी. पानी गिरा। 

ऐतिहासिक रूप से यदि देखा जाए तो 1901 से 2019 के बीच हरियाणा में 37 वर्ष ऐसे थे जिनमें मानसून कमजोर रहा और बरसात सामान्य से कम हुई। आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में पिछले दस वर्षों (2010 से 2019) में ही मानसून छह साल (2012, 2014, 2015, 2016, 2017, 2018 और 2019) फेल रहा है। गत वर्ष प्रदेश के 21 जिलों में से (मौसम विभाग चरखी दादरी को भिवानी में ही शामिल करता है) 16 में वर्षा सामान्य से काफी कम रही। सिर्फ यमुनानगर और सिरसा ही थे जहां सामान्य वर्षा हुई। कम बरसात वाले जिलों में से भी तीन ऐसे थे जिनमें ये कमी 60 प्रतिशत से भी अधिक कम थी। रोहतक, फतेहाबाद तथा पानीपत जिलों में सामान्य से कम वर्षा का प्रतिशत क्रमश: 72, 63 और 62 था। 

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