बढ़ता प्रदूषण का स्तर चिंता जनक, फायर बिग्रेड की मदद से शहर के पेड़ पौधों पर किया छिड़काव

Edited By Isha, Updated: 21 Oct, 2020 11:04 AM

concern of increasing pollution level

स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे गत दिवस तो एक बार प्रदूषण का स्तर भारत में सबसे अधिक पहुंच गया। हालांकि यह कुछ समय के लिए ही हुआ, लेकिन हुआ तो सही। मंगलवार की यदि बात करें तो यही ए.क्यू.आई. 289 था, जिसे गंभीर माना जा सकता है, लेकिन सोमवार को तो...

यमुनानगर(सुरेन्द्र): स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे गत दिवस तो एक बार प्रदूषण का स्तर भारत में सबसे अधिक पहुंच गया। हालांकि यह कुछ समय के लिए ही हुआ, लेकिन हुआ तो सही। मंगलवार की यदि बात करें तो यही ए.क्यू.आई. 289 था, जिसे गंभीर माना जा सकता है, लेकिन सोमवार को तो ए.क्यू.आई. 345 तक पहुंच गया था जोकि चिंता का विषय है और ऐसे में तो सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है। कुछ जानकारों का मानना है कि जिला मुख्यालय पर जो पी.एम.एस. लगा हुआ है वह हाइवे के साथ पंचायत भवन के ऊपर लगा हुआ है और यही वो ङ्क्षबदु है जहां से हाइवे से सेक्टर-17 का मुख्य मार्ग निकलता है। विशेष रूप से इसी बिंदु पर यातायात का पूरा दबाव रहता है, जिसके चलते ए.क्यू.आई. बढ़ा हुआ ही दिखाई देता है। यहां पर जिस समय क्रासिंग होती है उस समय भारी संख्या में वाहन स्टार्ट खड़े रहते हैं जिससे इस क्षेत्र का प्रदूषण स्तर बढ़ जाता है ओर वही रिकार्ड होता है। बढ़ते प्रदूषण के स्तर को लेकर प्रशासन भी इस समय चिंतित है। कृषि विभाग हो या प्रदूषण विभाग सभी अपनी और से प्रयास कर रहे हैं कि किसी तरह यह स्तर और भी अधिक कम हो, ताकि आम आदमी साफ हवा में सांस ले सके।

 
किसान नहीं चाहते कि वे जलाएं अवशेष
यमुनानगर जिले में  औद्योगिक  इकाइयों की चिमनियों द्वारा वर्ष भर उगले गए जहरीले धुएं की वैसे ही भरमार रहती है और उस पर इन दिनों खेतों में पराली जलाए जाने की वजह से यमुनानगर की हवा में प्रदूषण का स्तर देशभर में सबसे अधिक हो जाने बारे समाचार आया है। हरियाणा एनवायरमेंटल सोसायटी (एच.ई.एस.) पर्यावरण प्रदूषण के इस तरह से बढ़ते स्तर के लिए प्रशासन को जिम्मेदार मानती है। प्रशासन इस समस्या के समाधान हेतु मौके पर व्यावहारिक ठोस कदम उठाने की बजाए सीधे किसानों को या फिर आम आम नागरिक को ही जिम्मेदार ठहरा देता है। टीम एच.ई.एस. ने इस बारे सर्वे किया तो सामने आया कि किसान किसी भी सूरत में पराली को खेत में जलाने के हक में नहीं है, बशर्ते प्रशासन की ओर से उस पराली को समय पर खेत से खाली कर उसे सही ठिकाने पर लगाने हेतु प्रशासन उनकी मदद करें। खुर्दी गांव के किसान दिनेश कुमार का कहना है कि ज्यादातर किसान बामुश्किल ही अपनी रोटी रोजी चला रहा है।

वह अपने खर्चे पर पराली को खेत से निकालकर किसी गौशाला या मिल तक ले जाने का खर्चा वहन नहीं कर सकता। उनका कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह अपने स्तर पर मशीनें मुहैया कराए और एक चरणबद्ध तरीके से पंचायत के स्तर पर यह कार्य करवाएं या फिर एडवांस में इस कार्य हेतु किसान को प्रति एकड़ मुआवजा मुहैया करवाएं। किशनपुरा के किसान राकेश कुमार ने भी कुछ इसी तरह की बात को दोहराते हुए कहा कि ना तो किसान के पास इतना अधिक समय होता है और ना ही इतना पैसा होता है कि वह अगली फसल की तैयारी भी करें और यह पराली वगैरह को भी खेत से निकाल कर उसको सही जगह पर पहुंचाएं।

 
उद्योगों से निकल रहा अनियंत्रित जहरीला धुआं 
एच.ई.एस. के अध्यक्ष प्रोफेसर एस एल सैनी तथा सदस्य प्रोफेसर के एल नरूला का कहना है कि पर्यावरण प्रदूषण की वजह केवल किसानों द्वारा पराली का जलाया जाना नहीं है, बल्कि इसके साथ साथ जिले भर में औद्योगिक इकाइयों की चिमनियों से अनियंत्रित तौर पर निकलते हुए जहरीले धुएं के बादल बिना प्रदूषण स्तर नियंत्रित किए, सड़कों पर दौड़ते थ्री व्हीलर, टेंपो इत्यादि भी जिम्मेदार हैं। उनका कहना है की उनकी संस्था पिछले 30 साल से जिले के सार्वजनिक स्थलों पर लोगों के सहयोग से हर वर्ष हजारों पेड़ लगाकर उनका संरक्षण करती चली आ रही है,  मगर प्रशासन के बेरूखे रवैया के चलते असामाजिक तत्वों द्वारा हरे भरे पेड़ों को काटे जाने पर प्रशासन कभी भी किसी के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं करता जिसका संस्था को खेद है।

उनका कहना है यही नहीं जिले में करोड़ों रुपए लगाकर जो सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट  या फिर सॉलिड़ वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाए गए थे उनमें से कोई भी सुचारू रूप से कार्य नहीं कर रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की के प्रशासन इस समस्या के  किसानों को दंडित करने की बजाय इस समस्या के समाधान हेतु उन्हें सहयोग और कुछ प्रोत्साहन देगी  तथा शहरी इलाकों में हरे भरे पेड़ों को गैरकानूनी तरीके से नष्ट करने वालों तथा अन्य अनियंत्रित जहरीला  उगलने वाले यंत्रों पर कड़ी निगरानी रखेगी।

 
पेड़ पौधों से की धूल मिट्टी की सफाई 
बढ़ते प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए जिला उपायुक्त द्वारा दिशा निर्देश जारी किए गए हैं कि नगर निगम सड़क के किनारे खड़े धूल मिट्टी से अंटे पेड़ पौधों की सफाई करे। मंगलवार को नगर निगम ने फायर बिग्रेड की मदद से हाइवे के किनारे खड़े सभी पेड़ों की धुलाई की। प्रशासन की इस पहल से कम से कम पेड़ पौधों की हरियाली तो दिखाई देने लगी, नहीं तो पेड़ पौधे धूल मिट्टी में ही अटे पड़े थे। इस मौके पर फायर बिग्रेड की टीम के साथ साथ बिजली वितरण निगम की टीम भी उनके साथ चल रही थी, क्योंकि अधिकतर पेड़ों के बीच से बिजली की तारें गुजर रही हैं और पानी के छिड़काव के दौरान उन क्षेत्रों की लाइट भी बंद कर दी गई जिन क्षेत्रों में ये पेड़ है। मौके पर पानी की छिड़काव कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि दिन भर जब तक छिड़काव का काम चला तब तक लाइट गुल रही और छिड़काव का काम पूरा होने पर ही बिजली सुचारु की गई। उन्होंने बताया कि जिला उपायुक्त के आदेशानुसार अब लगातार ऐसे ही पानी से पेड़ पौधों पर छिड़काव का कार्य चलेगा ताकि प्रदूषण से कुछ निजात मिल सके। 

 
कृषि विभाग ने वसूला करीब सवा लाख जुर्माना 
मिली जानकारी के अनुसार उन किसानों के खिलाफ भी कृषि विभाग कार्रवाई कर रहा है जो किसान अपने खेतों में फसलों के अवशेष जला रहे हैं। अभी तक यह कार्रवाई लगातार जारी है। किसी किसान पर अभी तक एफ.आई.आर. तो दर्ज नहीं की गई, लेकिन जिले में विभिन्न स्थानों पर कृषि विभाग द्वारा काटे गए चालानों के चलते लगभग सवा लाख रुपए के करीब किसानों से जुर्माना वसूला गया है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसानों को फसलों के अवशेष नहीं चलाने चाहिए। उनकी कार्रवाई लगातार जारी रहेगी। 


 

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