Edited By vinod kumar, Updated: 22 Sep, 2020 09:30 PM

राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान की क्लोनिंग तकनीक पशुपालकों की आय को बढ़ाने में कारगर साबित होगी। पूरी तरह सफल संस्थान की इस तकनीक का फायदा जल्द ही किसानों को मिलने लगेगा। दुनिया भर में एनडीआरआई ही ऐसा एकमात्र संस्थान है जिसने भैंसों में क्लोनिंग...
करनाल (केसी आर्या): राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान की क्लोनिंग तकनीक पशुपालकों की आय को बढ़ाने में कारगर साबित होगी। पूरी तरह सफल संस्थान की इस तकनीक का फायदा जल्द ही किसानों को मिलने लगेगा। दुनिया भर में एनडीआरआई ही ऐसा एकमात्र संस्थान है जिसने भैंसों में क्लोनिंग तकनीक की शुरुआत की है। इनके सीमन से जो मुर्राह कटड़ियां पैदा होंगी, वह एक दिन में 10 से 12 किलो दूध देंगी।

इस तरह क्लोनिंग तकनीक से दूध उत्पादन दोगुना होगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी। इस बारे संस्थान के निदेशक डॉ एम एस चौहान ने बताया की इस साल जून में पैदा हुए क्लोन कटड़े का नाम तेजस रखा है। यह मुर्राह नस्ल का कटड़ा 20 जून को पैदा हुआ था जो इस संस्थान में इस तकनीक से पैदा हुआ 16 वां कटड़ा है।
उन्होंने कहा की तेजस के आठ और भाई हैं, जिनमें 6 राष्ट्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान हिसार में और 2 करनाल में हैं। उन्होंने कहा कि एनडीआरआई में हैंड गाइडेड तकनीक पर 2009 में पहली बार क्लोन कटड़ी गरिमा का जन्म हुआ था। इसके जन्म और तकनीक की कामयाबी से पूरी दुनिया हतप्रभ रह गई थी।
डॉ चौहान ने कहा की जिस भैंसे के कान का टुकड़ा लेकर क्लोन तैयार किया गया उस काफ में वही गुण आएंगे। काफ के सीमन का भैंसों के गर्भाधान में इस्तेमाल किया जाएगा। एनडीआरआई ने क्लोनिंग तकनीक हिसार केंद्र को दी और वहां के वैज्ञानिकों को प्रशिक्षण भी दिया है।

निदेशक ने कहा की क्लोनिंग तकनीक का देश के कई संस्थानों में इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने कहा की वे क्लोनिंग के काम को और आगे बढ़ाएंगे, देश में जिस तरह जनसंख्या बढ़ रही है। उसी लिहाज से दूध उत्पादन बढ़ाना जरुरी है। देश में दूध और दूध उत्पादों की मांग बढ़ रही है। कोरोना काल में अनुसंधान का कुछ काम प्रभावित हुआ था, अब फिर से काम शुरू कर दिया है। अगले साल क्लोनिंग से और भी कटड़े पैदा किए जाएंगे।