सरकारी दफ्तरों में समोसा-जलेबी पर रोक!, लेकिन गोहाना की जलेबी बनी फिर से चर्चा का विषय

Edited By Deepak Kumar, Updated: 16 Jul, 2025 05:28 PM

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सरकार ने सरकारी दफ्तरों में कर्मचारियों द्वारा समोसा और जलेबी जैसे तले-भुने खाद्य पदार्थों के सेवन पर रोक लगा दी है। लेकिन इसी के साथ हरियाणा के गोहाना की मशहूर जलेबी एक बार फिर सुर्खियों में है। शुद्ध देसी घी में बनी यह जलेबी सिर्फ हरियाणा ही नहीं,...

गोहाना (सुनील जिंदल) : सरकार ने सरकारी दफ्तरों में कर्मचारियों द्वारा समोसा और जलेबी जैसे तले-भुने खाद्य पदार्थों के सेवन पर रोक लगा दी है। साथ ही इनसे होने वाले स्वास्थ्य नुकसान के बारे में कार्यालयों में सूचनाएं (नोटिस) चस्पा करने की भी तैयारी की जा रही है। लेकिन इसी के साथ हरियाणा के गोहाना की मशहूर जलेबी एक बार फिर सुर्खियों में है। शुद्ध देसी घी में बनी यह जलेबी सिर्फ हरियाणा ही नहीं, बल्कि देशभर में अपनी खास पहचान रखती है। यहां तक कि इसे जलेबी नहीं बल्कि "जलेब" कहना ज़्यादा उचित लगता है, क्योंकि इसका आकार और वजन एक सामान्य जलेबी से कहीं अधिक होता है — एक जलेब का वजन करीब 250 ग्राम होता है।

राजनीति में भी बनी चर्चा का विषय

हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी अपने भाषण में गोहाना की जलेबी का ज़िक्र करते हुए कहा था कि “गोहाना की जलेबी की फैक्ट्री लगाकर इसे विदेशों में भेजा जा सकता है, जिससे लोगों को रोजगार मिलेगा।” उन्होंने यह भी कहा था कि वे यह जलेबी अपनी बहन प्रियंका गांधी के लिए भी लेकर जाएंगे। वहीं बीजेपी ने भी इस बयान को चुनावी मुद्दा बनाया। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने चुनाव प्रचार के दौरान इसी दुकान पर पहुंचकर खुद जलेबी बनाई और खाई भी। मगर अब फिर सरकार द्वारा जलेबी और समोसा सरकारी दफ्तरों में बैन करने पर फिर सुर्खियों में आ गई है।

गोहाना की जलेबी का इतिहास

इस जलेबी की शुरुआत 1958 में गांव जोली के लाला मातूराम हलवाई ने की थी। वे गोहाना शहर में एक छोटे से किराए के खोखे से बड़ी जलेबी बनाने लगे थे। शुरू में इस जलेबी को जानने वाले कम थे और बिक्री भी सीमित थी। लेकिन जब गोहाना में अनाज मंडी बनी, तो किसान जब फसल बेच कर घर लौटते, तो साथ में यह जलेबी भी ले जाने लगे। इसका स्वाद सबको इतना भाया कि यह धीरे-धीरे मशहूर होती चली गई।

लाला मातूराम के पौते रमन गुप्ता बताते हैं, "मेरे दादा जी ने 1958 में यह दुकान शुरू की थी। उन्होंने शुद्ध देसी घी में जलेबी बनाकर जो स्वाद तैयार किया, वह आज भी लोग पसंद करते हैं। धीरे-धीरे यह जलेबी पूरे प्रदेश और देश में प्रसिद्ध हो गई। आज भी हम उसी पारंपरिक स्वाद को बनाए हुए हैं। यह शुद्ध घी में बनती है, इसलिए नुकसान नहीं करती। अगर कैलोरी बढ़ती भी है तो इंसान एक्सरसाइज करके उसे नियंत्रित कर सकता है। आज तो मुख्यमंत्री से लेकर कई बड़े राजनेता तक हमारी जलेबी खाने आते हैं। यहां से जलेबी विदेशों तक भी जाती है।"

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