आपातकाल देश के लिए काला अध्याय, कांग्रेस ने कुचला था लोकतंत्र और संविधान : मनोहर लाल

Edited By Isha, Updated: 25 Jun, 2025 05:54 PM

emergency was a dark chapter for the country

केंद्रीय ऊर्जा, आवासन एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि आपातकाल देश के लिए काला अध्याय है। कांग्रेस ने 25 जून 1975 को सत्ता को सर्वोपरि मानते हुए लोकतंत्र और संविधान को कुचला।

चंडीगढ(चन्द्र शेखर धरणी):  केंद्रीय ऊर्जा, आवासन एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि आपातकाल देश के लिए काला अध्याय है। कांग्रेस ने 25 जून 1975 को सत्ता को सर्वोपरि मानते हुए लोकतंत्र और संविधान को कुचला। संविधान के हितैषी होने का दिखावा करने वाले कांग्रेस नेताओं को आपातकाल का काला सच भी जनता को बताना चाहिए। 

केंद्रीय मंत्री आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर बुधवार को नई दिल्ली स्थित सेंट्रल पार्क में आपातकाल पर लगाई प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा की  25 जून 1975 का दिन भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला अध्याय है, जिसकी विभिषिका को राष्ट्र कभी भूला नहीं सकता है। आज से 50 साल पहले कांग्रेस ने भारतीय संविधान में निहित मूल्यों को दरकिनार करते हुए मौलिक अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। कांग्रेस ने रातों-रात आपातकाल थोपकर यह साबित कर दिया कि उसके लिए सत्ता सर्वोपरि है, लोकतंत्र और संविधान नहीं। कोई भी भारतीय यह नहीं भूलेगा कि किस प्रकार कांग्रेस ने संविधान की भावना का सरेआम हनन किया था। 

 केंद्रीय मंत्री ने संविधान हत्या दिवस पर उपस्थित लोगों को संकल्प दिलाया कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए हर परिस्थति में अडिग होकर खड़े रहेंगे ताकि ऐसी तानाशाही की पुनरावृत्ति कभी न हो सके।  उन्होंने कहा कि जब संकट काल आता है तो उसमें अवसर भी आते हैं।
 

आपातकाल लगने के बाद जनसंघ को भंग कर दिया गया, उसमें नई पार्टी का जन्म हुआ, जिसका नाम था जनता पार्टी। मगर जनता पार्टी आपसी मतभेद के चलते आगे नहीं बढ़ पाई और 1980 में भाजपा का जन्म हुआ और भाजपा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने पार्टी को खड़ा करने में खूब मेहनत की। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. भारत रत्न अटल बिहारी की पंक्तियां आज भी उन्हें याद हैं कि अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनी है। अब संकल्प लेना है कि अंधेरा नहीं आए, सूर्य निकलेगा और कमल भी लगातार खिलेगा। 

 
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि देश के लोकतंत्र पर सिर्फ 19 महीने की इमरजेंसी ही एक काला धब्बा है। यह वो समय है जब देश के नागरिकों को छिप कर रहना पड़ा, दुकानदारों के रोजगार बंद हो गए, किसान अपने खेत में काम नहीं कर सकते थे, जो भी व्यक्ति बाहर मिलता था उसे जेल में बंद कर देते थे, नशबंदियां होती थी, लोगों को बहुत सी यातनाएं सहन करनी पड़ी थी। आपातकाल के दौरान करीब 1 लाख 10 हजार लोगों को जेल में बंद किया गया। बिजली सप्लाई बंद कर दी गई। उन्होंने कहा कि आपातकाल की स्थिति देश को किसी बाहरी खतरे के समय, आंतरिक अशांति के समय और वित्तीय संकट में घोषित की जाती है। वर्ष 1975 में हमारे देश में तब इनमें से कोई भी कारण नहीं था। अब भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सत्ता में आने पर इन यातना सहन करने वालों को मान सम्मान दिया।

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