Edited By Yakeen Kumar, Updated: 15 Aug, 2025 02:22 PM

परीक्षा में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र लगाने का मामला हाई कोर्ट तक पहुंच गया है। कोर्ट के आदेश पर यूटी चंडीगढ़ प्रशासन ने जो स्टेटस रिपोर्ट पेश की, उसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
चंडीगढ़ : कर्मचारी चयन आयोग (SSC) नॉर्थ जोन की परीक्षा में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र लगाने का मामला हाई कोर्ट तक पहुंच गया है। कोर्ट के आदेश पर यूटी चंडीगढ़ प्रशासन ने जो स्टेटस रिपोर्ट पेश की, उसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जांच में 13 उम्मीदवारों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान हरियाणा राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, करनाल रेंज के अधीक्षक बी.एस. सांगवान ने हलफनामा दायर कर बताया कि इनमें से 6 याचिकाकर्ताओं के प्रमाण पत्र तो पूरी तरह नकली हैं। सोनीपत और कैथल के कुछ युवकों को तो आयोग ने तीन साल के लिए परीक्षा देने से ही रोक दिया है। इन युवकों ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
सुविधा लेने के लिए दिए फर्ज़ी सर्टिफिकेट
ये मामला "साहिल और अन्य बनाम कर्मचारी चयन आयोग (North Western Region)" से जुड़ा है। जांच में सामने आया कि इन अभ्यर्थियों ने परीक्षा में अतिरिक्त समय और "स्क्राइब" की सुविधा लेने के लिए शारीरिक अक्षमता के जाली सर्टिफिकेट दिए थे।
चिकित्सा अधिकारी के नाम से जारी किया प्रमाण पत्र
इन प्रमाण पत्रों को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर और हरियाणा के जींद जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के नाम से जारी दिखाया गया था। लेकिन जब असली दफ्तरों से जांच की गई तो साफ जवाब मिला है कि ऐसे कोई प्रमाण पत्र कभी जारी ही नहीं हुए। खास तौर पर सोनीपत और कैथल के उम्मीदवारों ने यूपी के फतेहपुर से यह फर्जीवाड़ा किया था।
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