Edited By Manisha rana, Updated: 25 May, 2025 08:27 AM

हरियाणा बोर्ड ऑफ़ स्कूल एजुकेशन हरियाणा से 12वीं कक्षा में कॉमर्स के विद्यार्थी अर्पण दीप ने जहां स्टेट में टॉप करके परिवार का नाम रोशन किया और गुहला क्षेत्र का नाम भी चमकाया, जिससे पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बना।
गुहला/चीका (कपिल) : हरियाणा बोर्ड ऑफ़ स्कूल एजुकेशन हरियाणा से 12वीं कक्षा में कॉमर्स के विद्यार्थी अर्पण दीप ने जहां स्टेट में टॉप करके परिवार का नाम रोशन किया और गुहला क्षेत्र का नाम भी चमकाया, जिससे पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बना। वहीं इन्हीं खुशियों के पीछे दूसरी तरफ इस परिवार की एक और भी कहानी है जिसमें अर्पण दीप के स्टेट में पहले नंबर पर आने से पहले परिवार किस तरह के संकटों के दौर से जूझ रहा था। अर्पण दीप के परिवार से की गई बातचीत के दौरान पता चला कि मौजूदा परिदृश्य में परिवार के पास अपनी 1 इंच भी जगह नहीं है और परिवार लगभग दो-तीन साल पहले अपनी जमीन के साथ-साथ घर तक सब कबूतरबाजों के चंगुल में फंसकर बेच चुके हैं।
कैसे लूटे, न घर बचा न खेत
अर्पण दीप के पिता ने बताया कि अर्पण दीप के बड़े भाई आकाशदीप को लगभग दो-तीन वर्ष पहले विदेश में पढ़ाई करने भेजने के लिए उन्हें एक एजेंट चीका में उनके किसी परिचित के साथ मिला। परिचित ने बताया कि एजेंट गुहला का रहने वाला है और उनकी गारन्टी पर एजेंट ने उन्हें पूरा भरोसा दिलाया कि वह आकाशदीप को ऑस्ट्रेलिया भेज देगा और ऑस्ट्रेलिया भेजने के नाम पर उनसे पैसे लिए व फीस भरवाई गई। बच्चों का वीजा नहीं लगा और एजेंट ने थोड़ा-थोड़ा करके जो पैसा लिया था वह पैसा तो क्या मोड़ना था बल्कि उसने वह फीस भी पूरी नहीं दी जो भरवाई थी।
उन्होंने बताया कि अपने पैसे फंसने की सूरत में उनका परिवार जब सामाजिक लोगों के साथ एजेंट के चंडीगढ़ स्थित कार्यालय में चक्कर लगाता तो एजेंट वहां न मिलता और उसके सिक्योरिटी गार्ड या यूं कहें कि बाउंसर बैठे होते। एजेंट फोन उठा कर बात करता लेकिन हर बार वहां खुद मौजूद न होता और उसकी पत्नी को बिठाए रखता। कई बार किराए की गाड़ियों में जब परिवार बार-बार चक्कर लगाकर थक गया तो परिवार ने आखिरकार सरेंडर कर दिया और एजेंट के कार्यालय द्वारा जो भी पैसा मोडा गया उसी का शपथ पत्र देने को मजबूर हो गया। सरदार यादवेंद्र सिंह ने बताया कि अकेले वे ही यहां ठगे नहीं गए हैं बल्कि अन्य और भी कई लोग ठगी का शिकार हुए हैं।
उन्होंने बताया कि जब वे लगभग पांच साल के थे तब उनके सिर से पिता का साया उठ गया था। तीन बहनों की शादी जैसे तैसे की और विधवा मां के साथ अपना भरण पोषण किया। अंततः बहुत से दुखों के बावजूद भी कभी इतनी तकलीफ ना हुई लेकिन जब यह ठगी उनके साथ लगी तब उन्हें बहुत दर्द हुआ। जिसमें उनका घर बार सब चला गया। उन्होंने कहा कि एजेंट ने कुछ पैसे तो बार-बार जाने पर वापस मुड़वा दिए और बदले में दबाव बनाकर एक शपथ पत्र ले लिया और उसके बाद उन्होंने उससे कोई संपर्क भी नहीं किया। यादवेंद्र सिंह ने कहा कि उन्होंने और उनके परिवार ने तो यह सब भगवान भरोसे छोड़ दिया और भगवान से ही अब इस सबके लिए प्रार्थना करते हैं लेकिन फिर भी संबंधित एजेंट का बुरा नहीं चाहते।
परिवार का कहना है कि जिस समय उन्होंने यह समझौता किया उस समय वह एक सामान्य व्यक्ति थे और उन्हें इस बात का कोई इल्म नहीं था कि आने वाले समय में अर्पण दीप परिवार के लिए इतना बड़ा काम कर देगा कि पूरा प्रदेश उन्हें जानने लगेगा। वहीं अर्पण दीप की माता ने कहा कि अपने बेटे की पढ़ाई के लिए उन्होंने घर और खेत बेचे और जब घर और खेत दोनों छूटे तो उस समय के दर्द को शब्दों में बयां नहीं कर सकते। यह कहते-कहते उनकी आंखें नम हो आई। उन्होंने कहा कि आज भी यह याद आ जाता है तो मन में अजीब सा दर्द उठना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि ना उनके पास अपना घर है ना अपनी दुकान और भगवान भरोसे ही अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
पढ़ाई के जरिए हर जंग जीती जा सकती है- अर्पण दीप
वहीं दूसरी तरफ स्टेट टॉपर अर्पण दीप ने कहा कि उनका परिवार तो ठगी के बाद संतोष किए बैठा हुआ है बस इस बात का इंतजार है कि कभी तो भगवान संबंधित एजेंट को सद्बुद्धि देगा और उनका पैसा वापस लौटेगा। अर्पण दीप ने कहा कि जब परिवार का कोई अन्य सहारा उन्हें नजर नहीं आया तो केवल पढ़ाई ही एकमात्र ऐसा जरिया या उसमें ही ताकत नजर आई जिसके जरिए हर जंग जीती जा सकती है और इसलिए उन्होंने निरंतर पढ़ाई की और इस वजह से आज स्टेट के टॉपर बने। अर्पण ने कहा कि ना ही उनमें पहले अभिमान आया था और ना ही उनमें अब कोई अभिमान है। इतना जरूर है कि अपनी पढ़ाई को वह भविष्य में अच्छे से जारी रखना चाहते हैं।
जानें भाई ने क्या कहा
अर्पण दीप के भाई आकाशदीप ने कहा कि उन्हें इस बात का मलाल जरूर है कि उनकी वजह से उनकी जमीन और घर बिक गए। उनके सपने भी पूरे नहीं हुए। शुरुआती दिनों में यह सब मन पर ज्यादा प्रभावित करने वाला था। इसी वजह से वे डिप्रेशन में भी चले गए थे लेकिन अब धीरे-धीरे सब ठीक हो रहा है और वह इस बात के लिए भी अपने परिवार के शुक्रगुजार हैं कि परिवार ने मुसीबतों को झेलने के बावजूद भी कभी भी उन पर यह जाहिर नहीं किया कि उनकी वजह से इतना नुकसान हो गया। कुल मिलाकर अर्पण दीप का पूरा परिवार एकजुट होकर तो रह रहा है और अपनी हंसी के पीछे अपना गम छुपाए आगे बढ़ रहा है लेकिन परिवार ने एक ही संदेश दिया है कि कोई भी इन एजेंटों के चक्कर में आकर एडवांस पैसा इन्हें ना दे। वीजा आदि लगने की पूरी जानकारी हासिल करने के बाद ही पैसे दें अन्यथा उनकी तरह ठगी का शिकार हो जाओगे।
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