बुजुर्ग को 9 दिन तक किया डिजिटल अरेस्ट, डराकर ट्रांसफर कराए लाखों रुपए

Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 26 Dec, 2025 11:03 PM

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80 वर्षीय बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट कर 40 लाख रुपए ठगे जाने का मामला सामने आया है। आरोपियों ने उनके मोबाइल को आपराधिक गतिविधियों में प्रयोग होने का डर दिखाया और स्वयं को प्रवर्तन अधिकारी बताकर ठगी की वारदात को अंजाम दिया।

गुड़गांव, (ब्यूरो): 80 वर्षीय बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट कर 40 लाख रुपए ठगे जाने का मामला सामने आया है। आरोपियों ने उनके मोबाइल को आपराधिक गतिविधियों में प्रयोग होने का डर दिखाया और स्वयं को प्रवर्तन अधिकारी बताकर ठगी की वारदात को अंजाम दिया। वीडियो कॉल कर उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर यह रकम ट्रांसफर कराई गई। पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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पुलिस के मुताबिक, सेक्टर-55 के रहने वाले बुजुर्ग ने शिकायत में बताया कि 11 से 19 दिसंबर तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट रखा गया। नौ दिनों तक किसी से कोई बात नहीं करने के साथ-साथ उनकी हर गतिविधि की निगरानी वीडियो कॉल के माध्यम से की गई। उसके बाद जालसाजों ने बैंक जाकर उनके बताए खाते में कई बार में 40 लाख रुपये की ठगी को अंजाम दिया गया। नौ दिनों के बाद जब रुपये नहीं रहे और उसके बाद फोन काट दिया गया। उनको डिजिटल अरेस्ट के बारे में जानकारी नहीं होने के कारण वह ठगी का शिकार हुए। शिकायत पर साइबर थाना पूर्व में मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू कर दी। जांच के दौरान जिन खातों में रुपये ट्रांसफर हुए थे। पुलिस ने जानकारी जुटाकर सभी को सीज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। रुपयों को वापस लाने के बाद पुलिस प्रयास कर रही है। इसके साथ ही जिन नंबर से फोन किया गया, उनकी जानकारी जुटाई जा रही है।

 

वहीं, डीएलएफ फेज-4 के 81 वर्षीय बुजुर्ग के साथ भी एयरटेल प्रतिनिधि होने का दावा कर ठगी की वारदात को अंजाम दिया गया। लैंडलाइन पर फोन कर उन्हें बताया गया कि उनका मोबाइल बेंगलुरु में धोखाधड़ी की गतिविधियों में संलिप्त है। इसके बाद ठगों ने उन्हें व्हाट्सऐप पर चर्चा जारी रखने की सलाह दी गई और उनका मोबाइल नंबर साझा करने के लिए कहा गया। इसके बाद एक व्हाट्सएप वीडियो कॉल प्राप्त हुई, जो उस समय वास्तविक लग रही थी। 

 

उन्हाेंने बताया कि फोन करने वालों ने हर्षित मेहता नाम के व्यक्ति से संबंधित जांच के दौरान, मेरा नाम कई बैंक खातों के संबंध में सामने आया है। इसके पश्चात सात दिनों तक व्हाट्सऐप वीडियो कॉल के माध्यम से निरंतर निगरानी डिजिटल अरेस्ट किया गया। इस दौरान जालसाजों ने मुझे डराने और भय पैदा करने के लिए वित्त मंत्रालय, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी),भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जारी किए गए कथित फर्जी पत्र भेजे, जिससे मुझे उनकी बातों पर विश्वास करने और उनके निर्देशों का पालन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। उसके बाद जालसाजों के कहने पर उन्होंने हिंदू फाउंडेशन खाते में 32 लाख रुपये की राशि स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया, जिसमें यह झूठा दावा किया गया कि यह स्थानांतरण भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा अनिवार्य था। मुझे अपने बचत बैंक खाते में आवश्यक धनराशि की व्यवस्था करने के लिए अपनी एफडी तोडकर 32 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए।

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