Edited By Isha, Updated: 14 Aug, 2025 02:29 PM

1857 की क्रांति की शुरुआत अंबाला से हुई थी और 9 घण्टो के बाद इसकी चिंगारी मेरठ तक पहुंची। उसके बाद पूरे देश मे क्रांति का रूप ले लिया।
अंबाला (अमन): 1857 की क्रांति की शुरुआत अंबाला से हुई थी और 9 घण्टो के बाद इसकी चिंगारी मेरठ तक पहुंची। उसके बाद पूरे देश मे क्रांति का रूप ले लिया। इससे पहले यह भी भ्रांति रही कि 1857 की क्रांति की शुरुआत मेरठ से हुई थी लेकिन बाद में इसकी चिट्ठी मिलने से यह पता चला कि 1857 की क्रांति का चिंगारी अंबाला से फूटी थी। 1857 की क्रांति को दर्शाने के लिए 22 एकड़ में 550 करोड़ की लागत से अंबाला में शहीद स्मारक बनाया जा रहा है। जिसमे 1857 के दौरान के हालातों को जीवंत दर्शाने का काम किया जा रहा है।
इसमें डिजिटल म्यूजियम तैयार किया जा रहा है। एक 2500 लोगों के बैठने के लिए लाइट एन्ड साउंड ओपन एयर थियेटर तैयार किया जा रहा है। शहीद स्मारक में 15 मीटर ऊंचा कमल के फूल के आकार का टावर भी बनाया जा रहा है। जो रात को स्क्रीन का रूप ले लेगा। शहीद स्मारक को बनाने का कार्य लगभग 85 फीसद पूरा हो चुका है। जल्द यह बनकर तैयार हो जाएगा और इसे जनता को समर्पित किया जाएगा। ऐशिया के सबसे बड़े शहीद स्मारक को बनवाने के लिए हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने अहम जिम्मेदारी निभाई।

उन्होंने 5 इतिहासकारो की टीम बनवाई जिन्होंने एक एक फैक्ट को चेक कर इस प्रोजेक्ट को अंतिम रूप दिया। मंगल पांडे से लेकर रानी लक्ष्मीबाई तक का संघर्ष यहां दर्शाया जा रहा है। कैसे अंग्रेज भारतीयों को यातनायें देते थे। उसे दर्शाया जा रहा है। कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने बताया कि कैसे अंबाला में आजादी की लड़ाई 9 घंटे पहले शुरू हुई थी। कुछ तथ्य ऐसे मिले है जिनसे ये साबित होता है कि 10 मई 1857 को 9 घंटे पहले अंबाला से बगावत शुरू हो गई थी।

ये तथ्य देशवासियों से छुपाए गए क्योंकि जब से देश आजाद हुआ तब से कांग्रेस पार्टी सत्ता में रही और कांग्रेस पार्टी ने देश को यही बताया और पढाया कि देश की आजादी की लड़ाई कांग्रेस ने लड़ी थी। लेकिन आजादी की लड़ाई कांग्रेस के जन्म से 28 वर्ष पहले ही हो चुकी थी। अग्रेजों को सबक सिखाने के लिए 26 मार्च 1857 से उनके घरों को उनके दफ्तरों को आग लगानी शुरू कर दी थी जिसके पुख्ता प्रमाण है।