हरियाणा में दूसरी बार सियासी परिवार से दादा के बाद पोता बनेगा राज्यसभा सांसद

Edited By vinod kumar, Updated: 14 Mar, 2020 04:29 PM

grandson will become rajya sabha mp after grandfather in haryana politics

हरियाणा से राज्यसभा की तीन सीटों के लिए नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो गई। जिसमें भाजपा से दो और कांग्रेस से एक प्रत्याशी ने परचा भरा है। भाजपा की तरफ से रामचंद्र जांगड़ा और दुष्यंत कुमार गौतम ने नामांकन दाखिल किया है। जबकि कांग्रेस की तरफ से दीपेंद्र...

चंडीगढ़(धरणी): हरियाणा से राज्यसभा की तीन सीटों के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुक्रवार काे पूरी हो गई। जिसमें भाजपा से दो और कांग्रेस से एक प्रत्याशी ने परचा भरा है। भाजपा की तरफ से रामचंद्र जांगड़ा और दुष्यंत कुमार गौतम ने नामांकन दाखिल किया है। जबकि कांग्रेस की तरफ से दीपेंद्र हुड्डा ने नामांकन दाखिल किया। निर्वाचन अधिकारी अजीत बाला जोशी ने सभी प्रत्याशियों का नामांकन भरवाया।

बता दें कि दो नियमित सीटें के लिए निर्धारित छ: वर्ष की अवधि आगामी 10 अप्रैल 2020 से 9 अप्रैल 2026 तक है, जबकि एक उपचुनाव की सीट, जो बीरेंद्र सिंह के त्यागपत्र से रिक्त हुई है, का कार्यकाल 1 अगस्त 2022 तक है। सोमवार 16 मार्च नामांकनों की जांच की जाएगी, जबकि 18 मार्च तक नामांकन वापिस लिए जा सकते हैं। 

सियासी परिवार से दादा के बाद पाेता राज्यसभा सांसद बनेगा
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया की हरियाणा में वर्षो बाद ऐसा दूसरी बार होगा जब प्रदेश के किसी सियासी परिवार से दादा के बाद पाेता राज्यसभा सांसद बनेगा। दीपेंद्र हूडा के दादा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंद्र हुड्डा के पिता रणबीर सिंह हुड्डा वर्ष 1972 से 1978 तक हरियाणा से राज्यसभा सांसद रहे।

इसके अलावा देवी लाल वर्ष 1998 से 2001 तक और फिर उनके पाेते अजय सिंह चौटाला वर्ष 2004 से 2009 तक राज्य सभा सांसद रहे। हालांकि देवी लाल के दो पुत्र ओम प्रकाश चौटाला और रणजीत चौटाला भी राज्य सभा सांसद रहे हैं। 

हेमंत ने हरियाणा से निर्वाचित राज्य सभा सांसदों के नाम और कार्यकाल संबधी संपूर्ण डाटा एकत्रित कर उसका विश्लेषण करने के बाद बताया कि प्रदेश से अब तक केवल दो सुल्तान सिंह और बीरेंद्र सिंह ही दो ऐसे पूर्व राज्यसभा सांसद हैं, जो तीन बार प्रदेश से राज्यसभा के निर्वाचित हुए हैं। हालांकि कार्यकाल की दृष्टि से सुल्तान सिंह ही सबसे आगे हैं जो लगातार 16 वर्ष तक अर्थात वर्ष 1970 ऐसे 1986 तक  सांसद रहें है, जहां तक बीरेंद्र सिंह का विषय है, तो अगस्त, 2010 से इस जनवरी,2020   तक उनका उनका कुल कार्यकाल साढ़े नौ वर्ष ही रहा है।

प्रदेश से आज तक आठ व्यक्ति ही दो बार राज्यसभा सांसद निर्वाचित हुए हैं, जिसमे से सात कांग्रेस के बंसी लाल, कृष्ण कांत, मुख्त्यार सिंह मलिक, हरि सिंह नलवा, रामजीलाल, राम प्रकाश, शादी लाल बतरा और जनसंघ से सुजान सिंह थे। 

उन्होंने बताया कि हरियाणा में आज तक बने कुल 10 मुख्यमंत्रियों में से 6 पूर्व मुख्यमंत्री राज्य सभा सांसद रहे हैं, सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के बंसी लाल थे जो वर्ष 1960 से 1966 तक हरियाणा बनने से पहले संयुक्त पंजाब से और बाद में वर्ष 1976 से 1980 तक हरियाणा से राज्यसभा सांसद रहे। उनके बाद पूर्व मुख्यमंत्री  भगवत दयाल शर्मा  1968 से  1974 तक,  भजन लाल 2  1986 से 1989 तक, बनारसी दास गुप्ता 1996 से 2002 , ओम प्रकाश चौटाला 1987 से 1990 तक और देवी लाल 1998 से 2001 तक अर्थात अपने निधन तक राज्य सभा सांसद रहे।

हेमंत ने कहा कि जैसे इस बार कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंद्र हुड्डा ने अपने पुत्र दीपेंद्र हुड्डा को प्रदेश से राज्यसभा सांसद बनवाया है, इससे पहले प्रदेश के तीन मुख्यमंत्री ऐसे थे जिन्होंने अपने शासनकाल में ही अपने अपने पुत्रों को राज्यसभा सांसद बनवाया। सबसे पहले बंसी लाल, जो तीसरी बार जून, 1986 में हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे तब उन्होंने अगस्त, 1986 में अपने पुत्र सुरेंद्र सिंह को राज्य सभा भेजा।

इनके साथ भजन लाल भी राज्य सभा सांसद बने। सुरेंद्र सिंह तो अगस्त, 1986 से अगस्त, 1992 छ: वर्ष तक राज्यसभा सांसद रहे, लेकिन भजन लाल ने नवंबर, 1989 में फरीदाबाद सीट से लोक सभा चुनाव जीतने के बाद राज्यसभा से त्यागपत्र दे दिया था। इसके अलावा देवी लाल जब दूसरी बाद जून, 1987 में  हरियाणा के मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने अगस्त, 1987 में अपने बड़े पुत्र ओम प्रकाश चौटाला को राज्य सभा सांसद बनवाया।

दरअसल, कांग्रेस के एमपी कौशिक जो अप्रैल, 1984 में राज्य सभा सांसद बने थे की मई, 1987 में मृत्यु के बाद रिक्त हुई सीट से पहले तो कुछ समय के लिए जनता दल के कृष्ण कुमार दीपक और फिर उनके त्यागपत्र के बाद चौटाला को  शेष बची अवधि अर्थात अप्रैल, 1990 तक के लिए राज्य सभा सांसद बनाया गया। हेमंत ने बताया कि राज्य सभा सांसद रहते हुए ही चौटाला प्रदेश के पहली बार दिसंबर, 1989 में हरियाणा के मुख्यमंत्री बने जब देवी लाल केंद्र में उपप्रधानमंत्री बनाए गए।

हालांकि इसी बीच देवी लाल के दूसरे पुत्र रणजीत सिंह चौटाला भी सितंबर, 1990 से अगस्त, 1992 तक हरियाणा से राज्यसभा सांसद बने, जो सीट भजन लाल के त्यागपत्र के वर्ष 1989 में खाली हुई थी। हालांकि तब हरियाणा के मुख्यमंत्री हुक्म सिंह थे। इसके बाद जून, 2004 में ओम प्रकाश चौटाला ने अपने बड़े पुत्र अजय सिंह चौटाला को राज्य सभा भिजवाया हालांकि नवंबर, 2009 में हरियाणा विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने राज्यसभा से त्यागपत्र दे दिया।

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