Edited By Mohammad Kumail, Updated: 15 Jul, 2023 05:56 PM

यमुना के बढ़ते जलस्तर के बीच आज डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला बाढ़ ग्रस्त इलाकों का जायजा लेने पहुंचे। इस दौरान वह खुद ट्रैक्टर चला कर मंझावली इलाके के बाढ़ प्रभावित इलाके में पहुंचे और दौरा कर वहां के हालात देखे और जलभराव वाले इलाकों का जायजा लिया...
फरीदाबाद (अनिल राठी) : यमुना के बढ़ते जलस्तर के बीच आज डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला बाढ़ ग्रस्त इलाकों का जायजा लेने पहुंचे। इस दौरान वह खुद ट्रैक्टर चला कर मंझावली इलाके के बाढ़ प्रभावित इलाके में पहुंचे और दौरा कर वहां के हालात देखे और जलभराव वाले इलाकों का जायजा लिया। इस मौके पर डिप्टी सीएम ने कहा कि पिछले 24 घंटे में फरीदाबाद और पलवल में यमुना स्तर बढ़ा है। उन्होंने कहा कि 13 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। जिनमें से 6 गांव फरीदाबाद और 10 गांव पलवल के हैं।
दुष्यंत ने कहा कि लगभग ढाई लाख एकड़ फसल पानी के अंदर है। उन्होंने कहा कि पूरे हरियाणा में 20 लोगों की जान गई है जिन्हें 4 लाख के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने आप पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि पानी की धारा को कोई नहीं बदल सकता। इस आपदा के मौके पर एक दूसरे के साथ खड़े होना चाहिए। हमारी जिम्मेदारी है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को सुरक्षित रखें। उन्होंने कहा कि अगर वो राजनीति करना चाहें तो कह सकते हैं कि पलवल और फरीदाबाद को डुबाने का काम दिल्ली ने किया है। उन्होंने कहा कि 1978 के यमुना का जलस्तर कितना बढ़ा है। यह प्राकृतिक आपदा है और इसमें सबको मिलकर मुकाबला करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक नई पॉलिसी बनाई है जिसके तहत लोगों के घर, पशु, फसलों का नुकसान होने पर उन्हें उसकी गाइडलाइन के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा।

वहीं इस मामले में जब मंझावली के बाढ़ पीड़ित लोगों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के आने की सूचना ही नहीं दी गई थी। उन्होंने बताया कि डिप्टी सीएम बाढ़ प्रभावित इलाके में आए और दौरा करने के बाद उनसे बिना मिले ही वापस लौट गए। बाढ़ पीड़ित लोगों के मुताबिक अचानक से 2 दिन पहले उनके घरों में 3:00 बजे रात पानी आया और वह लोग अपनी जान बचाकर भागे, इस पानी के चलते उनके कई मकान पानी में समा गए। वहीं बाढ़ पीड़ित लोगों ने बताया कि प्रशासन से उन्हें खाने की मदद तो मिल रही है इसके अलावा होने और कोई मदद नहीं मिली। वे चाहते हैं कि पानी सूखने के बाद उनके घरों को बनाने के लिए सरकार उचित मुआवजा दें।
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