धान पर मार्कीट फीस कम होने से अधिकारियों के चेहरे पर छाई मायूसी

Edited By Isha, Updated: 10 Oct, 2020 11:02 AM

disappointment on the face of officials due to reduced market fees on paddy

लम्बे अरसे से हरियाणा की मार्कीट कमेटियों में रिश्वत के बोलबाले को लगाम लगाने में प्रदेश सरकार का एक निर्णय सार्थक सिद्ध हुआ है। गत दिनों हरियाणा सरकार ने पी.आर. धान को छोड़कर अन्य सभी धान जैसे 1509, बासमती, डी.बी. आदि पर मार्कीट फीस व एच.आर.डी.एफ....

कैथल: लम्बे अरसे से हरियाणा की मार्कीट कमेटियों में रिश्वत के बोलबाले को लगाम लगाने में प्रदेश सरकार का एक निर्णय सार्थक सिद्ध हुआ है। गत दिनों हरियाणा सरकार ने पी.आर. धान को छोड़कर अन्य सभी धान जैसे 1509, बासमती, डी.बी. आदि पर मार्कीट फीस व एच.आर.डी.एफ. जो पहले 2-2 प्रतिशत यानि कुल 4 प्रतिशत होता था वह अब केवल 1 प्रतिशत (0.5 प्रतिशत मार्कीट फीस व 0.5 प्रतिशत एच.आर.डी.एफ.) कर दी गई है। ऐसा करने से न केवल पूरी व्यवस्था से भ्रष्टाचार कहीं लुप्त होता दिखाई दे रहा है, वहीं मार्कीट फीस की एवज में अपनी जेबें भरने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के चेहरे मायूस दिख रहे हैं। अभी हाल ही में हरियाणा सरकार द्वारा मार्कीट फीस घटाने से न केवल मिलर्स को अब फीस की कम आदयगी करनी पड़ रही है, वहीं किसानों को भी भविष्य में ऊंचे दाम मिलने की संभावना बढ़ गई है। इसी प्रकार लेन-देन में जो गोलमाल हुआ करता था उस पर लगभग पूरी तरह अंकुश लग गया है। 

सरकार का एक यह कदम सही मायनों में मिलरों व किसानों के लिए सार्थक सिद्ध हुआ है और वहीं सरकार का वह कथन भी सत्य होता दिखाई दिया है, जिसमें हरियाणा के मुख्यमंत्री बार-बार अपने भाषण में भ्रष्टाचार पर जीरो टॉल रेट की बात करते सुनाई देते हैं। यहां यह भी बात काबिले जिक्र है कि पहले 4 प्रतिशत मार्कीट फीस के चलते मार्कीट कमेटियों में जो घालमेल पिछले लम्बे अर्से से चला आ रहा था उस पर लगाम लगने से अब धान के एक सीजन में लाखों करोड़ों रुपए अपनी अंटी में डालने वालों की जेबें भी अब खाली की खाली रह गई है और न चाहते हुए भी उनकी आंखे उनका दर्द ब्यान कर रही है।

चेहरे की मुस्कान तो मानो कहीं खो गई है। खुलकर चाहे कोई न बोले, लेकिन एक आढ़ती ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नम्बर 2 का काम मंडी में अब लगभग खत्म हो गया है। यदि कैथल मंडी की बात की जाए तो इस वक्त धान 1509 व पी.आर. किसानों द्वारा मंडी में काफी मात्रा में लाया जा रहा है और प्राइवेट मिलरों द्वारा 1509 धान की खरीद तो की जा रही है तो वहीं सरकारी एजैंसियां पी.आर. धान खरीद रही हैं। कैथल मंडी की बात की जाए तो यहां सीजन में 20 से 25 लाख क्विंटल धान की खरीद होती है। वहीं मार्कीट कमेटी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें तो सरकार की नौकरी करनी है तथा प्रदेश की सभी मार्कीट कमेटियों में सभी अधिकारी व कर्मचारी पूरी ईमानदारी से काम करते हैं। सीजन में रिश्वत जैसी कोई बात नहीं होती। 

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