Edited By Mohammad Kumail, Updated: 19 Jun, 2023 06:49 PM

पिछले करीब चार वर्षों से चल रहे 100 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का मामला एक बार फिर खुल गया है। मामला मुख्यमंत्री ऑफिस तक पहुंचा तो अधिकारियों ने इसकी जांच शुरू कर दी...
फतेहाबाद (रमेश भट्ट) : पिछले करीब चार वर्षों से चल रहे 100 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का मामला एक बार फिर खुल गया है। मामला मुख्यमंत्री ऑफिस तक पहुंचा तो अधिकारियों ने इसकी जांच शुरू कर दी। टैक्स चोरी के इस मामले में भाजपा के एक पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला के परिवार के सदस्यों पर भी आरोप लगा है। मामला फतेहाबाद जिले से जुड़ा है।
मामला 2019 में भी सुर्खियों में आया था। तब तत्कालीन उप आबकारी एवं कराधान आयुक्त वीके शास्त्री ने मामले में न केवल इंटरलॉकिंग से निर्माण कराने वाले महकमों बल्कि डीसी और एडीसी को भी नोटिस दिए थे। परंतु उनका तबादला होने के बाद मामला आगे नहीं बढ़ा। इसी साल 22 मार्च को भारत जागृति मंच की ओर से मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखा गया। इसी पत्र में भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष के परिवार का भी जिक्र किया गया। सीएमओ की ओर से संज्ञान लेने के बाद फतेहाबाद की उप आबकारी एवं कराधान आयुक्त (बिक्री कर) ने जिले के मार्केटिंग बोर्ड, विकास एवं पंचायत विभाग, नगर पालिका, सिंचाई विभाग और लोक निर्माण विभाग को नोटिस जारी कर पिछले दस सालों में इंटरलॉकिंग के कराए गए कार्यों का पूरा रिकॉर्ड दिया जाए। यह रिकॉर्ड खंगाला जाएगा।
फतेहाबाद में 2019 में इंटरलॉकिंग टाइल्स बनाने वाली करबी 62 फर्म रजिस्टर्ड थी। उप आबकारी एवं कराधान आयुक्त ने विभागों को भेजे पत्र में शिकायत की प्रति भी साथ भेजी है। साथ ही पत्र में लिखा गया है कि सभी विभाग पिछले दस वर्षों में जिले में गलियों में इंटरलॉकिंग ईंट लगवाने के कार्य पूरे किए हैं। वहां की इंटरलॉकिंग खरीद की पूरी जानकारी दी जाए। जिसमें ईंट कितनी मात्र में खरीदी। कितने रुपए में खरीदी और किस फर्म से खरीदी। 10 वर्षों का यह पूरा रिकॉर्ड भेजा जाए। उप आबकारी एवं कराधान आयुक्त का पत्र मिलने के बाद जिला अधिकारियों ने यह पत्र निचले स्तर तक भेज दिया है। हालांकि मार्केटिंग बोर्ड ने इंटरलॉकिंग का कोई काम न कराने की बात कही है।
शिकायत में कहा गया है कि फतेहाबाद जिले के फतेहाबाद, रतिया, भूना, भट्टू व टोहाना में पिछले 10 वर्षों में विभिन्न सरकारी महकमों की ओर से 1000 करोड़ रुपए के इंटरलॉकिंग ईंटें लगाने का कार्य कराए हैं। इनमें मार्केटिंग विभाग, पंचायत विभाग, नगर पालिका एवं परिषदें, नहरी विभाग व पीडब्ल्यूडी का जिक्र किया गया है। आरोप लगाया गया है कि इन 10 वर्षों में इंटरलॉकिंग फैक्ट्रियों द्वारा केवल कुछ लाखों की बिक्री ही दिखाई गई है। बाकी माल दो नंबर में ठेकेदारों के माध्यम से सरकार को बेच कर लगभग 100 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी कर ली गई है।
जांच समिति भी बनाई गई लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते इस समिति द्वारा सिर्फ कागजी कार्यवाही की जा रही है। क्योंकि इस टैक्स चोरी में भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष के पारिवारिक सदस्य भी शामिल हैं। इस बारे में पूर्व में भी पत्र लिखा गया था। फिर मामले की जांच का जिम्मा तत्कालीन डिप्टी आबकारी एवं कराधान अधिकारी को सौंपा गया। लेकिन जांच आगे नहीं बढ़ी। इसलिए इस मामले की सीबीआई जांच कराकर टैक्स चोरी करने वाली फैक्टरियों का पता लगाकर उनके खिलाफ कार्यवाही करते हुए टैक्स की रिकवरी की जाएगी।
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