दादूपुर-नलवी नहर परियोजना को डिनोटिफाई करना किसानों से छल व अन्याय: सुरजेवाला

Edited By Deepak Paul, Updated: 31 May, 2018 11:15 AM

dudupur nalvi canal project deintefacting fraud and injustice to farmers

कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुर्जेवाला ने हरियाणा सरकार द्वारा दादुपुर नलवी परियोजना को डिनोटिफाई करने की कड़ी ङ्क्षनदा करते हुए इसे उत्तरी हरियाणा के किसानों के साथ अन्याय और धोखा बताया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश भाजपा सरकार ने...

चंडीगढ़(बंसल): कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हरियाणा सरकार द्वारा दादुपुर नलवी परियोजना को डिनोटिफाई करने की कड़ी ङ्क्षनदा करते हुए इसे उत्तरी हरियाणा के किसानों के साथ अन्याय और धोखा बताया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश भाजपा सरकार ने राष्ट्रपति कार्यालय के समक्ष दादुपुर नलवी परियोजना के पूरे सही तथ्य न रखते हुए यह फैसला करवाया है।

सुरजेवाला ने कहा कि पांच महीने पहले जब किसानों के प्रतिनिधिमंडल के साथ वे राष्ट्रपति से मिले थे तब राष्ट्रपति ने किसानों की बात सुने बगैर निर्णय न लेने की बात कही थी, लेकिन लगता है कि सरकार ने राष्ट्रपति कार्यालय के समक्ष गलत तथ्य रखकर दिग्भर्मित कर किसानों के साथ अन्याय किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार का रवैया पूरी तरह से किसान-विरोधी है। एक तरफ सरकार उत्तरी हरियाणा की जीवन-रेखा दादुपुर नलवी नहर परियोजना को डिनोटिफाई कर रही है, दूसरी ओर इसी अधिग्रहीत जमीन पर सड़क का निर्माण करके किसानों के साथ धोखा व छल कर रही है।

सुरजेवाला ने कहा कि किसानों को दादूपुर नलवी नहर परियोजना का पूरा मुआवजा देने की बजाय इस किसान हितैषी परियोजना को रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों में खट्टर सरकार के इस गलत किसान विरोधी फैसले के खिलाफ गुस्सा है और वे इस फैसले को कतई स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस किसानों की लड़ाई में पूरी तरह से उनके साथ है और इस संघर्ष में किसानों के हकों की लड़ाई को अदालत के अलावा हर मोर्चे पर मजबूती से लड़ा जाएगा।

सुरजेवाला ने कहा कि सरकार के इस जनविरोधी फैसले से अम्बाला, यमुनानगर और कुरुक्षेत्र जिलों के 225 गांवों की लगभग एक लाख हेक्टेयर जमीन को सिंचाई के संसाधनों से वंचित होना पड़ेगा, जिससे भाजपा की किसान विरोधी सोच का पता चलता है। सुरजेवाला ने बताया कि सितम्बर 2017 में प्रदेश की खट्टर सरकार की कैबिनेट मीटिंग में इस परियोजना को डिनोटिफाई करके राष्ट्रपति के पास इस परियोजना को रद्द करने का बिल भेज दिया, जिसे राष्ट्रपति ने लंबे समय तक मंजूरी नहीं दी थी, लेकिन अब मंजूरी दिलवाई गई है। 

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