Edited By Saurabh Pal, Updated: 25 Jul, 2023 03:17 PM

यूं तो मांडौठी को पहलवानों का गांव कहा जाता है। अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर इस गांव के कई पहलवानों ने भारत व हरियाणा का नाम रोशन किया है, लेकिन 12 वर्षीय दिक्षा का नाम कुश्ती के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में अंकित होगा। मांडौठी गांव की दिक्षा ने छोटी से...
बहादुरगढ़ (प्रवीण कुमार धनखड़): यूं तो मांडौठी को पहलवानों का गांव कहा जाता है। अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर इस गांव के कई पहलवानों ने भारत व हरियाणा का नाम रोशन किया है, लेकिन 12 वर्षीय दिक्षा का नाम कुश्ती के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में अंकित होगा। मांडौठी गांव की दिक्षा ने छोटी से उम्र में इंटरनेशनल लेवल पर कुश्ती में गोल्ड मेडल जीता है।
दिक्षा ऐसा करनामा करने वाली गांव की पहली लड़की हैं। दिक्षा ने हाल ही में जॉर्डन में हुई अंडर 15 एशिया कुश्ती चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है।यह कारनाम दिक्षा ने जापान, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान के पहलवानों को 10-0 के अंतर से हराकर गोल्ड मेडल जीता है। दिक्षा का कहना है कि वो ओलम्पिक मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करना चाहती हैं।
बीएसएम स्कूल में आठवीं कक्षा की छात्रा दिक्षा पढाई में भी काफी होनहार हैं। घर में तीन बहन एक भाई है। गांव के अखाड़े में ही खेलने जाया करती थी, तो वहीं से दिक्षा का मन पहलवानी में रम गया। दिक्षा ने पहले अपने दादा के साथ पहले गांव के अखाड़े में प्रैक्टिस की और अब हिन्द केसरी सोनू अखाड़े में अर्जुन अवार्डी पहलवान धर्मेन्द्र और अर्न्तराष्ट्रीय पहलवान सुधीर से कुश्ती के दांव पेंच सीख रहीं हैं। दादा लाजपत राय का कहना है कि दिक्षा पढ़ाई में भी अच्छी है और पहलवानी का टैलेंट उसका पैदायशी है। एक दिन ओलम्पिक में गोल्ड मेडल लेकर आएगी दिक्षा।
दिक्षा के कोच अर्जुन अवार्डी पहलवान धर्मेन्द्र का कहना है कि दिक्षा मैट पर बहुत ज्यादा मेहनत करती है। 20 साल के पहलवान से ज्यादा मेहनत वो अखाड़े में करती है। उन्होंने कहा कि दिक्षा ने एशिया कुश्ती में एकतरफा तीन देशों के पहलवानों को हराया। स्कूल स्टेट में भी दिक्षा ने लगातार तीन साल गोल्ड मैडल हासिल किया था। बहालगढ़ में हुई ओपन सेलेक्शन ट्रायल में भी उसने पहला स्थान हासिल कर इंटरनेशनल गोल्ड हासिल किया है।
मांडौठी की इस नन्ही पहलवान की मैट पर प्रैक्टिस देखकर हर कोई दंग रह जाता है। अपने से बड़े पहलवानों के साथ प्रैक्टिस करते हुए दिक्षा लगातार बेहतर होती जा रही है। ऐसे में कोच और परिवार के साथ पूरे इलाके को दिक्षा से उम्मीद है कि एक दिन वो ओलम्पिक में भारत का गौरव बढ़ाने का काम करेगी।
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