PM मोदी के आह्वान पर 'आत्मनिर्भर' बनी प्रवासी महिला, 7 साल के बच्चे के साथ शुरू किया ये काम

Edited By Shivam, Updated: 20 May, 2020 05:00 PM

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देश में लागू लॉकडाउन कोरोना काल में संकट का रूप धारण किए है, खासकर उनके लिए जो ''चार पैसे और दो वक्त की रोटी'' कमाने के लिए दूसरे शहरों में जाकर आसरा लेते हैं। लेकिन इस महामारी के संकटकाल में इन प्रवासियों को इस हालात पर ला खड़ा कर दिया है, जिससे हर...

पानीपत (सचिन): देश में लागू लॉकडाउन कोरोना काल में संकट का रूप धारण किए है, खासकर उनके लिए जो 'चार पैसे और दो वक्त की रोटी' कमाने के लिए दूसरे शहरों में जाकर आसरा लेते हैं। लेकिन इस महामारी के संकटकाल में इन प्रवासियों को इस हालात पर ला खड़ा कर दिया है, जिससे हर कोई वाकिफ हैं। एक ओर जहां हजारों-लाखों प्रवासी मजदूर समस्याओं के चलते अपने घरों की ओर चल पड़ें हैं, वहीं दूसरी ओर एक ऐसी भी प्रवासी महिला हैं जो इस मुसीबत के दौर में हिम्मत न हारते हुए गुजारा चलाने के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर खुद ही अपना काम शुरू कर लिया।

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ऐसी हिम्मत और हौसले की सलामी लेने वाली शांति देवी हैं, जिनके घर में उनके पति के साथ 3 बच्चे हैं, लेकिन पति के बीमार होने के कारण सारी जिम्मेदारी शांति देवी पर आन पड़ी। ऊपर से किराए का मकान और उस पर बच्चों की जिम्मेदारी लेकिन शांति देवी ने कभी हिम्मत नहीं हारी। कोरोनाकाल के दौरान जब घर में खाने के लाले पडऩे लगे तो शांति देवी ने किसी के आगे हाथ फैलाने के बजाय खुद करने की ठान ली।

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शांति देवी इस समय अपने 7 साल के बच्चे के साथ प्याज बेचकर गुजारा कर रही हैं। वह पढ़ी-लिखी तो नहीं हैं, लेकिन बेटा दूसरी कक्षा में है और जो उनके साथ रहकर हिसाब किताब रखता है। प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भरता के बयान को शांति देवी और उसका लड़का सार्थक सिद्ध कर रहे हैं, क्योंकि आज के टाइम मेहनत करके अपना पेट भरना बहुत बड़ी बात है। बता दें कि शांति देवी मूलरूप से उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले की रहने वाली हैं जो इस समय हरियाणा के पानीपत जिले में रह रही हैं। 

प्रवासियों को घर जाने में अब होगी आसानी, भारतीय रेलवे ने खत्म किया यह बड़ा नियम 
लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासियों को घर पहुंचने में अब आसानी होगी। उनके लिए अब और अधिक ट्रेनें चलाई जा सकेंगी, जिससे वे जल्द ही अपने घर पहुंच जाएं। श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाए जाने के लिए भारतीय रेलवे ने एक ऐसे बड़े नियम को खत्म कर दिया है, जिसकी वजह से दो राज्यों के बीच आपसी तालमेल के बाद ही श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई जा सकती थी। दरअसल, भारतीय रेलवे ने नए आदेश जारी कर कहा कि प्रवासी जिस राज्य में जाना चाहते हैं वहां की सरकार से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है, इससे अब श्रमिक ट्रेनों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकती है।

भारत रेलवे ने अब साफ कर दिया है कि लॉकडाउन के कारण फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने के लिए डेस्टिनेशन स्टेट से अनुमति लेने की कोई जरूरत नहीं है। गृह मंत्रालय ने प्रवासी मजदूरों के उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने के वास्ते रेलवे के लिए संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है। इसके बाद अब गंतव्य राज्यों से अनुमति लेने की जरूरत नहीं रह गई है।



रेलवे के प्रवक्ता राजेश बाजपेई ने कहा, श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाने के लिए टर्मिनेटिंग स्टेट की अनुमति जरूरी नहीं है। नए एसओपी के बाद स्थिति यह है कि जहां ट्रेन का सफर खत्म होगा, उस राज्य की अनुमति लेना अनिवार्य नहीं है। संशोधित एसओपी के मुताबिक गंतव्य और रुकने वाले स्टेशन समेत ट्रेनों की समय-सारिणी पर अंतिम फैसला रेल मंत्रालय करेगा और वह इसकी जानकारी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को देगा ताकि ऐसे फंसे हुए मजदूरों को भेजने या लाने के लिए जरूरी प्रबंध किए जा सकें।

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