राजनीति के धुरंधरों में वजूद की लड़ाई: गुर्जर जीत की हैट्रिक के लिए प्रयासरत, सामने हैं कट्टर प्रतिद्वंद्वी महेंद्र प्रताप

Edited By Isha, Updated: 22 May, 2024 07:05 PM

fight for existence among the fiercest of politics

1857 की क्रांति में अंग्रेजों के खिलाफ जंग में अहम भूमिका निभाने वाली फरीदाबाद की धरती से लोकतंत्र के कई सूरमा निकले हैं। राष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर यह संसदीय क्षेत्र सुर्खियाें में है, जहां केंद्रीय बिजली और भारी उद्योग राज्य मंत्री

चंडीगढ़(चंद्र शेखर धरणी): 1857 की क्रांति में अंग्रेजों के खिलाफ जंग में अहम भूमिका निभाने वाली फरीदाबाद की धरती से लोकतंत्र के कई सूरमा निकले हैं। राष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर यह संसदीय क्षेत्र सुर्खियाें में है, जहां केंद्रीय बिजली और भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर भाजपा के टिकट पर जीत की हैट्रिक बनाने के लिए प्रयासरत हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में गुजरात के नवसारी लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद सीआर पाटिल 6 लाख 89 हजार 668 वोटों से जीते थे और करनाल से संजय भाटिया ने 6 लाख 56 हजार 142 वोटों से जीत दर्ज कराई थी। इन दोनों के बाद कृष्णपाल गुर्जर तीसरे सांसद थे, जिन्होंने निकटतम प्रत्याशी को 6 लाख 38 हजार 239 वोटों से हराते हुए इतिहास रच दिया था।

गुर्जर का विजय रथ रोकने के लिए कांग्रेस ने दो बार से हारते आ रहे पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना का टिकट काटकर चौधरी महेंद्र प्रताप सिंह को चुनावी रण में उतारा है। अब 20 साल बाद दो कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी कृष्णपाल व महेंद्र प्रताप फिर आमने-सामने हैं। दोनों ने मेवला महाराजपुर सीट से चुनाव लड़ा था, जिसमें महेंद्र प्रताप ने कृष्णपाल को हरा दिया था। पांच बार के विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल तथा भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके महेंद्र प्रताप सिंह और मोदी की सरकार में राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर लोकसभा चुनाव मेें पहली बार आमने-सामने हैं।

गुर्जर ने 1996 में पहली बार विधानसभा चुनाव में महेंद्र प्रताप सिंह काे 26 हजार मतों से हराया था। 2000 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने पर महेंद्र प्रताप बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन कांटे के मुकाबले में 161 वोटों से हार गए थे।  2004 के विधानसभा चुनाव में महेंद्र प्रताप सिंह ने गुर्जर को पराजित कर बदला चुकाया। यह इन दोनों के बीच अंतिम भिड़ंत थी क्योंकि 2009 के चुनाव से पहले परिसीमन हो गया था और मेवला महाराजपुर सीट खत्म होने के साथ ही तिगांव और बड़खल नए हलके बन गए।

 नए परिसीमन के बाद गुर्जर ने तिगांव सीट से चुनाव लड़ा और महेंद्र प्रताप सिंह ने बड़खल से। वर्ष 2014 में महेंद्र प्रताप सिंह ने सीमा त्रिखा से हार के बाद राजनीति में अपने बेटे को बढ़ाना शुरू कर दिया, जबकि कृष्णपाल गुर्जर लोकसभा चुनाव में शानदार जीत के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र माेदी की सरकार में राज्यमंत्री बन गए। हालांकि वे भी अपने बेटे की राजनीति के कांटे साफ करने में लगे हैं। कृष्णपाल के चुनाव में सीएम के पूर्व राजनीतिक सचिव अजय गौड़ पूरी ताकत से जुटे हुए हैं, जबकि उन्हें अपनी पार्टी के कुछ विरोधियों का भी सामना करना पड़ रहा है, लेकिन यह विरोध व्यक्तिगत है। इसके अलावा, कांग्रेस पार्टी में भी विरोधियों की सक्रियता महेंद्र प्रताप पर भारी पड़ सकती है।
 
जीत का नया रिकार्ड बनाने का लक्ष्य

2014 के लोकसभा चुनाव में कृष्णपाल गुर्जर ने 57.70 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 6,52,516 मत लेते हुए कांग्रेस के अवतार सिंह भड़ाना को 4,66,873 वोटों से हराया था। फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में गुर्जर ने 68.76 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 9,13,222 मत लेकर भड़ाना को 6,38,239 वोटों से शिकस्त दी। मौजूदा चुनाव में जीत का अंतर बढ़ाने के लिए गुर्जर समर्थक लालायित हैं। गुर्जर जीते तो भाजपा के ही राम चंदर बैंदा की रिकार्ड की बराबरी करेंगे जो 1996, 1998 और 1999 में लगातार तीन बार यहां से जीते थे। अवतार सिंह भड़ाना भी 1991, 2004 और 2009 में यहां से संसद पहुंच चुके हैं।
 
जाट बाहुल्य सीट पर 25 साल से नहीं जीता जाट

जातीय समीकरणों के लिहाज से फरीदाबाद में जाट मतदाता सबसे ज्यादा हैं, लेकिन 1999 से यहां से कोई भी जाट नेता लोकसभा में नहीं पहुंचा है। आखिरी बार 1999 में जाट नेता रामचंद्र बैंदा ने यहां जीत की हैट्रिक लगाई थी, लेकिन उसके बाद यहां से लगातार गुर्जर नेता ही लोकसभा पहुंचते रहे हैं। जातीय समीकरणों की बात करें तो 24 लाख 17 हजार मतदाताओं में सबसे ज्यादा जाट बिरादरी के 4.20 लाख मतदाता हैं। इसके बाद अनुसूचित जाति के 3.65 लाख, गुर्जर 3.50 लाख, अन्य पिछड़ा वर्ग 3.10 लाख, ब्राह्मण 2.40 लाख, मुस्लिम 2.35 लाख और बाकी अन्य समुदाय के मतदाता हैं। खास बात यह कि लोकसभा सीट में नौ विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें सात पर भाजपा का कब्जा है और एक सीट पर कांग्रेस और एक सीट पर निर्दलीय विधायक है।

 

Related Story

Trending Topics

India

97/2

12.2

Ireland

96/10

16.0

India win by 8 wickets

RR 7.95
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!